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प्रशासन के धान खरीदने के दावे के बीच कर्मचारियों ने किया हड़ताल का ऐलान, सामने रखी ये तीन मांगे

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Chhattisgarh: बस्तर जिले में 79 धान खरीदी केन्द्रों में 14 नवंबर से धान खरीदी की जाएगी। जिले के 54 हजार से अधिक किसानों का पंजीयन व नवीनीकरण हो चुका है। इस वर्ष बस्तर जिले में 2 लाख 70 हजार 742 टन धान खरीदी का लक्ष्य रखा गया है। इस बार भी छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्य ओडिशा की सीमा पर उड़नदस्ते तैनात रहेंगे। बस्तर कलेक्टर ने बताया कि धान खरीदी की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।

3 सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल का ऐलान

इस बीच बस्तर समेत प्रदेश भर की 2058 सहकारी समितियों में कार्यरत 13 हजार कर्मचारियों ने अपनी 3 सूत्रीय मांगों को लेकर 4 नवंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा कर दी है। मध्यप्रदेश की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में भी प्रत्येक समिति को प्रतिवर्ष 3 लाख रुपए प्रबंधकीय अनुदान देने, सेवा नियम 2018 में आंशिक संशोधन कर पुनरीक्षित वेतनमान लागू करने और समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के लिए वर्ष 2023-24 में धान संग्रहण के बाद संपूर्ण सुखाड़ को मान्य करते हुए आगामी वर्ष के लिए धान खरीदी नीति में 16.9 प्रतिशत सुखाड़ का प्रावधान मान्य करने की मांग की है।

धान खरीदी में होगी मुश्किल

छत्तीसगढ़ सहकारी समिति कर्मचारी महासंघ के आह्वान पर प्रदेश भर की सहकारी समितियों के 13 हजार कर्मचारियों ने अपनी 3 सूत्रीय मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। महासंघ के पदाधिकारियों का कहना है कि एक ओर जहां छत्तीसगढ़ सरकार ने 14 नवंबर से प्रदेश की सहकारी समितियों में धान खरीदी शुरू करने की तिथि घोषित कर दी है, वहीं दूसरी ओर विडंबना यह है कि पिछले साल की धान खरीदी का कमीशन अभी तक नहीं मिला है। बारदाना की राशि, ब्याज अनुदान की राशि अभी तक समितियों को नहीं मिली है। इसके कारण धान खरीदी की तैयारी मुश्किल हो गई है।

सीएम साय को लिखा था पत्र

कर्मचारियों का यह भी कहना है कि उन्होंने मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, वित्त मंत्री, खाद्य मंत्री और सहकारिता सचिव को ज्ञापन सौंपकर लंबित मांगों की ओर ध्यान आकर्षित कराया है, लेकिन इसके बाद भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। धान खरीदी नीति का आदेश दिया गया है, जिसमें 72 घंटे के भीतर धान उठाव का प्रावधान था, उसे हटा दिया गया है। महासंघ ने जनदर्शन में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को पत्र भी लिखा था कि अगर धान खरीदी में सुखाड़ नहीं हुआ तो धान खरीदी का बहिष्कार किया जाएगा।

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इस दिशा में कोई पहल नहीं की गई। इससे प्रदेश के 13 हजार कर्मचारियों में असंतोष है। लंबित मांग पूरी नहीं होने पर सहकारी समितियों के कर्मचारी 4 नवंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। कर्मचारियों का कहना है कि उनकी हड़ताल से प्रदेश में धान खरीदी, रबी फसल ऋण वितरण, राशन वितरण प्रभावित होगा।

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