भूस्खलन ने मिटाया प्राचीन मंदिर का अस्तित्व, श्रद्धालुओं पर टूटा प्रकृति का प्रकोप

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शिमला: राजधानी शिमला के समरहिल स्थित प्राचीन शिव बावड़ी मंदिर (Shimla Shiv temple) का नामोनिशान पहाड़ी से आए मलबे और बड़े-बड़े पत्थरों ने चंद सेकेंड में ही मिटा दिया। श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को मंदिर में आने वाले भक्तों के बीच वितरित करने के लिए खीर का प्रसाद तैयार किया जा रहा था। मंदिर समिति के लोग सुबह-सुबह प्रसाद बनाने की तैयारी में लगे थे। मंदिर में दो दर्जन से अधिक लोग मौजूद थे, जो शिवलिंग का अभिषेक करने आये थे, तभी ऐसी तबाही मची जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी।

दरअसल, रातभर हुई मूसलाधार बारिश के बाद सुबह करीब 7.15 बजे पहाड़ी ढह गई और मंदिर ध्वस्त (Shimla Shiv temple) हो गया। भूस्खलन से मौके पर अफरातफरी मच गई। तबाही (Shimla Shiv temple) का मंजर देखकर हर कोई हैरान रह गया। इस दर्दनाक घटना के बाद मौके पर अफरा-तफरी मच गई। पुलिस और प्रशासन की टीम ने राहत एवं बचाव कार्य शुरू किया। हादसे के करीब दो घंटे बाद दो मासूम बच्चों के शव क्षत-विक्षत हालत में मिले। राहत और बचाव दल ने मौके से 9 शव बरामद किए हैं और करीब दो दर्जन लोग अभी भी लापता हैं।

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समरहिल से लगभग एक किलोमीटर दूर है मंदिर

हादसे का शिकार हुआ शिव बावड़ी मंदिर शिमला का एक प्राचीन मंदिर है। यह उपनगर समरहिल से लगभग एक किलोमीटर दूर है। मंदिर परिसर के पास आवासीय कॉलोनियां हैं। इस क्षेत्र में रहने वाले अधिकांश लोगों में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के शिक्षक और छात्र शामिल हैं। मंदिर परिसर में तीन शिवलिंग, भगवान राम, कृष्ण, हनुमान, नारायण, शिव-पार्वती-गणेश की मूर्तियाँ हैं।

वार्षिक भंडारे की चल रही थीं तैयारियां

मंदिर परिसर में पुजारियों के रहने के लिए पांच कमरे हैं। यहां कई वर्षों तक गढ़वाल के पुजारियों ने पूजा-पाठ का कार्य संभाला था। मंदिर परिसर में हवन और बड़े धार्मिक आयोजन भी हुए। इस मंदिर के पास एक बावड़ी होने के कारण इस स्थान का नाम शिब बावड़ी पड़ा। हाल के वर्षों में मंदिर समिति ने इस मंदिर को भव्य रूप दिया है। इस मंदिर में 15 अगस्त को वार्षिक भंडारे का आयोजन किया गया था, जिसकी तैयारियां चल रही थीं।

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