बेंगलुरू: कर्नाटक सरकार ने पीएसआई भर्ती घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार एडीजीपी अमृत पॉल पर मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है। सूत्रों ने शनिवार को यह जानकारी दी। चूंकि आरोपी एक आईपीएस अधिकारी हैं, इसलिए कानूनी कार्यवाही शुरू करने के लिए सरकार की सहमति आवश्यक थी। सीआईडी ने जेल में बंद आईपीएस अधिकारी के खिलाफ 1,406 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी। अमृत पॉल एडीजीपी स्तर के पहले वरिष्ठ अधिकारी हैं, जिन्हें पीएसआई घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है।
आरोप पत्र बेंगलुरू में प्रथम एसीएमएम अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। आरोपी अमृत पॉल को मामले का 35वां आरोपी बनाया जा रहा है। सीआईडी जांच अधिकारी डीएसपी बी.के. शेखर ने अपनी जांच में अमृत पॉल के खिलाफ घोटाले को अंजाम देने की साजिश और सब-इंस्पेक्टर के पदों के उम्मीदवारों से पैसे वसूलने की बात कही थी। हालांकि पॉल का कहना है कि घोटाला उनकी जानकारी के बिना हुआ था और उन्हें कोई पैसा नहीं मिला। विपक्षी कांग्रेस ने घोटाले के प्रकाश में आने के बाद गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र के इस्तीफे की मांग की थी।
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उम्मीदवारों से 1.35 करोड़ रुपये वसूली का आरोप-
जांच से पता चला है कि पॉल ने कथित तौर पर पीएसआई पदों के लिए उम्मीदवारों से 1.35 करोड़ रुपये की वसूली की थी और अपने सहयोगी शंभूलिंग स्वामी को पैसे दे दिए थे। सीआईडी ने उसके पास से 41 लाख रुपए जब्त किए थे। भर्ती विभाग में एडीजीपी के पद पर कार्यरत पॉल ने कथित तौर पर अपने जूनियर डीएसपी शांताकुमार और टीम को पीएसआई के 545 पदों पर भर्ती में घोटाला करने दिया था। सूत्रों ने कहा कि भर्ती विभाग से जुड़े अधिकारियों सुनीता बाई, आरपीआई मंजूनाथ और गार्ड ने उनकी भूमिका की पुष्टि करते हुए अपने बयान दर्ज किए हैं।
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