Ayodhya में सोमवार 22 जनवरी को रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के साक्षी बनने के लिए तमाम फिल्मी सितारे और गायकों के साथ देश व प्रदेशभर से सांस्कृतिक तथा पारंपरिक कार्यक्रम की प्रस्तुति देने विभिन्न कलाकार रामनगरी अयोध्या पहुंचे थे। इस दौरान समूचा देश एक स्वर में राममय नजर आया। इसी दौरान गायक सोनू निगम और शंकर महादेवन भी रामलला के प्राण प्रतिष्ठा में शामिल रहे और उन्होंने इस समारोह में शामिल होने पर खुशी भी जताई। सोनू निगम ने कहा कि रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह एक भावुक क्षण है। अयोध्या में रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह में सोनू निगम पारंपरिक परिधान सफेद कुर्ते और पटका पहने नजर आए। अयोध्या में इस पावन अवसर पर सोनू निगम ने चौपाइयां सुनाईं, जिसे सुन वहां मौजूद सभी रामभक्त भक्ति में लीन हो गए। इस दौरान राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में गायक सोनू निगम ने ‘राम सिया राम’ भजन की प्रस्तुति दी।
रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल शंकर महादेवन ने भी अपने भजन से भक्तिमय माहौल को और खास बना दिया। इस शुभ अवसर पर शंकर महादेवन ने ‘श्री रामचंद्र कृपालु भजमन’ की स्तुति प्रस्तुत की, जिसे सुनकर मौजूद समस्तजन भाव-विभोर हो उठे। देश के दो शीर्ष संगीतकारों की आवाज में रामभजन सुनकर अयोध्या में मौजूद रामभक्तों समेत देश-विदेश के कोने-कोने से इस आयोजन के साक्षी बने लोगों की आंखें भर आईं। इस दौरान प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के सफल और ऐतिहासिक आयोजन को लेकर उत्तर प्रदेश के संस्कृति विभाग ने खास तैयारियां की थी। बता दें कि, सीएम योगी आदित्यनाथ आयोजन को भव्यतम बनाने का निर्देश दिया था। इस दौरान संस्कृति विभाग द्वारा तैयार किया गए 100 मंचों पर 2,500 लोक कलाकार सांस्कृतिक शोभायात्रा के सारथी बने और नृत्य-गायन-वादन की अनेक विधाओं के जरिए कलियुग की अयोध्या में त्रेतायुग सा दीदार कराया।
इनमें एयरपोर्ट के गेट नंबर-3 के सामने, गुरुदेव पैलेस के सामने, दिशा कोचिंग के सामने, जीवन साथी मैरिज लॉन, साकेत पुरी मोड़, महोबरा ब्रिज से पहले और बाद, महेश योगी रामायण के सामने, सूर्या पैलेस होटल, जानकी रसोई, साकेत पेट्रोल पंप, धर्मपथ से लता चौक की तरफ, लता चौक से श्रीराम पथ की तरफ, रामजन्मभूमि गेट नंबर-1 के सामने, अरुंधति कॉम्पलेक्स से एलईडी वॉल के बगल में टेढ़ी बाजार चौराहे तक, साकेत डिग्री कॉलेज के सामने से लेकर सर्किट हाउस गेट के बगल में तथा रामपथ प्रारंभ, पराग डेयरी, श्रीराम मंदिर गेट से लता चौक की तरफ और होटल राजा राम पैलेस समेत कुल 100 मंचों पर कार्यक्रम सांस्कृतिक का आयोजन किया गया। रामनगरी में सिर्फ अवध ही नहीं, बल्कि पूरा उत्तर प्रदेश नजर आया। वाराणसी के मोहित चौरसिया, राजेश उपाध्याय और दीपक शर्मा ने डमरू वादन से जहां रामनगरी में काशी की महिमा के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत किया तो वहीं, अयोध्या के राजीव लोचन मिश्र ने शंख वादन से अतिथि देवो भवः की परंपरा का साक्षात्कार कराया।
