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अपनाया वैज्ञानिक तरीका, एक माह में लहलहाने लगा सरसों

आईपीके, लखनऊः अगर किसान खेती में वैज्ञानिक तकनीक का इस्तेमाल करें तो निश्चित ही पैदावार तो ज्यादा होगी ही, साथ ही फसल को कीट और बीमारियों से नुकसान भी कम होगा। यह कहना है किसान राजवीर यादव का। वह कहते हैं कि अगर किसान इन बातों पर ध्यान रखें तो उन्हें फसल में ज्यादा फायदा होगा।

राजधानी के पारा क्षेत्र के ग्राम परसादीपुर निवासी राजवीर का कहना है कि वह पिछले 5 सालों से सरसों की खेती करते आए हैं, लेकिन उनका तरीका अलग है। वह फसल के बीच में किसी और बीज का छिड़काव नहीं करते हैं। खेत में एक ही फसल का बीज बोने से उत्पादन में विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता है। इसमें दवाओं की मात्रा भी हर फसल की अलग होती है, लिहाजा एक फसल का बीज होने से नुकसान का डर नहीं रहता है। सरसों की फलियां मोटी होती हैं तो दाने भी अच्छे निकलते हैं। यह सब खाद, पानी, बीज और देख-रेख से ही संभव हो सकता है। राजबीर का बोया हुआ सरसों अभी से लहलहाने लगा है।

सरसों की खेती तरीका

राजवीर कहते हैं कि किसान पुराने तरीके से खेती करें, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है, लेकिन समय के साथ चलने में अपमान जैसा भाव नहीं होना चाहिए। वह कहते हैं कि तमाम किसान वैज्ञानिक तरीका या किसी और से सीखने में अपनी बेइज्जती महसूस करते हैं। सच्चाई यह है कि नए किस्म के बीज ताकतवर होते हैं और ज्यादा लाभ देते हैं। वैज्ञानिक तरीके में बुवाई के कुछ नियम हैं।

 

ध्यान देने योग्य 

ऽ 5-25 अक्टूबर तक खेत में सरसों की बुआई कर देने से समय पर फसल पक जाती है और हवा तथा गर्मी से नुकसान नहीं होता है। ऽ बीज बोते समय ध्यान रखें कि एक एकड़ खेत में 1 किलोग्राम के मापन शर्त में गड़बड़ी न करें। गिरिराज, पीताम्बरी और पूसा सरसों ज्यादा फायदेमंद है। ऽ बुआई के समय खेत में 100 किग्रा सिंगल सुपरफॉस्फेट, 35 किग्रा यूरिया और 25 किग्रा म्यूरेट ऑफ पोटाश का इस्तेमाल करना चाहिए।

फसल की सिंचाई का रखें ध्यान

- बुआई के बाद 1-3 दिन के भीतर खर-पतवार की रोकथाम के लिए पैंडीमेथालीन केमिकल की एक लीटर मात्रा को 400 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। - बुआई के 20-25 दिन बाद खेत की निराई-गुड़ाई करें और खेत में पौधों के बीच लाइन से लाइन की दूरी 45 सेंटीमीटर तथा पौधे से पौधे की दूरी 20 सेंटीमीटर उपर्युक्त होती है। - फसल की पहली सिंचाई 35-40 दिन के बाद तथा जरूरत होने पर दूसरी सिंचाई फली में दाना बनते समय करें, लेकिन फसल पर फूल आने के समय सिंचाई नहीं करनी चाहिए। - सरसों की अच्छी पैदावार के लिए 75 फीसदी फलियां पीली हो जाएं तब ही फसल की कटाई करना मुफीद होता है।

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यह है वैज्ञानिक की सलाह

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर संदीप चैधरी कहते हैं कि पहले किसान सरसों में पानी नहीं देता था, लेकिन अब नई किस्मंें पानी मांगती हैं। इनमें दो पानी जरूरी हैं। पीतांबरी, गिरिराज, पूसा आदि को बोने के बाद ध्यान रखें कि इनके थोड़ा बडे़े होने पर नीचे की पत्तियां तोड़ देना उचित होता है। ये पत्तियां भोजन ज्यादा खींचती हैं।