आखिर क्या हुआ ऐसा कि 24 घंटे के अंदर बदल दिया गया ब्याज कटौती का फैसला, चलती है लंबी प्रक्रिया

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नई दिल्लीः छोटी बचतों पर ब्याज दर कटौती का फैसला सरकार द्वारा 24 घंटे के अंदर वापस लेना गले से नीचे नहीं उतर रहा, क्योंकि यह कोई ऐसा फैसला नहीं था जिसे बिना मंथन के लागू किया जाए। अब सवाल ये खड़ा होता है कि बिना विपक्ष के जोर डाले ही सरकार ने ब्याज कटौती का ऐलान करने के बाद फैसला वापस कैसे ले लिया। कहा ये भी जा रहा है कि छोटी बचतों पर ब्याज दर कटौती का फैसला प्रधानमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप के बाद वापस लिया गया है। सुत्रों की मानें तो इस फैसले को लेकर पीएमओ से वित्त मंत्रलय को निर्देश दिए जाने के बाद फैसला वापस लिया गया।

इस फैसले को वापस लेने के लिए यह समय काफी अहम है, क्योंकि बंगाल सहित 5 राज्यों में चुनाव हो रहे है और बंगाल में दूसरे चरण की वोटिंग शुरु होने से कुछ समय पहले ही वित्त मंत्री ने इस फैसले को वापस लेने का ऐलान किया था। वित्त मंत्री ने अपने ट्वीट में कहा था कि यह नोटिफिकेशन गलती से जारी हो गया। जबकि एक दिन पहले यानी बुधवार को ही वित्त मंत्री ने खुद इस इस फैसले को मंजूरी दी थी।

अप्रैल से जून तिमाही के लिए छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में कटौती के लिए सरकार की आलोचना की जाने लगी। असल में देश में करीब 80 फीसदी लोग ऐसी छोटी बचत योजनाओं में पैसा लगाते हैं। पीपीएफ, सुकन्या समृद्धि योजना, सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम काफी लोकप्रिय हैं, जहां लोग अपनी गाढ़ी कमाई से हुई बचत को लगाते हैं।

ऐसे फैसलों में महीनों चलता है मंथन

फैसला वापस लेने के बाद वित्त मंत्री ने भले ही यह कह दिया हो कि ये नोटिफिकेशन गलती से जारी हो गया था, लेकिन सच तो ये है कि ऐसे फैसले लंबी प्रक्रिया से गुजरते हैं। इसके लिए कम से कम दो हफ्तों से अधिक समय तक वरिष्ठ अध‍कारियों में विचार-विमर्श होता है।

छोटी बचत पर ब्याज कटौती का फैसला लेने के लिए वित्त मंत्रालय के विभिन्न विभाग, डाक विभाग, भारतीय रिजर्व बैंक के अध‍िकारी भी शामिल होते हैं। सिफारिशों पर वित्त मंत्री की अंतिम मंजूरी लेने के बाद ही नोटिफिकेशन जारी किए जाते हैं। सूत्रों का कहना है कि इस बार भी इसी तरह से पूरी प्रक्रिया का पालन हुआ था।

क्या हुआ था ऐलान

सरकार ने छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दर घटाकर 4 से 3.5 फीसदी करने का ऐलान किया था। इसके साथ ही एक वर्ष से लेकर पांच वर्ष तक की छोटी बचत योजनाओं पर भी ब्याज दर में कटौती की गई थी। पांच वर्ष तक की रिकरिंग डिपॉजिट योजना पर ब्याज दर 5.8 फीसदी से घटाकर 5.3 फीसदी कर दी गई थी। पीएम मोदी की पसंद सुकन्या समृद्धि योजना पर ब्याज दर को 7.6 फीसदी से घटाकर 6.9 फीसदी करने का ऐलान किया गया था।

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इसके अलावा वरिष्ठ नागरिकों की बचत योजनाओं पर ब्याज दर को 7.4 फीसदी से घटाकर 6.5 फीसदी करने का किया गया था। इसी प्रकार से राष्ट्रीय बचत पत्र, किसान विकास पत्र पर भी ब्याज दर घटाई गई थी। पीपीएफ पर मिलने वाले ब्याज की दर को 7.1 फीसदी से घटाकर 6.4 फीसदी सालाना कर दिया गया था। इन सभी फैसलों को अब वापस ले लिया गया है और एक तिमाही के बाद फिर समीक्षा की जाएगी।