Atique Ahmad: 51 दिन में खत्म हो गया 44 साल में बनाया ‘आतंक’ का साम्राज्य, इस दिन से शुरू हुआ था काउंटडाउन…

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लखनऊः माफिया अतीक अहमद (Atique Ahmad) के उत्थान और पतन कहानी किसी बॉलीवुड फिल्म से कम नहीं है। पिछले 51 दिनों में एक के बाद एक चार शूटर मार दिए गए। दो दिन पहले ही जहां एसटीएफ ने झांसी में अतीक के बेटे असद और शूटर गुलाम को एनकाउंटर में मार गिराया था। तो वहीं दो दिन बाद माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को प्रयाराज के काल्विन अस्पताल में बदमाशों ने गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया गया।

इससे पहले दिन ही अतीक के बेटे असद को कसारी मसारी के पुश्तैनी कब्रिस्तान में दफन किया गया था। तमाम तरह की आशंकाओं और पुलिस चौकसी के बीच माहौल तनाव भरा था इसी बीच रात में अतीक और उसके भाई की हत्या कर दी गई। 58 घंटों के अंदर अतीक, उसका बेटा असद, और भाई अशरफ दुनिया से रुखसत हो चुके हैं। जबकि अतीक की पत्नी शाइस्ता फरार है। बहनोई अखलाक और अतीक के दो बेटे जेल में हैं। वहीं दो नाबालिग बेटे बाल सुधार गृह में।

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अतीक का जन्म 1962 में एक साधारण परिवार में हुआ था। उसके पिता परिवार चलाने के लिए तांगा चलाते थे। जीवन में उसका उत्थान उतना ही नाटकीय था, जितना उनका अंत। अतीक अहमद को गरीबी से नफरत थी और हाई स्कूल की परीक्षा में असफल होने के बाद उसने अपने तरीके से गरीबी से निपटने का फैसला किया। उसने ट्रेनों से कोयला चुराकर पैसे कमाने के लिए उसे बेचना शुरू किया। जल्द ही वह रेलवे स्क्रैप के लिए सरकारी निविदा हासिल करने के लिए ठेकेदारों को धमकाने लगा।

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44 साल पहले किया पहला कत्ल

महज 17 साल की उम्र में 1979 में हत्या की पहली घटना को अंजाम देने के बाद अतीक अहमद (Atique Ahmad) ने अपराध की होड़ शुरू कर दी। वह एक के बाद एक अपराध कर रहा था। जल्द ही वह राज्य में कई गैंगस्टरों का नेटवर्क चलाने लगा। उसका दबदबा धीरे-धीरे फूलपुर और कौशाम्बी सहित आसपास के इलाकों में फैल गया। उसके सामने कोई खड़ा होने वाला नहीं था। हालांकि 1980 के दशक में चांद बाबा का आतंक फैला हुआ था । जब अतीक ने पैर पसारना शुरू किया तो चांद बाबा से उसका टकराव शुरू हो गया। इस दौरान चांद बाबा और अतीक के गिरोह के बीच अक्सर गैंगवार होता था।

वहीं 1989 में जब उसके सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी शौकत इलाही को पुलिस मुठभेड़ में मार दिया गया, तो अतीक अंडरवर्ल्ड का बादशाह बन गया। 1989 में पहली बार विधायक बनने के बाद अतीक अहमद ने अपनी बादशाहत कायम करने का प्रयास शुरू किया और आखिरकार चांद बाबा को भी रोशन बाग में मार गिराया। चांद बाबा की हत्या के बाद अतीक ने खुलकर गुंडई शुरू कर दी थी। फिर वह एक बाद एक कत्ल करता गया। धमकी, जमीन पर कब्जा, रंगदारी उगाही करना उसका रोज का धंधा बन गया था। जिसने भी आवाज उठाई, उसे मार दिया।

इलाबाद से लगातार पांच बार बना विधायक

अतीक अहमद 1989 से 2002 तक लगातार पांच बार इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट पर जीत हासिल की। पहले तीन बार निर्दलीय फिर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में विधायक रहा। अंत में अपना दल के उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज की। अपना दल के उम्मीदवार के रूप में जीतने के एक साल बाद, अतीक (Atique Ahmad) वापस सपा में चले गए और 2004 में फूलपुर लोकसभा सीट से जीत गए।

