नई दिल्लीः अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के नाम बदलने को लेकर बवाल मचा हुआ है। फैकल्टी एसोसिएशन ने एम्स का नाम बदलने पर चर्चा पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह के किसी भी कदम से एम्स की पहचान का नुकसान होगा। एम्स जिसकी पहचान वहां के डॉक्टरों, सस्ते इलाज और भारत में भरोसेमंद अस्पताल के तौर पर है, क्या उसका नाम बदला जाना चाहिए? एम्स (AIIMS) के डॉक्टरों की फैकल्टी एसोसिएशन ने चिट्ठी लिखकर सदस्यों से सुझाव मांगे हैं कि देश के 23 एम्स के नामों को क्या बदला जाना चाहिए।
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देश भर के एम्स से मांगी गई राय
एम्स पटना, एम्स रायपुर, एम्स रायबरेली, एम्स ऋषिकेश, एम्स भोपाल, एम्स भुवनेश्वर, एम्स जोधपुर, एम्स नागपुर और एम्स मदुरै को नामों के संबंध में सुझाव दिए गए हैं। छह नए भोपाल, भुवनेश्वर,एम्स पटना, रायपुर – छत्तीसगढ़ , जोधपुर और ऋषिकेश को प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के पहले चरण में मंजूरी दी गई थी और इनका संचालन शुरू हो चुका है। 2015 और 2022 बने 16 एम्स में से 10 में एमबीबीएस और ओपीडी शुरू की गई हैं, जबकि दो में केवल एमबीबीएस कक्षाएं शुरू की गई हैं। चार संस्थान निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं। एम्स दिल्ली 1956 में बना है और यह देश की पहचान है ।
फैकल्टी ने चताई चिंता
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एफएआईएमएस) के फैकल्टी एसोसिएशन ने एम्स का नाम बदलने की चर्चा पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह के किसी भी कदम से संस्थान की पहचान खत्म हो जाएगी। अगर पहचान खो गई है, तो देश के भीतर और बाहर दोनों जगह संस्थागत मान्यता खो जाएगी। यही कारण है कि प्रसिद्ध और स्थापित संस्थानों का सदियों से एक ही नाम है-चाहे वह ऑक्सफोर्ड, कैम्ब्रिज या हार्वर्ड हो। भारत, IIT का एक नाम है जो संस्थान को एक पहचान देता है, और उन्हें बदलने का कोई प्रस्ताव नहीं है। एम्स के लिए भी यही सच है,” पत्र पढ़ा। इसके अलावा, पहचान की भावना इतनी मजबूत है कि कलकत्ता, बॉम्बे और मद्रास विश्वविद्यालय एक ही नाम के साथ जारी हैं, भले ही वे जिन शहरों में स्थित हैं, उनका नाम बदलकर कोलकाता, मुंबई और चेन्नई कर दिया गया है।
नाम बदलने का आया था प्रस्ताव
सूत्रों की माने तो स्वास्थय मंत्रालय ने देश के 23 एम्स से नाम बदलने से जुड़े प्रस्ताव मांगे थे। अभी एम्स पटना, एम्स भुवनेश्वर समेत सभी एम्स अपने शहरों के नाम से जाने जाते हैं लेकिन फैकल्टी एसोसिएशन का मानना है कि चैन्नई, कोलकाता और मुंबई जैसे शहरों के नाम बदलने के बावजूद वहां मद्रास हाई कोर्ट और मद्रास यूनिवर्सिटी, कलकत्ता हाईकोर्ट और यूनिवर्सिटी इसी तरह बॉम्बे यूनिवर्सिटी हैं तो एम्स के साथ ऐसा करने का क्या तुक है। सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार स्थानीय नायकों, स्वतंत्रता सेनानियों और ऐतिहासिक स्मारकों के नाम पर 23 एम्स के नाम रखना चाहती है।
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