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Anna Mani Birthday: कौन है अन्ना मणि ? जिसने मौसम की भविष्‍यवाणी का तरीका ही बदल दिया

नई दिल्लीः भारतीय मौसम विज्ञानी अन्ना मणि के 104वें जन्मदिन पर सर्च इंडन Google ने आज स्पेशल डूडल बनाया है। अन्ना मणि का भारतीय मौसम विभाग में काफी योगदान रहा है। मौसम का अवलोकन करने वाले उपकरणों के डिजाइन में उन्होंने अहम भूमिका निभाई है। आज मौसम का पूर्वानुमान लगाना अगर संभव हो पाया है तो सिर्फ अन्ना मणि की देन है। जो भारत के मौसम के पहलुओं को मापने और पूर्वानुमान लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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पढ़ाई से था बड़ा लगाव

बता दें कि महान भारतीय मौसम विज्ञानी अन्ना मणि का जन्म 23 अगस्त, 1918 को भारत के केरल राज्य के पीरूमेडू में हुआ था। उन्हें 'भारत की मौसम महिला' के नाम से भी जाना जाता है। अन्ना मणि के प्रयास से ही भारत में मौसम का पूर्वानुमान संभव हुआ है ।अन्ना मणि को आज गूगल ने खास डूडल बनाकर सलाम किया है। क्रिश्‍चन परिवार में जन्‍मी अन्‍ना मणि को पढ़ाई से बड़ा लगाव था। किताबें पढ़ने का जुनून ऐसा कि 12 साल की होते-होते उन्‍होंने अपनी पब्लिक लाइब्रेरी की लगभग हर किताब पढ़ ली थी। पिता सिविल इंजीनियर थे और इलायची के बड़े बागानों के मालिक थे।

भारत की मौसम महिला

नोबेल विजेता प्रफेसर सीवी रमन की स्‍टूडेंट रहीं अन्ना मणि ने साल 1939 में चेन्नई तब मद्रास के प्रेसिडेंसी कॉलेज से भौतिक और रसायन विज्ञान में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की और 1940 में भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर में रिचर्स के लिए स्कॉलरशिप प्राप्त की। इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए अन्ना मणि 1945 में इंपीरियल कॉलेज लंदन चली गईं। जहां से वो मौसम का हाल बताने वाले उपकरणों की एक्‍सपर्ट बनकर लौटीं।

1948 में अन्ना मणि वापस भारत लौटी तो उन्होंने मौसम विभाग में नौकरी की शुरुआत की और देश में मौसम पूर्वानुमान का तरीका बदलकर रख दिया। 1953 आते-आते अन्‍ना मणि ऐसी धाक जमा चुकी थीं कि मर्दों से भरे इस क्षेत्र में वह बॉस की कुर्सी तक पहुंच गईं। उन्होंने मौसम विज्ञान उपकरणों से संबंधित कई रिसर्च पेपर भी लिखे हैं। वहीं मौसम विभाग में काम करने के दौरान 1969 में अन्ना मणि को विभाग का उप महानिदेशक बनाया गया। इतना ही नहीं उन्होंने बंगलुरु में एक कार्यशाला भी स्थापित किया। इस कार्यशाला से ही अन्ना मणि हवा की गति और सौर ऊर्जा को मापने का काम करती थीं। उन्हें भारत की मौसम महिला के नाम से जाना जाता था।

गांधीवादी विचारधारा से थी प्रभावित

गांधीवादी विचारधारा से वह काफी प्रभावित थीं। पूरी जिंदगी गांधी जी के मूल्यों पर चलीं। वह ज्यादातर खादी के कपड़े पहनती थीं। साल 1987 में उन्हें INSA केआर रामनाथन मेडल से सम्मानित किया गया। आखिरी पलों में अन्ना मणि तिरुवनंतपुरम में रहती थीं। मणि ने विज्ञान के अलावा जिंदगी में किसी को आने नहीं दिया। उन्‍होंने कभी शादी नहीं की। 1996 में स्ट्रोक (पक्षाघात या ब्रेन अटैक) आने के बाद से वह पब्लिक लाइफ से दूर हो गईं। 16 अगस्‍त, 2001 को तिरुवनंतपुरम में उन्‍होंने अंतिम सांस ली।

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