साथ ही गाजीपुर के सल्टू राम और संजय कुमार, आजमगढ़ के सुनील कुमार और मुन्ना लाल ने मंचों पर धोबिया लोकनृत्य की शानदार प्रस्तुति दी। गोरखपुर के छेदी यादव और रामज्ञान ने विंध्याचल आजाद फरुआही नृत्य से पूर्वांचल की माटी की खुशबू बिखेरी, तो गोरखपुर की ही सुगम सिंह शेखावत व राकेश कुमार टीम के साथ वनटांगिया जनजातीय लोकनृत्य का दीदार कराया। इसी के साथ लखनऊ की जूही कुमारी अवधी और मानसी विष्ट ने उत्तरांचल के नृत्य से मेहमानों का स्वागत किया। मथुरा के खजान सिंह व महिपाल ने बम रसिया तो राजेश शर्मा, मणिका, माधव आचार्य और गीतकृष्ण शर्मा मयूर ने लोकनृत्य से ब्रज की खुशबू से समूचे अवध को महका दिया तथा साथ ही झांसी के प्रदीप सिंह भदौरिया की टीम राई लोकनृत्य प्रस्तुत किया।
भाव-विभोर हुए रामभक्त
नव वर्ष की शुरुआत के साथ ही नवशोभित व प्रभु श्रीराम के आगमन पर भक्ति उल्लास में डूबी अयोध्या 21वीं सदी के सबसे बड़े सामाजिक-सांस्कृतिक और धार्मिक उत्कर्ष का गवाह बन चुकी है। इस दौरान लाखों रामभक्तों और श्रद्धालुओं के मन की वह मुराद भी पूरी हो गई, जो करीब 550 सालों पनप रही थी। श्रीरामलला के दिव्य-भव्य नए मंदिर में विराजमान होने के साथ ही हैं। 22 जनवरी, 2024 की तारीख इतिहास में दर्ज हो चुकी है। इस भव्य पारंपरिक व सांस्कृतिक उत्सव के साथ अयोध्या दिन-रात सज-संवर रही है। ऐसे में अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रामलला के बालरूप की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही यह पल धार्मिक नगरी के रूप में अयोध्या के लिए आध्यात्मिक दृष्टि से उत्कर्ष का होगा, बल्कि अवध की अर्थव्यवस्था का बड़ा आधार बनकर भी उभरेगा।
इस भावुक कर देने वाले अवसर पर श्रीरामलला के प्राण प्रतिष्ठा आयोजन को ऐसा स्वरूप प्रदान किया गया था, जिसे युग-युगांतर तक याद रखा जाएगा। अयोध्या के साथ समूचा भारतवर्ष इस ऐतिहासिक सांस्कृतिक व पारंपरिक उत्सव का गवाह बना। प्रभु श्रीराम के अयोध्या आगमन पर देश व दुनियाभर के रामभक्तों ने अपने घरों व आसपास के मंदिरों में रामधुन बजाने के साथ ही रामभजन गाकर श्रीराम के मर्म को चरितार्थ किया। साथ ही लोगों ने दीप प्रज्ज्वलित कर भगवान श्रीराम के अयोध्या स्थित भव्य मंदिर में आगमन के अवसर को दीपावली की भांति उत्साह के साथ मनाया। सनातन संस्कृति की भव्यता व दिव्यता का यह अतुलनीय समागम समस्त रामभक्तों की याद में हमेशा जीवंत रहेगा। इस दौरान जगह-जगह सुन्दरकाण्ड पाठ के साथ ही रामलीला और अन्य पौराणिक व धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। लोगों ने दीयों, मिठाईयों व पटाखों के साथ इस सांस्कृतिक उत्सव को जीवंत बना दिया।
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इस दौरान अयोध्या समते देशभर में सजे कई रंगारंग मंचों पर सांस्कृतिक धुन और भक्ति रस प्रवाह देखने को मिला। अयोध्या महोत्सव में लोक संस्कृति और कला की झलक तो दिखी ही, साथ ही रामकथा और रामायण परंपरा पर आधारित प्रवचनों की श्रृंखला के भी सभी गवाह बने। दरअसल, इस सांस्कृतिक व पारंपरिक उत्सव का मुख्य उद्देश्य देश को एकजुट करने को लेकर रहा। ध्यातव्य है कि, “राम हमारी प्रेरणा और राम ही हमारी आस्था हैं।” सम्पूर्ण जगत के लिए यह सिर्फ एक आम मंदिर या पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि सर्वोपरी तीर्थस्थल है। श्रीराम की अयोध्या त्याग, लोकतंत्र और सम्मान का पाठ पढ़ाती है। सनातन धर्म के धार्मिक अनुष्ठान हमेशा से समर्पण की मिसाल रहे हैं, जिसका परिणाम यह भव्य श्रीराम मंदिर हमारी आंखों के सामने है।
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