पंचायत चुनाव को आप ने मैदान में उतारे प्रत्याशी, संजय बोले-केजरीवाल के विकास मॉडल पर लड़ेंगे इलेक्शन

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लखनऊः प्रदेश में आम आदमी पार्टी (आप) ने पंचायत चुनाव में भी उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर दिया है। पार्टी के प्रदेश प्रभारी और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने शुक्रवार को 400 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी। उन्होंने कहा कि अन्य उम्मीदवारों के नामों के साथ जल्द ही दूसरी सूची भी जारी कर दी जाएगी। हम ये पंचायत चुनाव अरविंद केजरीवाल के दिल्ली मॉडल पर लड़ेंगे। उनके दिल्ली के विकास मॉडल की चर्चा आज पूरे देश में है। यह धरातल पर बदलाव की अवधारणा है और वह इस जिला पंचायत के जरिए संभव है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में विकास कार्यों के जरिए जो बड़ा परिवर्तन लोग देखते हैं, वह हम इस जिला पंचायत के जरिए जमीन पर उतारने का पूरा प्रयास करेंगे।

संजय सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश का पंचायत चुनाव हिन्दुस्तान में सबसे बड़ा पंचायत चुनाव है। जब हम ग्राम स्वराज की बात करते हैं, तो सबसे पहले उसमें पंचायतें आती हैं। ग्राम पंचायत, जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायतों में विकास कार्य के लिए जो योजनाएं आती हैं, उसको अगर सही रूप से जमीन पर उतारा जाए तो उत्तर प्रदेश का कायाकल्प सही मायने में हो सकता है। उन्होंने कहा कि पंचायत की योजनाओं का किस तरह से दुरुपयोग होता है, किस तरह से इसमें बंदरबांट होती है, यह बताने की जरूरत नहीं है। किसी भी गांव में चले जाइए, तो सच्चाई सामने आ जाएगी और इसलिए पिछले आठ महीनों से लगातार मेहनत करके एक-एक जिले में जाकर हमारे पदाधिकारियों, नेताओं कार्यकर्ताओं ने अच्छे और ईमानदार उम्मीदवारों का चयन किया।

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संजय सिंह ने कहा कि सूची में सभी वर्ग के लोगों को उचित प्रतिनिधित्व दिया गया है। पार्टी पंचायत चुनाव में न किसी दल से गठबंधन करेगी और न ही किसी दल के साथ मिलकर ही चुनाव लड़ेगी। हमारी प्राथमिकता है कि जो लोग इस जिला पंचायत के चुनाव में अच्छी परफॉर्मेंस देंगे, अच्छे तरीके से जमीन पर काम करके दिखाएंगे तो पार्टी का शीर्ष नेतृत्व उन्हें विधानसभा चुनाव लड़ाने के लिए भी विचार करेगा। इसलिए भी जिला पंचायत का यह चुनाव हमारे लिए महत्वपूर्ण है पंचायत चुनाव आगामी विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल है। संजय सिंह ने कहा कि भाजपा ने कहा था कि पंचायत चुनाव पार्टी सिंबल पर होना चाहिए था और हमने इस बात का स्वागत भी किया था, लेकिन आज भारतीय जनता पार्टी इस बात से मुकर गई उनको डर है कि पंचायत चुनाव में अगर वह उतरती है तो किसान आन्दोलन के कारण वह बुरी तरीके से पराजित हो जाएगी।