ममता को लगा एक और झटका, पूर्व क्रिकेटर लक्ष्मी रतन ने भी दिया मंत्री पद से इस्तीफा

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कोलकाताः शुभेंदु अधिकारी के बाद ममता बनर्जी की कैबिनेट से एक और कद्दावर मंत्री ने इस्तीफा दे दिया है। पूर्व क्रिकेटर लक्ष्मी रतन शुक्ला ने अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भेजा है। मंगलवार को उन्होंने खुद इस बारे में पुष्टि की है। सीएम ने उनका इस्तीफा स्वीकार भी कर लिया है। वह राज्य कैबिनेट में क्रीड़ा और युवा कल्याण विभाग के मंत्री थे।

सूत्रों के अनुसार मंत्रिमंडल पद छोड़ने के साथ ही उन्होंने हावड़ा जिला तृणमूल अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने इस्तीफे का कोई कारण नहीं बताया है। खबर है कि वह सक्रिय राजनीति से दूर रहेंगे, इसलिए मंत्रिमंडल पद छोड़ा है। हालांकि कुछ करीबी सूत्र यह भी बता रहे हैं कि वह शुभेंदु अधिकारी का हाथ पकड़कर भाजपा में भी शामिल हो सकते हैं। राजनीति से दूरी बनाने संबंधी उनके दावे पर इसलिए भी भरोसा नहीं किया जा रहा है क्योंकि उन्होंने उत्तर हावड़ा से विधायक पद फिलहाल नहीं छोड़ा है और स्पष्ट किया है कि वह कार्यकाल पूरा होने तक विधायक बने रहेंगे।

दरअसल हावड़ा जिले में तृणमूल कांग्रेस की आंतरिक गुटबाजी चरम पर है। कई दिनों से मंत्री राजीव बनर्जी भी इसे लेकर नाराजगी जाहिर कर चुके हैं और सीधे पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करते रहे हैं। कुछ दिन पहले ही हावड़ा के सांसद प्रसून बनर्जी ने लक्ष्मी रतन शुक्ला के कार्यों को लेकर सवाल खड़ा किया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि हावड़ा जिलाध्यक्ष बनने के बाद से लक्ष्मी रतन शुक्ला ने कोई सक्रियता नहीं दिखाई है। इसके चार दिनों के बाद ही अब उन्होंने जब मंत्रिमंडल पद छोड़ दिया है तो तृणमूल कांग्रेस में भी स्तब्धता छाई हुई है।

शुक्ला से बात करेगी पार्टी

सांसद सौगत रॉय ने कहा कि लक्ष्मी रतन ने कभी भी अपनी नाराजगी पार्टी को नहीं बताई। अगर पार्टी के अंदर कोई समस्या थी तो उन्हें बतानी चाहिए थी। उनसे बात की जाएगी।

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कई लोग आएंगे-जाएंगे कोई फर्क नहीं पड़ता : अरूप रॉय

हावड़ा जिला तृणमूल के वरिष्ठ नेता अरूप रॉय ने लक्ष्मी रतन के इस्तीफे के संबंध में कहा है कि इससे पार्टी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने इस्तीफे के बारे में अभी तक कोई जानकारी हासिल नहीं की है। उन्होंने कहा कि लक्ष्मी रतन के साथ मेरा संबंध छोटे भाई की तरह है। इस तरह से जिलाध्यक्ष और मंत्रिमंडल से पद छोड़ने का मतलब है कि युद्ध के समय सेनापति का भाग जाना। उन्होंने क्यों इस्तीफा दिया है, इस बारे में बात की जाएगी।