Saturday, January 18, 2025
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Amritpal Singh: कड़ी सुरक्षा के बीच पंजाब से असम की डिब्रूगढ़ जेल पहुंचा अमृतपाल सिंह

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डिब्रूगढ़ः ‘वारिस पंजाब दे’ का प्रमुख व खलीस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह (amritpal singh) को आखिरकार पंजाब पुलिस ने 36 दिनों बाद गोमा से गिरफ्तार कर लिया है। अमृतपाल सिंह को पंजाब में गिरफ्तारी के बाद रविवार को उसे कड़ी सुरक्षा के बीच असम के डिब्रूगढ़ केंद्रीय जेल शिफ्ट किया गया। इससे पहले इसे पंजाब के बठिंडा एयरपोर्ट से डिब्रूगढ़ के मोहनबाड़ी एयरपोर्ट पर उतारा गया था। पंजाब पुलिस और राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी के अधिकारियों की एक टीम ‘वारिस पंजाब डे’ प्रमुख के साथ डिब्रूगढ़ पहुंची। मोहनबाड़ी एयरपोर्ट पर असम पुलिस की एक टीम पहले से ही वहां मौजूद थी।

हालांकि अमृतपाल के डिब्रूगढ़ पहुंचने पर असम पुलिस ने कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की। जेल के बाहर सुरक्षा और भी ज्यादा सख्त कर दी गई है। पहले से ही कड़ी सुरक्षा व्यवस्था थी, लेकिन रविवार को और सुरक्षाकर्मी तैनात कर दिए गए। आम लोगों को जेल के पास जाने की इजाजत नहीं है। इस जेल में अमृतपाल सिंह के चाचा हरजीत सिंह और अमृमतपाल के करीबी पापलप्रीत समेत 9 अन्य आरोपी पहले से ही यहां बंद हैं।

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बता दें कि 18 मार्च से फरार 30 वर्षीय अमृतपाल सिंह को रविवार सुबह मोगा जिले के रोडे से गिरफ्तार किया गया, जो कि जरनैल सिंह भिंडरावाले का पैतृक गांव है। भिंडरावाले भारतीय सेना के 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार में मारा गया था। फरवरी में अमृतपाल तब चर्चा में आया जब उसके नेतृत्व में भीड़ ने पुलिस के साथ संघर्ष किया और अमृतसर के पास एक पुलिस स्टेशन का घेराव कर अपने एक साथी को रिहा करने की मांग की, जिसे अपहरण के एक कथित मामले में हिरासत में लिया गया था। इस खूनी संघर्ष में छह पुलिसवाले जख्मी हो गए थे।

थाने में हमला कर चर्चा में आया था अमृतपाल

अमृतपाल सिंह पहली बार 23 फरवरी को सुर्खियों में आए, जब उन्होंने अपने करीबी दोस्त तूफान सिंह को छुड़ाने के लिए हजारों समर्थकों के साथ अजनाला में पुलिस स्टेशन पर हमला किया। 6 पुलिसकर्मी जख्मी हो गए थे। इसके बाद उसने एक इंटरव्यू में अलग खालिस्तान की मांग कर डाली। इतना ही नहीं अमृतपाल ने देश के गृहमंत्री अमित शाह को भी धमकी डाली। अमृतपाल के समर्थक उसकी तुलना खालिस्तानी आतंकवादी भिंडरावाले से करते हैं। सूत्रों की माने तो अमृतपाल सिंह नशामुक्ति केंद्रों और गुरुद्वारे का इस्तेमाल हथियार रखने और युवाओं को आत्मघाती हमले की ट्रेनिंग देता था।

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