Thursday, January 23, 2025
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Pune: पुणे में वारकरी भक्तों पर लाठीचार्ज! विपक्ष ने सरकार से मांगी माफी

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मुंबई: शिवसेना (यूबीटी) ने सोमवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से पुणे (Pune) के आलंदी कस्बे से पंढरपुर (Alandi to Pandharpur) तक संत ज्ञानेश महाराज की वार्षिक तीर्थयात्रा में भाग लेने वाले तीर्थयात्रियों पर अकारण पुलिस लाठीचार्ज के लिए महाराष्ट्र के लोगों से माफी मांगने की मांग की। शिवसेना (यूबीटी) के सांसद और मुख्य प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि शिंदे-फडणवीस दोनों को लाठीचार्ज के लिए लोगों और वारकरियों (भगवान विट्ठल के भक्तों) से माफी मांगनी चाहिए।

राउत ने कहा, मुख्यमंत्री पंढरपुर मंदिर (Pandharpur) में वार्षिक पूजा करते हैं, ऐसा व्यवहार वार्षिक तीर्थ यात्रा पर जा रहे लोगों का अपमान है, जब तक मुख्यमंत्री माफी नहीं मांगते, उन्हें विशेष पूजा का कोई अधिकार नहीं है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले, मुख्य प्रवक्ता अतुल लोंधे, राकांपा की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले, राकांपा के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल, विपक्ष के नेता अजीत पवार, मुख्य प्रवक्ता महेश तापसी, शिवसेना (यूबीटी) राउत, सुषमा अंधारे और अन्य नेताओं ने वारकरियों में भाग लिया। पिटाई को लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधा।

लाठीचार्ज से इनकार –

फडणवीस और पुलिस ने स्पष्ट रूप से किसी भी ‘लाठीचार्ज’ से इनकार किया और दावा किया कि यह कुछ वारकरियों के साथ मामूली हाथापाई हुई थी जो रविवार दोपहर कथित रूप से मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे थे। बता दें कि सोशल मीडिया पोस्ट और टीवी क्लिप में भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस के हल्के लाठीचार्ज का सहारा लेने के साथ पुलिस कर्मियों और कुछ वारकरियों के बीच कहासुनी होती दिख रही है। कुछ चश्मदीदों की रिपोर्ट में कहा गया है कि वारकरी प्रशिक्षण संस्थान के 300 से अधिक सदस्यों ने मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया, जिससे विवाद हो गया।

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पुणे से सोलापुर तक की धार्मिक यात्रा –

तीर्थयात्रा में, संत ज्ञानेश्वर महाराज की एक पालकी को आलंदी (पुणे) से पंढरपुर (सोलापुर) तक एक लंबे धार्मिक जुलूस में ले जाया जाता है। पिंपरी-चिंचवाड़ के पुलिस आयुक्त विनय चौबे और डीसीपी विवेक पाटिल और अन्य सरकारी अधिकारियों ने कहा कि किसी को लाठियां नहीं मारी गईं। पुलिस ने वारकरियों से केवल अनुरोध किया था कि वे बिना अनुमति के मंदिर में प्रवेश करने से बचें, क्योंकि गर्भगृह में जगह बहुत छोटा है।

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