लखनऊः सद्भावना ट्रस्ट की ओर से अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं को सशक्त, आत्मनिर्भर और तकनीकी कौशल की जानकारी देने के लिए ‘तोड़ी बंदिशें:कोविड में शादियां’ अभियान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पार्षद गीता पांडे, स्ट्रीट आर्टिस्ट सबिका नकवी, सामाजिक कार्यकर्ता तिताश, कम्प्यूटर प्रशिक्षक उजमा खातून, यूथ लीडर हिंदुजा वर्मा, ग्राफिक डिजाइनर अरूधंति और सबिहा, हुगा, मरियम, बुशरा और समरीन मौजूद रहीं। पार्षद गीता पांडे ने महिलाओं की गतिशीलता और हर कार्यो में उनकी भागीदारी को सराहते हुए उन्हें जीवन में आगे बढ़े की शुभकामनाएं दी।
वहीं सबिका नकवी ने लिंग आधारित भेदभाव पर चर्चा करते हुए, युवा महिलाओं को बिना किसी भेदभाव के अपने अधिकारों को हासिल करने के लिए दिशा दिखायी। कार्यक्रम के दौरान यूथ लीडर हिंदुजा वर्मा ने कहा कि महिला दिवस में महिलाओं के साथ-साथ पुरूषों की भी सहभागिता होनी चाहिए। जिससे वे अपने घर की महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित कर सके। वहीं यासमीन ने कहा कि कोरोना काल में जब लड़कियों की नौकरी छूट गयी तो शादी ही उनकी जिंदगी का विकल्प बन कर रह गया। जिसके कई दुष्प्रभाव भी सामने आये। वरिशा ने कहा कि कोरोना के दौरान लड़कियों को एक प्राॅपर्टी की तरह देखा गया। जिसके तहत लड़कियों की काबिलियत को महत्व नही दिया गया।
यह भी पढ़ेंःराहुल गांधी के बयान पर नरोत्तम का पलटवार, सचिन को लेकर…
इस मौके पर बालिकाओं ने नृत्य और गीत प्रस्तुत किया और कविताएं भी पढ़ी। वहीं कोविड काल में हुई शादियों का लड़कियों के जीवन पर पड़े कुप्रभाव के अनुभाव को साझा किया गया। साथ ही महिला मुद्दों पर आधारित रूचिकर खेल के माध्यम से युवतियों को शिक्षा, नौकरी, स्वास्थ्य और शादी पर चर्चा कर जागरूक करने का भी कार्य किया गया। इस अवसर पर एक फोटो प्रदर्शनी भी लगायी गयी। जहां युवतियों का काम और उनका तकनीकी हुनर देखने को मिला।