लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव-2022 से पहले समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ सांसद आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम को लगभग 23 महीने की कैद के बाद सीतापुर जेल से जमानत पर रिहा कर दिया गया है। अब्दुल्ला को शनिवार शाम को रिहा कर दिया गया। उधर जेल से रिहा होते हुई अब्दुल्ला ने कहा कि वह आगामी विधानसभा चुनाव निश्चित रूप से सुर विधानसभा क्षेत्र से लड़ेंगे और लोगों का आशीर्वाद लेंगे। वहीं सीतापुर जेल के गेट के बाहर इंतजार कर रहे अपने समर्थकों का हाथ हिलाते हुए अब्दुल्ला आजम ने कहा कि मैं सिर्फ एक ही बात कहूंगा कि 10 मार्च के बाद जुल्म खत्म हो जाएगा और जुल्म करने वाले को भी गद्दी से उतार दिया जाएगा।
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अब्दुल्ला ने जेल प्रशासन पर लगाए गंभीर आरोप
वहीं जेल से रिहा होने के बाद रामपुर पहुंच अब्दुल्ला आजम का दर्द झलक पड़ा। अब्दुल्ला ने जेल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वहां हमसे आतंकियों से भी बुरा बर्ताव किया जाता था। उन्होंने कहा कि पुलिस सिर्फ रामपुर वालों की हड्डियां तोड़ने के साथ भैंस-बकरी चोरी के मामलों में लोगों को जेल भेजने के लिए है। उन्होंने बताया कि 8 बाई 10 की कोठरी में महज 2 फुट का टॉयलेट था। आज भी उनके वालिद 8 बाई 8 की तन्हाई बैरक में बंद हैं। वह भी एक ऐसे केस में, जिसमें सात लोग एंटीसिपेटरी बेल पर बाहर हैं। सिर्फ मेरे वालिद जेल में बंद हैं। अब्दुल्ला आजम खान ने बताया कि कोविड प्रोटोकॉल के नाम पर भी उनका शोषण किया जाता था। जेल प्रशासन परिवार वालों से भी मिलने नहीं देता था।
सभी 43 मामलों में मिला जमानत
आजम खान के छोटे बेटे अब्दुल्ला पर उनके पिता के साथ चोरी से लेकर जबरन वसूली और जालसाजी तक के 43 मामले दर्ज हैं। इन सभी मामलों में अब्दुल्ला को रामपुर की निचली अदालतों से जमानत मिल चुकी है। जमानत के बाद रिहाई के आदेश शनिवार दोपहर तक सीतापुर जेल भेज दिए गए, जिसने बाद में शाम को अब्दुल्ला की रिहाई का रास्ता साफ हो गया था। आजम की पत्नी तजीन फातिमा दिसंबर 2020 में सीतापुर जेल से रिहा हुई थीं। इस बीच, आजम खान को अभी तक उन सभी में जमानत नहीं मिली है।
भाजपा सरकार आते ही बढ़ी थी आजम खान की मुश्किले
बता दें कि अब्दुल्ला 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर सुर निर्वाचन क्षेत्र से जीते थे। हालांकि, उनके खिलाफ एक मामले की सुनवाई करते हुए, 2019 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के विधायक के रूप में उनके चुनाव को इस आधार पर रद्द कर दिया कि वह कम उम्र के थे और 2017 में चुनाव लड़ने के लिए योग्य नहीं थे। आजम खान और उनके परिवार के लिए मुसीबत 2017 में शुरू हुई जब उत्तर प्रदेश में भाजपा सत्ता में आई। चुनाव के कुछ महीने बाद ही आजम खान के खिलाफ रामपुर के तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा अनुसूचित जाति के लोगों की 104 एकड़ जमीन नियमों के खिलाफ खरीदने के लिए राजस्व बोर्ड में 10 मामले दर्ज किए गए थे।
2019 में, कुछ महीनों के भीतर जालसाजी, चोरी, जबरन वसूली और अन्य अपराधों के लिए आजम खान और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ 70 से अधिक मामले दर्ज किए गए थे। अधिकांश मामले जौहर विश्वविद्यालय के निर्माण में हड़पी गई भूमि के अतिक्रमण से संबंधित थे, जिसके अध्यक्ष आजम खान हैं। आजम खान पर एक सरकारी स्कूल से पुरानी किताबें चुराकर अपने पुस्तकालय में रखने का भी आरोप लगाया गया। शिकायत पर कार्रवाई करते हुए, पुलिस ने जौहर अली विश्वविद्यालय के अंदर स्थित मुमताज पुस्तकालय में छापा मारा और वहां से 2,000 से अधिक पुरानी किताबें बरामद कीं। उनके खिलाफ कई मामलों को देखते हुए, जिला प्रशासन ने उन्हें रामपुर में भू-माफिया के रूप में भी नामित किया।
फरवरी 2020 में आजम के परिवार ने किया था सरेंडर
खान ने पहले तो इन मामलों की आलोचना की लेकिन बाद में बढ़ते दबाव और बार-बार अदालती नोटिसों के आगे घुटने टेक दिए। उन्होंने कई मामलों में अग्रिम जमानत लेने की भी कोशिश की लेकिन असफल रहे। आखिरकार फरवरी 2020 में आजम, उनकी पत्नी और बेटे अब्दुल्ला आजम ने रामपुर में एक एमपी-एमएलए कोर्ट के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। कोर्ट के आदेश पर तीनों को बाद में सीतापुर जेल शिफ्ट कर दिया गया था शनिवार को उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया।
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