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उन्हें इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा क्षेत्र खाली करना पड़ा, जिसके कारण घटनाओं की एक श्रृंखला राजू पाल की हत्या की ओर ले गई। 24 फरवरी को उस घटना के अहम गवाह उमेश पाल की मौत हो गई थी। अतीक को 2005 में राजू पाल की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और तीन साल बाद जमानत मिल गई थी। 2007 में जब वह जेल में था, अतीक पर मदरसा के कुछ छात्राओं के सामूहिक बलात्कार में कथित रूप से शामिल अपने साथियों को बचाने का आरोप लगा जिसके बाद आक्रोश फैल गया और समाजवादी पार्टी को उसे निष्कासित करना पड़ा।

2008 में किया था आत्मसमर्पण

अतीक अहमद का अपराध और राजनीति के बीच सहजीवी संबंध रहा है, लेकिन वह अपनी राजनीति से ज्यादा अपराध के लिए जाना जाता था। उसने अपने अंडरवर्ल्ड साम्राज्य को बचाने और विस्तार करने के लिए चतुराई से राजनीति का इस्तेमाल किया। अतीक ने 2008 में आत्मसमर्पण किया और जेल चला गया। राजू पाल हत्याकांड और उमेश पाल अपहरण कांड का मामला यूं ही चलता रहा। उमेश पाल मुकदमे की पैरवी करते रहे। इसी बीच 24 फरवरी को उमेश पाल और दो गनर को सुलेम सराय में जीटी रोड पर गोलियों से हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड के बाद पुलिस शूटरों की तलाश में लगी थी तभी एमपी-एमएलए अदालत ने उमेश पाल अपहरण कांड में अतीक अहमद को उम्र कैद की सजा सुना दी।

अतीक और अशरफ को वापस जेल भेज दिया गया। पुलिस ने उन्हें वहां से वापस लाने का अनुरोध किया तो अतीक और अशरफ ने जान मारने की आशंका जताई। फिर दोनों को साबरमती और बरेली जेल से प्रयागराज में नैनी जेल लाया गया। गुरुवार दोपहर अतीक और अशरफ को जब सीजेएम कोर्ट में पेश किया गया था। इस बीच झांसी में पुलिस ने अतीक के बेटे असद और शूटर गुलाम को एनकाउंटर में मार गिराया। बेटे के मारे जाने के बाद अतीक और अशरफ गम में डूबे थे।उधर, अतीक के बेटे असद को शनिवार को दफनाया गया, तब भी अतीक पुलिस हिरासत में रो रहा था। इसलिए अति के 44 साल में बने ‘आतंक’ के साम्राज्य को शूटरों ने रात में ही खत्म कर दिया।

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अतीक के दो बेटे जेल में बंद

बता दें कि अतीक का सबसे बड़ा बेटा उमर वर्तमान में जबरन वसूली, हमला करने और अपहरण करने के आरोप में जेल में है। उमर ने पिछले साल अगस्त में सीबीआई के सामने सरेंडर किया था। वह इस समय लखनऊ जेल में है। उसके खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया गया है। उन्हें हाल ही में उस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिली थी। लेकिन उसके खिलाफ फिरौती का एक और मामला दर्ज है। वह शहर के एक प्रॉपर्टी डीलर से 5 करोड़ रुपये की रंगदारी के आरोप में प्रयागराज की नैनी जेल में बंद है।

तीसरे बेटे असद को पिछले हफ्ते एक मुठभेड़ में मार दिया गया था और अतीक के दो नाबालिग बेटे किशोर आश्रय गृह में बंद हैं। जबकि शनिवार की रात अस्पताल परिसर में तीन युवकों ने अतीक और उसके भाई अशरफ की गोली मारकर हत्या कर दी तो कईयों को इस घटना की भनक लग गई. अतीक ने खुद आशंका जताई थी कि यूपी में उसे मार दिया जाएगा, लेकिन बेटे असद के मारे जाने के 72 घंटे के भीतर ऐसा हो जाएगा इसकी उम्मीद नहीं थी। कहा जाता है कि खूनी शुरुआत का हमेशा खूनी अंत होता है।

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