Home उत्तर प्रदेश Kushinagar accident: समय पर उचित इलाज न मिलने से गई 5 की...

Kushinagar accident: समय पर उचित इलाज न मिलने से गई 5 की जान, मंजर देख अफसरों की आंखें हुई नम

कुशीनगरः उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के नौरंगियां गांव में बुधवार देर रात को हुए हादसे से शादी की खुशियों के बीच मातम पसर गया। इलाके की हर जुबान पर अफसोस के शब्द तैर रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस हादसे में जख्मी हुए लोगों को यदि समय पर उचित इलाज मिला होता तो कम से कम पांच लोगों की जान बचायी जा सकती थी। दरअसल ग्राम नौरंगिया में रात को हल्दी रस्म के दौरान कुएं पर रखा स्लैब टूटने से 25 से अधिक महिलाएं, युवतियां एवं बच्चे कुएं में गिर गए। इनमें से 13 की मौत हो गयी।

हादसे में कई लोग घायल हुए हैं। हादसे की खबर से चारों तरफ कोहराम मच गया। गुरुवार की सुबह से अब भी सबकी जुबान पर एक ही सवाल है कि आखिर कहां चूक रह गयी थी, जिसकी वजह से इतना बड़ा हादसा हो गया। शवों का ढेर देखकर गांव के लोग ही नहीं बल्कि पुलिस एवं प्रशासनिक अफसरों की आंखें भी आंसुओं में डूब गईं। ग्रामीणों का कहना है कि अगर उचित स्वास्थ्य सुविधाएं मिली होतीं तो तकरीबन पांच लोगों को बचाया जा सकता था।

ये भी पढ़ें..दीप सिद्धू के निधन से टूट गईं हैं उनकी गर्लफ्रेंड रीना, बोलीं-सोलमेट्स एक-दूसरे को नहीं…

25 से अधिक लोग कुएं में गिरे

बता दें कि नौरंगिया के स्कूल टोला निवासी परमेश्वर कुशवाहा के पुत्र की गुरुवार को शादी है। पिछली रात हल्दी की रस्म अदायगी के लिए महिलाएं और युवतियों के साथ बच्चे भी गांव में स्थित कुएं पर मटकोड़ करने गई थीं। कुआं पर बने ढक्कन एवं जगत पर कुछ लोग चढ़ गए जिससे वह टूट गया। इसके बाद 25 से अधिक लोग कुएं में गिर गए, जिसमें 13 लोगों की मौत हो गई।

ग्रामीणों के मुताबिक कुछ महीने पहले ही गांव के इस कुएं के स्लैब का निर्माण कराया गया था। यही स्लैब टूटने से इतना बड़ा हादसा हुआ है। सवाल यह है कि क्या इसकी गुणवत्ता अच्छी नहीं थी या फिर उसकी क्षमता से अधिक बच्चे और युवतियां उस पर चढ़ गईं और वह बोझ नहीं सह सका। ग्रामीणों का कहना है कि स्लैब टूटने के बाद अनेक ग्रामीणों ने एम्बुलेंस बुलाने को नम्बर मिलाया, लेकिन कोई एम्बुलेंस नहीं पहुंचा और घायलों को समय से अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सका। इलाज में देर होने की वजह से शायद कुछेक जानें नहीं बच सकीं। घायलों का समय से इलाज न हो सका।

कुएं में गिरी युवतियों, महिलाओं और बच्चों को बचाने में हुई देर

कुएं में गिरीं युवतियों, महिलाओं और बच्चों को बचाने में भी देर हुई। फोन करने के बाद भी अनुभवी रेस्क्यू टीम नहीं पहुंची। इस वजह से ग्रामीणों ने तत्परता दिखाई और कुएं में सीढ़ी डालकर खुद ही बचाव कार्य शुरू किया। इतना ही नहीं, कुएं के पानी को निकालने के लिए शौचालय की सफाई करने वाले टैंकर की सहायता ली गई। अधिकांश का मानना है कि उसके वैक्यूम से ही कई बच्चों की सांस उफना गयी होगी और उनकी मौत हो गयी। स्थानीय पुलिस घटना के तकरीबन डेढ़ घंटे बाद पहुंची। अगर पुलिस समय से पहुंची होती तो रेस्क्यू कार्य सावधानी और सफलतापूर्वक किया जा सकता था। यह बात अलग है कि देर से ही सही मौके पर पहुंची पुलिस टीम ने पीड़ितों का भरपूर सहयोग किया, लेकिन उच्चाधिकारियों को समय से सूचना न देने की बातें भी जोर पर हैं।

समय पर मिलता इलाज तो बच जाती जान

प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों का घटना के लगभग दो घंटे बाद मौके पर पहुंचने की सूचनाएं ग्रामीण दे रहे हैं। यह भी अपने आप में दुखद है। कोटवा स्थित सीएचसी में कोई चिकित्सक समय से नहीं मिला। सुविधाएं भी नदारद थीं। गांव की गाड़ियों में भरकर घायलों को जिला अस्पताल पहुंचाया गया। ग्रामीणों का कहना है कि अगर उचित स्वास्थ्य सुविधाएं मिली होतीं तो तकरीबन पांच लोगों को बचाया जा सकता था। वहीं  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुर्घटना में अपने प्रियजनों को खोने वाले परिवारों के लिए 2-2 लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी शोक संतप्त परिवारों को चार-चार लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की है।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर  पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें…)

Exit mobile version