Aditya-L1 Mission: आदित्य L1 की लॉन्चिंग का काउंटडाउन शुरू, ISRO के वैज्ञानिकों ने श्री वेंकटेश्वर मंदिर में की पूजा

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Aditya-L1 Mission: चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) सूर्य का अध्ययन करने के लिए आदित्य-एल1 मिशन में जुटी हुई है। भारत का पहला सौर मिशन (आदित्य-एल1 मिशन) 2 सितंबर को सुबह 11।50 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाएगा। वहीं लॉन्चिंग से पहले ISRO वैज्ञानिकों की टीम मिनी मॉडल के साथ तिरुमाला श्री वेंकटेश्वर मंदिर पहुंचे और पूजा-अर्चना कर मिशन की सफलता के लिए प्रार्थना की।

क्या है Aditya-L1 Mission?

अंतरिक्ष एजेंसी के वैज्ञानिकों ने सुबह तिरुमाला हिल्स के ऊपर श्री वेंकटेश्वर मंदिर का दौरा किया। उन्होंने मिशन की सफलता के लिए प्रार्थना की, जिसे 2 सितंबर को सुबह 11.50 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष बंदरगाह से लॉन्च किया जाना है। आदित्य एल1 अंतरिक्ष यान को सौर कोरोना के दूरस्थ अवलोकन और एल1 (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर हवा के सीटू अवलोकन प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर है।

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सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्ष-आधारित भारतीय वेधशाला PSLV-C57 रॉकेट द्वारा लॉन्च की जाएगी। इसरो वैज्ञानिकों के लिए प्रमुख अभियानों से पहले प्रसिद्ध पहाड़ी मंदिर में प्रार्थना करना एक आम बात है। जुलाई में उन्होंने चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग से पहले मंदिर में पूजा की थी. चंद्रमा मिशन ने 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक लैंडिंग करके इतिहास रच दिया। भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला एकमात्र देश बन गया।

चांद के बाद अब सूरज की उड़ान

गौरतलब है कि ये भारत का पहला मिशन (Aditya-L1-Mission) है, जो सूर्य के अध्ययन के लिए अंतरिक्ष में भेजा जा रहा है। ऐसे समय में इसे अंजाम दिया जा रहा है, जब हाल में इसरो ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कराकर इतिहास रचा है। इसके साथ ही दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग करने वाला भारत दुनिया का पहला और इकलौता देश बन गया है। इससे पहले सोवियत यूनियन, चीन और अमेरिका चांद पर सफल लैंडिंग कर चुके हैं। हालांकि, इनमें से कोई भी दक्षिणी ध्रुव पर नहीं उतरा है।

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