लखनऊः बिजली की दरों में जल्द बढ़ोत्तरी हो सकती है। इसके लिए तैयारियां शुरू हो गयी हैं। नियामक आयोग ने सभी बिजली कंपनियों से अगले दस दिन में स्लैब वार टैरिफ प्लान दाखिल करने को कहा है। आयोग ने इसको लेकर निर्देश जारी कर दिया है। माना जा रहा है कि इस बार बिजली दरों का बढ़ना तय है। चुनाव और लॉकडाउन की वजह से पिछले तीन साल से यूपी में बिजली दरें नहीं बढ़ी हैं। वहीं इसके बढ़ने से पहले ही विरोध भी शुरू हो गया है। एक तरफ नियामक आयोग ने टैरिफ प्रस्ताव मांगा है, दूसरी तरफ यूपी राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने इसको लेकर विरोध शुरू कर दिया है। उनकी दलील है कि प्रदेश की बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का पहले ही 20500 करोड़ रुपए निकल रहा है। ऐसे में बिजली दर बढ़ाने की बजाय उसको कम कर देना चाहिए।
बिजली कंपनियों व पावर कारपोरेशन से 10 दिन में जवाब दाखिल करने के निर्देश के बाद तय माना जा रहा है कि इसके बाद बिजली दरें बढेगीं। इससे पहले पिछले साल भी प्रस्ताव दिया गया था लेकिन तब कोविड और आर्थिक मंदी की वजह से इसको खारिज कर दिया गया था। लेकिन अब दरों में बढ़ोतरी तय है। इस बार बिजली कंपनियों ने कुल वितरण हानियां लगभग 17 प्रतिशत आंकलित की हैं। सभी बिजली कंपनियों का वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) लगभग 85,500 करोड रुपए का है।
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कंपनियों पर निकल रहा है उपभोक्ताओं का पैसा
यूपी राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा का कहना है कि बिजली कंपनियों के सामने सबसे बडा सवाल यह उठेगा कि उनके पास पहले से ही उपभोक्ताओं का 20 हजार 500 करोड़ रुपए निकल रहा है। नियामक आयोग ने पावर कॉर्पोरेशन से जवाब तलब किया था। अभी तक विचाराधीन है। अब उस पर पावर कॉर्पोरेशन क्या करता है यह देखना होगा। उन्होंने कहा कि उपभोक्ता परिषद हर हाल में बिजली दर कम कराने के लिए पूरी ताकत लगाएगी।
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