हिसार: अग्र भागवत में इस बात के स्पष्ट प्रमाण हैं कि पौराणिक और पुरातात्विक महत्व रखने वाला राखी गढ़ी (Rakhigarhi) भी महाराजा अग्रसेन द्वारा स्थापित अग्रोहा गणराज्य का ही हिस्सा था। इसलिए जिस प्रकार हरियाणा के राखीगढ़ी (Rakhigarhi) में पुरातत्व विभाग द्वारा टीले की खुदाई की जा रही है, उसी तरह प्राचीन अग्रोहा टीले (Agroha tila) की खुदाई की मांग भी जोर पकड़ रही है। अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन के प्रदेश प्रवक्ता विपिन गोयल ने बुधवार को कहा कि 5100 वर्ष पूर्व महाराजा अग्रसेन जी ने अग्रोहा गणराज्य की स्थापना की थी।
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उन्होंने कहा कि सरस्वती नदी और यमुना नदी के बीच का यह क्षेत्र लगभग 500 किलोमीटर तक फैला हुआ था। राखीगढ़ी (Rakhigarhi) का क्षेत्र भी इसी अग्र गणराज्य का हिस्सा था। जिस तरह से राखीगढ़ी की खुदाई में ईंटे, बर्तन और मूर्तियां मिली हैं, इसी तरह की चीजें कुछ वर्ष पूर्व अग्रोहा टीले (Agroha tila) की खुदाई में भी प्राप्त हुई थी। अग्र-भागवत ग्रंथ एवं अन्य महत्वपूर्ण ग्रंथों के माध्यम से यह प्रमाणित होता है कि राखीगढ़ी भी अग्र गणराज्य का ही हिस्सा है।
विपिन गोयल ने कहा कि अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल शरण गर्ग विभिन्न मंचों से कई बार प्राचीन अग्रोहा टीले की खुदाई की मांग जोरदार तरीके से उठा चुके हैं। उनका कहना है कि महाराजा अग्रसेन जी ने महाभारत के युद्ध में पांडवों की ओर से भाग लिया था। युद्ध के पश्चात कलयुग के प्रारम्भ में 5150 वर्ष पूर्व उन्होंने अग्रोहा गणराज्य की स्थापना की। इस टीले में महाराजा अग्रसेन जी एवं महाभारत कालखंड से संबंधित बहुत बड़ा इतिहास छुपा हुआ है। वह कई बार भारतीय पुरातत्व विभाग से मिल भी चुके हैं। पिछले दिनों केंद्रीय पुरातत्व मंत्री जीकृष्ण रेड्डी से मिलकर अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन की ओर से उन्हें खुदाई की मांग के लिए ज्ञापन भी दिया जा चुका है।
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