Saturday, January 4, 2025
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एम्स के निदेशक बोले-बेवजह सीटी स्कैन कराने से बचें लोग, बढ़ता है कैंसर का खतरा

नई दिल्ली: कोरोना की जांच के लिए बिना जरूरत सीटी स्कैन और बायो मार्कर टेस्ट करवाने वाले लोग सावधान हो जाएं। इन टेस्ट से शरीर को फायदे से ज्यादा नुकसान हो सकता है। एक सीटी स्कैन 300 एक्स-रे करवाने के बराबर होता है। सोमवार को आयोजित प्रेस वार्ता में यह जानकारी देते हुए एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बताया कि आजकल कोरोना का टेस्ट पॉजिटिव आने के बाद ही लोग ज्यादा सीटी स्कैन करा रहे हैं, जिसकी जरूरत नहीं है। इस टेस्ट के ज्यादा नुकसान है क्योंकि लोग रेडिएशन के संपर्क में आते हैं। इससे बाद में कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है।

उन्होंने बताया कि सीटी स्कैन व बायो मार्कर टेस्ट चिकित्सकों की सलाह पर ही करवाएं। हल्के और मध्यम लक्षण वाले कोरोना मरीजों के लिए तो इसकी जरूरत ही नहीं है। बिना लक्षण वाले कोरोना के मरीजों के भी फेफड़े में कुछ पैच दिखाई देते हैं, लेकिन व अपने आप ठीक हो जाते हैं। इसलिए घबराहट में आकर सारे फिजूल के टेस्ट कराने से लोगों को बचना चाहिए। कुछ लोग तो हर तीन दिन में सीटी स्कैन करवाने पहुंच रहे हैं।

उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर हर तरह के मरीजों के इलाज के लिए प्रोटोकॉल जारी किया है, उसके आधार पर इलाज किया जाना चाहिए। जिन लोगों को कोई लक्षण नहीं है या हल्के लक्षण हैं उन्हें कोई दवा लेने की जरूरत नहीं है।

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क्यों है खतरनाक

सीटी स्कैन या सीएटी स्कैन विशेष प्रकार का टेस्ट होता है जो कि एक एक्स-रे और एक कंप्यूटर के इस्तेमाल से किया जाता है और इस टेस्ट में हमे शरीर में कुछ विशेष अंगो का फोटो बनता है। इससे शरीर में बीमारी का आसानी से पता लगया जाता है। सीटी स्कैन को Computerized Axial Tomography के नाम से भी जाना जाता है। वैसे तो सीटी स्कैन एक्स-रे का ही एक रूप होता है, लेकिन यह उससे थोड़ा अच्छा होता है और इससे शरीर के अंगो का चित्र बढ़िया और अच्छे से देखा जा सकता है। लेकिन सीटी स्कैन से निकलने वाला रेडिएशन मरीज की सेहत बिगाड़ सकता है। एक सीटी स्कैन में 300 एक्सरे जांच के बराबर रेडिएशन होता है। यदि साल में पांच से ज्यादा बार मरीज सीटी स्कैन जांच कराता है तो उसे त्वचा संबंधी बीमारी का खतरा 70 गुना अधिक बढ़ जाता है। मरीज का पेट खराब हो सकता है। सिर की जांच कराने पर मोतियाबिंद हो सकता है। कैंसर तक होने का खतरा बढ़ जाता है।

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