जगदलपुर: हिंदू पंचाग में कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर जिले में बुधवार को महिलाओं ने आंवले के पेड़ की पूजा कर आंवला नवमी मनाया। शहर के लक्ष्मी नारायण मंदिर में महिलाओं ने कार्तिक स्नान कर आंवले के तने के समक्ष कपूर और घी का दीपक जलाकर पूजा करने के बाद आंवला नवमी की कथा सुनी। पेड़ की ग्यारह परिक्रमा कर पति और पुत्र की लंबी उम्र के लिए आंवला पेड़ पर रक्षा सूत्र बांधा।
लक्ष्मी नारायण मंदिर के पुजारी किशोर तिवारी ने बताया कि, आंवला नवमी को अक्षय नवमीं के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में आंवला नवमी का विशेष महत्व है। आंवला नवमी के दिन आंवला के वृक्ष की पूजा कर परिवार की खुशहाली और सुख-समृद्धि की कामना की जाती है। इसके साथ ही इस दिन वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन किया जाता है, तथा प्रसाद के रूप में भी आंवला खाया जाता है।
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पंडित किशोर तिवारी ने बताया कि, माता लक्ष्मी ने विचार किया कि एक साथ भगवान विष्णु व शिव की पूजा कैसे हो सकती है। तभी उन्हें ख्याल आया कि, तुलसी व बेल का गुण एक साथ आंवले में पाया जाता है। तुलसी भगवान विष्णु को और बेल शिव को प्रिय हैं। उन्होंने बताया कि, कथा के अनुसार एक बार माता लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करने आईं। रास्ते में भगवान विष्णु एवं शिव की पूजा एक साथ करने के लिए आंवले के पेड़ की पूजा की थी, तभी से आंवला नवमी पूजा का प्रचलन चला आ रहा है।
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