Chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि पर बन रहा है दुर्लभ संयोग, जानें घटस्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

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नई दिल्लीः शक्ति की उपासना के चैत्र नवरात्र की शुरुआत होने जा रही है। 22 मार्च से नवरात्र शुरू हो जाएगा और 30 मार्च को महागौरी की पूजा के साथ समापन होगा। इसी दिन रामनवमी मनाई जाएगी। इस बार नवरात्र के दौरान बेहद शुभ योगों का निर्माण हो रहा है। नवरात्रि के इस पर्व के दौरान नौ दिनों तक देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। इस बार चैत्र नवरात्रि के पहले दिन (बुधवार) मां भगवती का आगमन नौका पर होगा जो फसल, धन-धान्य और विकास के लिए लाभदायक रहेगा।। वहीं, देवी दुर्गा का विसर्जन 31 मार्च को होगा। इस दिन शुक्रवार होने से मां डोली पर सवार होकर प्रस्थान करेंगी। इस बार नवरात्र पूरे नौ दिनों के हैं।

चैत्र नवरात्रि का शुभ मुहूर्त
चैत्र नवरात्रि पर बेहद दुर्लभ योग बन रहा है। इस बार चैत्र नवरात्रि पर शुक्ल और ब्रह्म योग बन रहे हैं जोकि बेहद शुभ है। चैत्र नवरात्रि के पहले प्रतिपदा तिथि पर ब्रह्म योग सुबह 9 बजकर 18 मिनट से शुरू हो जाएगा। वहीं शुक्ल योग का निर्माण 21 मार्च को सुबह 12 बजकर 42 मिनट से शुरू होकर 22 मार्च तक रहेगा। नवरात्रि में इस बार चार सर्वार्थ सिद्धि, चार रवि योग, दो अमृत सिद्धि योग, दो राजयोग और एक-एक द्विपुष्कर व गुरु पुष्य का संयोग बनेगा। आखिरी नवरात्र 30 मार्च के दिन महागौरी पूजन व रामनवमी पर गुरु पुष्य योग का दुर्लभ योग रहेगा। गुरु पुष्य योग 30 मार्च रात 11 बजे से शुरू होगा। उसी समय अमृत सिद्धि योग भी शुरू हो जाएगा। इसके साथ ही इन 11 योगों में वाहन, मकान, भूमि, भवन, वस्त्र व आभूषण आदि की खरीदारी अत्यंत शुभ और फलदायक रहेगी।

चैत्र नवरात्रि पर घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
चैत्र नवरात्रि पर घटस्थापना के मुहूर्त की शुरुआत 22 मार्च को सुबह 06.23 बजे से लेकर 07. 32 मिनट तक रहेगी। हिंदू धर्म मान्यताओं के अनुसार शुभ मुहूर्त में घटस्थापना करने से मां भगवती साधक पर प्रसन्न होती हैं। साथ ही सभी विघ्न दूर हो जाते हैं और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।

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चैत्र नवरात्रि पर घटस्थापना की विधि
नवरात्रि के पहले दिन प्रातःकाल के समय घर की अच्छी तरह से सफाई करें और नित्य कार्यो से निवृत्त होने के बाद स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। कलश स्थापना के लिए घर की मंदिर में मां दुर्गा की प्रतिमा का गंगा जल से स्नान करायें और वस्त्र अर्पण करें। इसके बाद पवित्र मिट्टी में जौ मिला लें। अब कलश पर स्वास्तिक का चिन्ह बनायें और कलावा बांध दें। कलश में जल भर कर मिट्टी के ऊपर स्थापित कर दें। कलश के जल में थोड़ा सा गंगा जल जरूर मिलायें। अब कलश में आम के पांच पत्तों की डाल का डालें और फिर मिट्टी के ढक्कन को कलश पर रखें। अब ढक्कन को चावल से भर दें। इसके बाद नारियल में लाल चुनरी और कलावा बांध कर कलश के ऊपर रख दें। अब माता रानी को लाल फूलों की माला अर्पित करें। इसके बाद मौसमी फल, धूप, दीपक, मेवे, रोली, कुुमकुम, सिंदूर, लाल चूड़ी, लाल बिंदी और मिष्ठान अर्पित करें। अब भगवान गणेश का आह्वान करते हुए पूजा की शुरूआत करें। इसके बाद नवरात्रि व्रत कथा का पाठ करें और आरती अवश्य करें। नवरात्रि के नौ दिनों तक रोजाना दुर्गा सप्तशती पाठ के साथ चालीसा और मां दुर्गा जी के मंत्रों का जाप जरूर करें।

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