कोरोना के खिलाफ जंग में मिला एक और हथियार, शुरू हुआ कॉकटेल ड्रग्स का इस्तेमाल, देखें इसकी…

0
37

नई दिल्लीः भारत में कोरोना के नए मामले लगातार कम हो रहे हैं, लेकिन मौतों का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। वायरस को हराने के लिए डॉक्टर और वैज्ञानिक पूरा प्रयास कर रहे हैं। इस बीच एक अच्छी खबर सामने आई है। कोरोना वायरस को हराने के लिए भारत को अब एक और हथियार मिल गया है। इस वायरस को मात देने में कारगर मोनोक्लोनल एंटीबॉडी यानी कॉकटेल ड्रग्स का राजधानी दिल्ली में इस्तेमाल शुरू हो गया है। स्विट्जरलैंड की ड्रग कंपनी रोशे और सिप्ला ने इसे भारत में लॉन्च किया था।

कॉकटेल ड्रग्स को लेकर वैज्ञानिकों का दावा है कि अगर किसी कोरोना मरीज़ को ये दिया जाता है, तो ये 70 फीसदी तक असर करता है। इसकी मदद से मरीज़ के अस्पताल में भर्ती होने की संभावना कम हो जाती है।

दो दवाइयों के मिश्रण से बनी है कॉकटेल

रिपोर्ट की मानें तो ‘एंटीबॉडी कॉकटेल’ दो दवाइयों को मिलाकर बनाई गई है। जो इस वायरस से लड़ने में किसी मरीज की शक्ति को बढ़ाती है। इसमें कासिरिविमाब और इम्देवीमाब दवाई मिलाई गई है। इन दोनों दवाओं के 600-600 MG मिलाने पर ‘एंटीबॉडी कॉकटेल’ दवा तैयार की जाती है।

विशेषज्ञों का कहना है कि ये दवा कोरोना वायरस को मानवीय कोशिकाओं में जाने से रोकती है, जिससे वायरस को न्यूट्रिशन नहीं मिलता, इस तरह ये दवा वायरस को रेप्लिकेट करने से रोकती है।

यह भी पढ़ेंः-सीएम योगी आदित्यनाथ आज करेंगे सिद्धार्थनगर, बस्ती जनपद का दौरा

कैसे दी जाती है ये दवाई?

एंटीबॉडी कॉकटेल एक तरह का इम्युनिटी बूस्टर ही है, इसे किसी शख्स के कोरोना पॉजिटिव होने के 48 से 72 घंटे के अंदर दिया जाता है। जानकारी के मुताबिक, ये दवाई देने में 20 से 30 मिनट का वक्त लगता है। दवाई के बाद किसी भी मरीज़ को कुछ देर एहतियात के तौर पर निगरानी में रखा जाता है, जिस तरह वैक्सीन के वक्त होता है।