हथियार लाइसेंस मामले में अब्बास अंसारी की जमानत याचिका पर SC ने यूपी सरकार से मांगा जवाब

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Abbas Ansari arms license case: सुप्रीम कोर्ट ने माफिया डॉन से नेता बने मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी की जमानत याचिका पर सोमवार को यूपी सरकार को नोटिस जारी किया। शूटिंग प्रतियोगिताओं के लिए कथित तौर पर विदेशी बंदूकें खरीदने के आरोप में उत्तर प्रदेश पुलिस ने अब्बास अंसारी पर मामला दर्ज किया था।

न्यायमूर्ति बी.आर. गवई, संजय करोल और संदीप मेहता की पीठ ने इस मामले में राज्य सरकार से चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा। नवंबर 2023 में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अब्बास द्वारा दायर नियमित जमानत याचिका को खारिज कर दिया था। अदालत ने कहा था कि उन्होंने एनआरएआई (नेशनल राइफल एसोसिएशन ऑफ इंडिया) द्वारा जारी आयात परमिट का उल्लंघन करके दो पिस्तौल, एक राइफल और 6 बैरल और बिना परमिट के 3 अतिरिक्त बैरल वाली एक पिस्तौल का आयात किया था।

मामले में क्या कहा था कोर्ट ने?

इसके अतिरिक्त, उच्च न्यायालय ने कहा था कि अब्बास के पास एक रिवॉल्वर थी जो अपंजीकृत थी और उसमें 4,431 कारतूस थे। न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने कहा था कि सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का प्रतिनिधित्व करने वाले मौजूदा विधायक होने के नाते अब्बास से किसी भी अन्य व्यक्ति की तुलना में देश के कानूनों का अधिक सम्मान करने की उम्मीद की जाती है।

कथित तौर पर, कुशल निशानेबाज होने का दावा करने वाले अब्बास पर आरोप है कि लखनऊ में जारी हथियार लाइसेंस को दिल्ली में स्थानांतरित करवा लिया और दो लाइसेंस दो अलग-अलग राज्यों में जारी कराए। विभिन्न यूआईडी पर उपयोग जारी रखा।

इन धाराओं में दर्ज हुए थे केस

2019 में, अब्बास के खिलाफ लखनऊ के मेट्रोपॉलिटन पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 419, 420, 467, 468 और 471 के साथ-साथ शस्त्र अधिनियम की धारा 30 के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। बाद में मामले की जांच यूपी एसटीएफ को सौंप दी गई।

जांच से पता चला कि अब्बास ने मुख्तार अंसारी के अंतरराष्ट्रीय संपर्कों का इस्तेमाल करते हुए शूटिंग प्रतियोगिताओं के नाम पर कथित तौर पर सिल्वेनिया से अत्याधुनिक हथियार खरीदे, लेकिन हथियारों का इस्तेमाल किसी प्रतियोगिता में नहीं बल्कि अवैध गतिविधियों में किया गया।

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