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आप सांसद ने की इंटरनेशनल फ्लाइट्स से लिए नई गाइडलाइन की मांग

नई दिल्लीः आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने गुरुवार को राज्यसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियम 267 के तहत कार्य स्थगन का नोटिस दिया। चीन में लगातार बढ़ते कोरोना वायरस मामलों और भारत पर इसके प्रभाव पर चर्चा की मांग की। इस दौरान उन्होंने एशियाई देशों के माध्यम से चीन से भारत के लिए कनेक्टिंग उड़ानों पर तत्काल प्रतिबंध लगाने की भी मांग की। प्रभावित देशों के अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों के लिए अनिवार्य क्वारंटाइन की व्यवस्था की मांग की।

अपने लिखित नोटिस में राघव चड्ढा ने कहा कि चीन में ओमिक्रॉन के एक वैरिएंट और कोरोना वायरस में खतरनाक वृद्धि देखी जा रही है। यह दस लाख से अधिक लोगों की मौत का कारण बना है। महामारी के विशेषज्ञों ने आने वाले महीनों के दौरान देश में वायरस की कम से कम तीन लहरों का अनुमान लगाया है।

राघव चड्ढा ने कहा कि वायरस ने पहले ही चीन में कहर बरपाया है, जिससे उसकी स्वास्थ्य प्रणाली अस्त-व्यस्त हो गई है। रिपोर्ट बताती है कि अस्पतालों में बेड नहीं हैं। दवाएं स्टॉक से बाहर चल रही हैं। शवगृहों में जगह नहीं है। महामारी से हुई तबाही के वीडियो सोशल मीडिया पर आ रहे हैं जो लोगों को चिंतित कर रहे हैं।

भाजपा की केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ने 2020 की शुरुआत और अंत में महामारी के शुरुआती संकेतों को नजरअंदाज किया, जिसके कारण वायरस पूरे देश में अनियंत्रित फैल गया। नए वैरिएंट पर नज़र रखने में लापरवाही और चेतावनी के संकेतों की अनदेखी ने हमारे देश को दूसरी लहर में डुबो दिया। जिससे हमारी स्वास्थ्य प्रणाली पूरी तरह से चरमरा गई और लाखों भारतीयों की मौत हो गई।

राघव चड्ढा ने चीन को प्रभावित करने वाले इस नए वैरिएंट के चार मामलों का भारत में पता चलने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि दुनिया हाई अलर्ट पर है। एक राष्ट्र के रूप में, हम न तो शालीनता बरत सकते हैं और न ही केवल आश्वस्त करने वाली सुर्खियों से बेहतर प्रबंधन कर सकते हैं।

उन्होंने चीन से आने वाली उड़ानों पर तुरंत रोक लगाने की मांग की और कहा कि भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए राज्यों को एडवाइजरी जारी की है। हालांकि हमें मजबूत उपायों की जरूरत है। महामारी का प्रबंधन संघ और सभी राज्य सरकारों की सामूहिक जिम्मेदारी है। इसलिए नए संस्करण से आने वाले खतरे और इससे निपटने के लिए सरकार की तैयारी पर संसद में चर्चा की अत्यधिक आवश्यकता है।

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