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सपा के वरिष्ठ नेता अहमद हसन के बाद उनकी पत्नी का भी निधन, दोनों ने एक ही दिन दुनिया को कहा अलविदा

लखनऊः समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता और राज्य विधान परिषद में विपक्ष के नेता अहमद हसन का शनिवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। जबकि कुछ ही घंटों बाद उनकी बीमार पत्नी हजना बेगम (75) ने भी दुनिया को अलविदा कह दिया। वहीं, एक ही दिन में दो लोगों के निधन से परिवार सदमे में है। जानकारी के मुताबिक, अहमद हसन की पत्नी नजमा को लोहिया संस्थान में 10 दिन पहले कोमा की स्थिति में भर्ती कराया गया था। इससे पहले वह लखनऊ के गोमती नगर के एक निजी अस्पताल भर्ती थीं। बहरहाल, पति और पत्नी दोनों एक अस्पताल में भर्ती थे और दोनों एक ही दिन इस दुनिया को छोड़कर चले गए।

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और कई वरिष्ठ राजनेताओं ने हसन के निधन पर शोक व्यक्त किया। उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सभापति कुंवर मानवेंद्र सिंह अहमद हसन के निधन से दु:खी हैं। सभापति ने कहा कि आईपीएस की नौकरी से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा। तभी से ही विधान परिषद के सदस्य हैं। उप्र सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हसन एक जनप्रिय नेता थे। उनके निधन से प्रदेश की राजनीति में शून्यता आई है। उनकी कमी की भरपाई हो पाना कठिन है।

बता दें कि अहमद हसन तकरीबन तीन दशकों तक राजनीति में सक्रिय रहे। उनकी उम्र 88 थी। वह मुलायम सिंह यादव के करीबी सहयोगी थे। वह छह बार एमएलसी रहे, उन्हें सपा सरकारों में 3 बार मंत्री नियुक्त किया गया। जब सपा सत्ता से बाहर थी तब वह तीन बार परिषद में विपक्ष के नेता थे। हसन को एक राजनेता के रूप में लो प्रोफाइल रहने के लिए जाना जाता है।

गौरतलब है कि अहमद हसन ने वर्ष 1958 में प्रांतीय पुलिस सेवा के अधिकारी के रूप में नौकरी शुरू की थी। उन्होंने गोरखपुर व बरेली में सर्वाधिक समय तक एसएसपी रहने का रिकॉर्ड भी बनाया। वह इटावा जिले के एसएसपी रहने के दौरान समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के बेहद नजदीक आ गए। वर्ष 1994 में सेवानिवृत्त होने के बाद मुलायम सिंह ने उनको अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष बनाया। वर्ष 1996 में सपा ने उनको विधान परिषद भेजा। 1996 में कल्याण सिंह की सरकार बनने के बाद मुलायम सिंह ने अहमद हसन को विधान परिषद में नेता विरोधी दल बना दिया। इसके बाद वह लगातार विधान परिषद के सदस्य रहे।

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