नई दिल्लीः द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 6 अगस्त 1945 को आज से ठीक 76 साल पहले अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा शहर पर दुनिया का सबसे पहला परमाणु बम हमला किया था। इसके ठीक तीन दिन बाद जापान के ही नागासाकी शहर पर दूसरा विनाशकारी परमाणु बम गिराया गया। अमेरिका के इस हमले में दोनों शहर लगभग पूरी तरह तबाह हो गए थे। इस दौरान दो लाख से अधिक लोगों की मौत हो गई और त्रासदी में जो बच गए उनकी जिंदगी नर्क से बदतर हो गई।
शहर का 80 फीसदी हिस्सा पूरा तरह से हो गया तबाह
दरअसल 6 अगस्त 1945 को सुबह करीब आठ बजे जब हिरोशिमा शहर पर यह विनाशकारी बम गिराया गया तब वहां का तापमान कुछ ही सेकेंड इतना ज्यादा बढ़ गया कि लोग जलकर खाक हो गए। एक मिनट के अंदर ही शहर का 80 फीसदी हिस्सा पूरा तरह से राख हो गया।
यह तबाही यही नहीं रुकी, इसके बाद परमाणु विकिरण से जुड़ी बीमारियों के चलते हजारों लोगों की जान गई । एक अध्ययन के मुताबिक, बम गिरने की जगह के 29 किलोमीटर इलाके में काली बारिश हुई। जिससे मौतों का आंकाड़ तेजी से बढ़ा और इस काली बारिश के संपर्क में आने वाली सभी चीजे दूषित हो गई।
यह भी पढ़ेंः-राजस्थान फोन टैपिंग : मुख्यमंत्री गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा की याचिका पर टली सुनवाई
अभी भी दिव्यांग पैदा होते हैं बच्चे
अमेरिका द्वारा 9 अगस्त को नागासाकी शहर पर किए गए दूसरे परमाणु बम से हमले में जापान पूरी तरह बर्बाद हो गया। यहां मरने वालों का सटीक आंकड़े आज तक पता नहीं चल सका, लेकिन माना जाता है कि हिरोशिमा में करीब 1.40 लाख और नागासाकी में करीब 70 हजार लोगों की मौत हुई थी। इसके अलावा हजारों लोग घायल हुए। इससे उत्पन्न विकिरण के कारण आज तक इस इलाके में कई बच्चे दिव्यांग पैदा होते हैं। यही नहीं जापान के लोगों में आज भी इस त्रासदी जख्म मौजूद हैं। इस त्रिासदी को याद कर आज भी यहां लोग सहम जाते हैं।