हिसार: इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) जिला प्रवक्ता रमेश चुघ ने कहा है कि केंद्र की भाजपा सरकार ने गेहूं के निर्यात पर पाबंदी लगाना किसान विरोधी फैसला किया है। उन्होंने कहा कि गेहूं के निर्यात से गेहूं के दाम बढ़ने थे, लेकिन पाबंदी लगते ही गेहूं के दाम घट गए। रमेश चुघ ने मंगलवार को सरकार के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि गेहूं निर्यात पर पाबंदी किसानों को आर्थिक रूप से कमजोर करने की साजिश है।
उन्होंने कहा कि किसानों ने गेहूं के दाम बढ़ने की आस में भंडारण किया हुआ था उन्हें अब वह लाभ नहीं मिल पाएगा। गेहूं पर पाबंदी लगने की वजह से किसान ऊंची वैश्विक कीमतों का लाभ भी नहीं उठा सकेंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बयान दिया था कि यदि डब्ल्यूटीओ अनुमति देता है तो भारत दुनिया को खाद्य भंडार की आपूर्ति करने के लिए पूरी तरह से तैयार है लेकिन प्रधानमंत्री ने अपने बयान के उलट गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। गेहूं पर पाबंदी लगाकर भाजपा सरकार अपने चहेते पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाना चाहती है। वायदा कारोबार के नाम पर कुछ पूंजीपतियों को निर्यात में छूट दे कर अरबों रूपए कमाए जाएंगे।
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इनेलो जिला प्रवक्ता रमेश चुघ ने कहा कि स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू करने और किसानों की आय दुगनी करने का वायदा करने वाली भाजपा सरकार अब किसानों की आय खत्म करने पर तुली है। भाजपा सरकार की गलत नीतियों के कारण आज खाद, बीज, दवाइयां और डीजल सभी महंगे हो गए हैं जिससे किसानों की फसल की लागत कई गुणा बढ़ गई है। मौसम की मार के कारण अब की बार गेहूं का उत्पादन भी कम हुआ है। किसानों की आय बढ़ाने के लिए एमएसपी की मांग को पूरा करे और स्वामीनाथन रिपोर्ट के अनुसार फसल की लागत पर 50 प्रतिशत मुनाफा दे भाजपा सरकार।
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