Ajmer: BJP पुराने चेहरों पर लगा रही दांव, कांग्रेस प्रत्याशी घोषित होने का इंतजार

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अजमेर: भारतीय जनता पार्टी ने अजमेर में पुराने चेहरों पर ही दांव लगाया है। आम तौर पर सभी पुराने विधायकों के चाल, चरित्र और चेहरे पर भरोसा करते हुए उन्होंने एक बार फिर जनता के बीच विश्वास हासिल करने के लिए उन्हें मैदान में उतारा है। अजमेर उत्तर से वासुदेव देवनानी, दक्षिण से अनिता भदेल पांचवीं बार, ब्यावर से शंकर सिंह रावत चौथी बार, पुष्कर से सुरेश सिंह रावत तीसरी बार और नसीराबाद से रामस्वरूप लांबा दूसरी बार चुनाव लड़ेंगे।

किशनगढ़ में सांसद भागीरथ चौधरी और केकड़ी में शत्रुघ्न गौतम को पहले ही उम्मीदवारी दी जा चुकी है। चौधरी दो बार और गौतम भी एक बार विधायक रह चुके हैं। यह अलग बात है कि चौधरी वर्तमान में अजमेर से सांसद हैं। बीजेपी की सूची जारी होने के बाद सभी जन प्रतिनिधियों के आवास पर जश्न का माहौल है। लोग उन्हें बधाई देने आ रहे हैं। वहीं, कई महत्वाकांक्षी नेता, जो पिछले कुछ महीनों से उम्मीदवार बनाये जाने की उम्मीद में जोर-आजमाइश कर रहे थे, निराशा में घर बैठ गये हैं। अब उन्हें मनाने का दौर चलेगा। टिकट के दावेदारों की हालत बेहद खराब हो गई है। पुराने और चार बार के विजयी प्रत्याशियों का चेहरा बदलने की उम्मीद में उन्होंने अजमेर में खुलेआम विरोध शुरू कर दिया था। अब उन्हें अपना चेहरा छुपाना मुश्किल हो रहा है। भाजपा नेता सुभाष काबरा, पूर्व सभापति सुरेंद्र सिंह शेखावत, उप महापौर नीरज जैन, होटल व्यवसायी कंवलप्रकाश किशनानी, पैन व्यवसायी हरीश गिडवानी जैसे एक दर्जन से अधिक उम्मीदवारों ने उत्तर से टिकट मांगा था। अजमेर के टिकट तय होने के बाद समय आने पर ही पता चलेगा कि इनमें से कौन निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ने की हिम्मत करेगा।

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इस बार अजमेर उत्तर से देवनानी और अजमेर दक्षिण से अनिता भदेल का विरोध उनकी पार्टी में भी जोरदार है, इसमें कोई संदेह नहीं है। ऐसे में यह किसी भी कीमत पर नहीं समझा जा सकता कि इस बार का चुनाव सिर्फ कमल के फूल के आधार पर एकतरफा हो। अब सबकी नजर कांग्रेस के टिकट पर है कि वह किसे मैदान में उतारती है। फिलहाल धर्मेंद्र राठौड़, महेंद्र सिंह रलावता, विजय जैन प्रमुख दावेदार हैं। लेकिन एक सोच यह भी है कि अगर कांग्रेस भी यहां से सिंधी उम्मीदवार उतारती है तो बीजेपी के समीकरण बिगड़ सकते हैं।

यहां तक कि अनिता भदेल का भी विरोध किया गया। उनके खिलाफ लोग जयपुर प्रदेश कार्यालय भी पहुंचे थे। लेकिन दक्षिण में उनके पास कोई विकल्प नहीं था। कुछ कार्यकर्ताओं को उनके बदलते व्यवहार पर आपत्ति थी। लेकिन यह विरोध का कोई कारण नहीं था। उनका टिकट पहले से ही तय माना जा रहा था। ब्यावर से शंकर सिंह रावत और पुष्कर से सुरेश रावत पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे। लेकिन जातीय समीकरण और जीत की संभावनाओं को देखते हुए दोनों के टिकट बचा लिये गये। लेकिन अगर दोनों जगह बागी रावत उम्मीदवार चुनाव लड़ते हैं तो मुकाबला दिलचस्प हो जाएगा।

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