Sawan Month 2023: बांदाः बुन्देलखंड के बांदा जिले में जमीन से 800 फीट ऊपर पहाड़ियों पर स्थित कालिंजर किले को अगर कालजयी कहा जाए तो गलत नहीं होगा। इस किले का उल्लेख 18 पुराणों और चारों वेदों में मिलता है। इस किले में नीलकंठ महादेव मंदिर है। जहां समुद्र मंथन से निकले विष का रहस्य छिपा हुआ है। बुन्देलखण्ड विकास पर्यटन समिति के अध्यक्ष श्यामजी निगम ने बताया कि लोक मान्यता है कि महादेव ने विष पीने के बाद यहीं तपस्या कर विष के प्रभाव को समाप्त कर काल की गति को हराया था।
पांच फीट ऊंचा अनोखा है शिवलिंग
पांच फीट ऊंचा यह शिवलिंग दुनिया में अनोखा और इकलौता है, जिससे पसीने के रूप में विष निकलता रहता है। यहां सावन के महीने में शिवभक्तों का सैलाब उमड़ता है। यहां बांदा के अलावा मध्य प्रदेश के आसपास के जिलों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु जलाभिषेक करने आते हैं। कालिंजर का भारत के इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। रणनीतिक दृष्टि से स्थित इस किले पर कब्ज़ा करने के लिए प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक काल में कई निर्णायक लड़ाइयाँ लड़ी गईं, लेकिन कालिंजर का महत्व केवल सैन्य दृष्टि से ही नहीं है। यह स्थान सांस्कृतिक एवं धार्मिक गौरव का भी प्रतीक है। कालिंजर में प्राचीन नीलकंठ का प्रसिद्ध मंदिर, ’काल भैरव’ की सबसे ऊंची मूर्ति और आसपास की अन्य मूर्तियां इस स्थान के महत्व को बढ़ाती हैं।
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नीलकंठ मंदिर कालिंजर के मुख्य आकर्षणों में से एक है। इसका निर्माण चंदेल शासक परमादित्य देव ने करवाया था। मंदिर के रास्ते में पत्थरों पर भगवान शिव, काल भैरव, गणेश और हनुमान की मूर्तियाँ खुदी हुई हैं। इतिहासकार बताते हैं कि यहीं पर शिव ने समुद्र मंथन के बाद निकला विष पिया था। किले में कई मंदिर हैं जो तीसरी-पांचवीं शताब्दी के गुप्त राजवंश के समय के हैं। उन्होंने बताया कि कालिंजर के किले पर शासन करने वाले राजवंशों में दुष्यन्त-शकुंतला के पुत्र भरत का नाम सबसे पहले आता है। इतिहासकारों के अनुसार भरत ने चार किले बनवाये थे जिनमें कालिंजर सबसे महत्वपूर्ण है।
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