वाराणसीः रंगभरी एकादशी के अवसर पर सोमवार को हरिश्चंद्रघाट पर अदभुत नजारा दिखा। बाबा मशाननाथ (महादेव) के भक्तों ने औघड़ साधु एवं संतों के साथ शिव के गण प्रतीक रूप में प्रेत, पिशाच का भेष धरे कलाकारों के साथ बैंड बाजे की धुन पर चिता भस्म से जमकर होली खेली। घाट पर लोगों का अंदाज देख विदेशी भी इसमें उत्साह से शामिल हुए। घाट पर जलती चिताओं के बीच भूत-प्रेत-पिशाच का भेष धरे कलाकारों का उत्साह देख हर-हर महादेव का गगनभेदी उद्घोष गूंजता रहा। डोम राजा परिवार के साथ बड़ी संख्या में आम लोग इस उत्सव में शामिल हुए।
इसके पहले काशी मोक्षदायिनी सेवा समिति ने रविन्द्रपुरी स्थित क्रीं कुंड के पास से शोभायात्रा निकाली। शोभायात्रा में सबसे आगे रथ पर बाबा मशाननाथ के विशाल चित्र के साथ महिलाएं और पुरुष शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करते चल रहे थे। रथों पर सवार संत भस्म की होली खेलते लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बने रहे। शोभयात्रा में बग्घी और ट्रक पर शिव तांडव और नृत्य करते कलाकार चल रहे थे। इसमें शामिल लोग पूरे राह हर-हर महादेव का उद्घोष करते रहे। नर-मुंड की माला पहने औघड़ बाबा मशान नाथ के जयकारे लगाते रहे। हरिश्चंद्रघाट पर बाबा मशाननाथ स्थल पर शोभायात्रा का समापन हुआ। इसके बाद परम्परागत रूप से चिता भस्म की होली खेली गई।
ये भी पढ़ें..Punjab: भगवंत मान ने लोकसभा की सदस्यता से दिया इस्तीफा, 16…
इस दौरान भूत पिशाच बटोरी दिगंबर, खेले मसाने में होरी गीत पर औघड़ संतों के शिव तांडव नृत्य का अंदाज देख लोग आह्लादित होते रहे। होली के बाद बाबा का आशीर्वाद लिया गया और होली की परंपरा का निर्वहन किया गया। उल्लेखनीय है कि मोक्ष तीर्थ मणिकर्णिका पर चली आ रही वर्षों पुरानी इस परम्परा को विस्तार देने के लिए काशी मोक्षदायिनी सेवा समिति के सदस्यों ने हरिश्चंद्र श्मशानघाट पर भी चिता भस्म होली खेलने की शुरुआत की है। राग विराग का यह दृश्य काशी में ही देखने को मिलता है।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें…)