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जम्मू एयरबेस हमले के बाद अलर्ट हुई वायुसेना, लिया ये बड़ा निर्णय

नई दिल्लीः जम्मू हवाई अड्डे पर 26/27 जून की रात को हुए ड्रोन अटैक के बाद भारतीय वायु सेना ने 10 एंटी-ड्रोन सिस्टम खरीदने के लिए भारतीय विक्रेताओं के लिए टेंडर जारी करके सूचनाएं मांगी हैं। वायुसेना को ऐसे एंटी-ड्रोन सिस्टम चाहिए जो दुश्मन के ड्रोन का पता लगाने, ट्रैक करने और उन्हें बेअसर करने में सक्षम हों। साथ ही सिस्टम में ड्रोन को मार गिराने के लिए लेजर निर्देशित ऊर्जा हथियार (लेजर-डीईडब्ल्यू) की तकनीक अवश्य होनी चाहिए।

भारतीय वायु सेना (आईएएफ) ने विशेष रूप से भारतीय विक्रेताओं से 10 काउंटर मानव रहित विमान प्रणाली (सीयूएएस) खरीदने की योजना बनाई हैए जिसे आम बोलचाल में एंटी-ड्रोन सिस्टम के रूप में जाना जाता है। वायुसेना के सूत्रों ने सोमवार को बताया कि जम्मू हवाई अड्डे पर 26/27 जून की रात को हुए ड्रोन अटैक के दूसरे दिन ही बोलियां आमंत्रित करने के लिए सूचना के लिए अनुरोध (आरएफआई) जारी किया गया है। जम्मू हवाई अड्डे पर देश में अपनी तरह का पहला अटैक किया गया था, जिसमें दो कम तीव्रता वाले तात्कालिक विस्फोटक उपकरण एक ड्रोन से गिराए गए थे। बाद में जम्मू स्टेशन पर एक ड्रोन रोधी प्रणाली स्थापित की गई है।

वायुसेना ने आरएफआई में कहा है कि वह स्वदेशी माध्यम से 10 सीयूएएस की खरीद करना चाहता है। वायुसेना को ऐसे एंटी-ड्रोन सिस्टम चाहिए जो दुश्मन के ड्रोन का पता लगाने, ट्रैक करने और उन्हें बेअसर करने में सक्षम हों। साथ ही सिस्टम में ड्रोन को मार गिराने के लिए लेजर निर्देशित ऊर्जा हथियार (लेजर-डीईडब्ल्यू) तकनीक अवश्य होनी चाहिए। आरएफआई के अनुसार एंटी-ड्रोन सिस्टम की बुनियादी विशेषताओं में 'मल्टी-सेंसर, मल्टीकिल सॉल्यूशन' का प्रावधान शामिल है, जो 'नो-फ्लाई' जोन में प्रभावी हों और आसपास के पर्यावरण को न्यूनतम क्षति पहुंचाएं। यह सीयूएएस क्रॉस कंट्री क्षमता वाले स्वदेशी विद्युत आपूर्ति प्रणालियों द्वारा संचालित किये जा सकें और इन्हें हवाई और सड़क मार्ग से ले जाने में आसानी हो।

आरएफआई में कहा गया है कि सिस्टम में यूएवी का पता लगाने के लिए एक चरणबद्ध सरणी रडार होना चाहिए, यूएवी की फ्रीक्वेंसी का पता लगाने के लिए रेडियो फ्रीक्वेंसी सेंसर और दुश्मन के यूएवी का पता लगाने के लिए इलेक्ट्रो ऑप्टिकल और इन्फ्रारेड प्रणाली होनी चाहिए। इसमें सॉफ्ट किल विकल्प होना चाहिए, जिसमें ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट जैमर सिस्टम और आरएफ जैमर और हार्ड किल ऑप्शन (लेजर-डीईडब्ल्यू) शामिल हो सकते हैं। सॉफ्ट किल का मतलब ड्रोन के संचार या नेविगेशन संकेतों को जाम करना और 'हार्ड किल' का मतलब ड्रोन को पूरी तरह नष्ट करके मार गिराना है।

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नौसेना ने पहले ही इजरायली एंटी-ड्रोन सिस्टम स्मैश 2000 प्लस के लिए ऑर्डर दे रखा है, जो असॉल्ट राइफल्स को स्मार्ट हथियारों में बदल देता है, जिससे फर्स्ट-शॉट हिट और एंटी-ड्रोन ऑपरेशन सक्षम होते हैं। ये सिस्टम शत्रुतापूर्ण ड्रोन और मानव रहित हवाई प्रणालियों का पता लगाते हैं और उन्हें रोकते हैं। इनका उपयोग खुफिया जानकारी एकत्र करने या प्रतिबंधित सामग्री की तस्करी या विस्फोटकों को तैनात करने के लिए किया जा सकता है। सीयूएएस को सैन्य ठिकानों, हवाई अड्डों, महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे और अन्य महत्वपूर्ण स्थलों की सुरक्षा के लिए तैनात किया जाता है।