लखनऊः राज्य के शहरी विकास एवं ऊर्जा मंत्री A. K Sharma ने मुख्यमंत्री के संकल्प और निर्देशों के अनुरूप राज्य की अर्थव्यवस्था को वर्ष 2027 तक एक ट्रिलियन डॉलर तक ले जाने में ऊर्जा और शहरी विकास विभाग की जिम्मेदारियों की समीक्षा की। वर्ष 2027-2028 तक एक ट्रिलियन डॉलर की ऊर्जा की मांग कृषि, विनिर्माण, स्वास्थ्य, सेवा क्षेत्र, बुनियादी ढांचे आदि सभी क्षेत्रों में बढ़ जाएगी। इस बढ़ी हुई मांग को निर्बाध रूप से पूरा करने के लिए थर्मल के उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करना होगा नवीकरणीय ऊर्जा, हरित ऊर्जा के साथ बिजली।
दोनों विभागों से हुई चर्चा
ए.के. शर्मा ने शक्ति भवन में शुक्रवार को अपने दोनों विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के रोडमैप पर दोनों विभागों की जिम्मेदारियों पर चर्चा की और कार्यों की समीक्षा भी की। उन्होंने कहा कि किसी भी देश और राज्य के विकास में ऊर्जा जरूरतें वहां के आर्थिक विकास के इंजन के रूप में काम करती हैं। हमें अपने प्रदेश की ऊर्जा व्यवस्था को मजबूत एवं पूर्णतः मांग के अनुरूप बनाना होगा। ग्रिडों का आधुनिकीकरण कर क्षमता बढ़ानी होगी। इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना होगा। इसके लिए आवश्यक तकनीकी संसाधनों एवं वित्तीय प्रबंधन पर फोकस करते हुए एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाए, ताकि ऊर्जा विभाग अपनी जिम्मेदारियों को पूरी तरह से निभा सके।
बढ़ाया जाएगा उत्पादन
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि वर्ष 2027 तक 22 हजार मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य है। राज्य में 3630 मेगावाट के सोलर पार्क भी बनाये जा रहे हैं। बुन्देलखण्ड में 04 हजार मेगावाट का ग्रीन एनर्जी ट्रांसमिशन कॉरिडोर बनाया जा रहा है। आरडीएस योजना के तहत बिजली व्यवस्था के ढांचागत सुधार के लिए 16 हजार करोड़ रुपये के काम युद्ध स्तर पर चल रहे हैं। अगले कुछ वर्षों में कई थर्मल पावर प्लांटों से बिजली का उत्पादन भी शुरू हो जायेगा। हर साल दस लाख मीट्रिक टन हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करने का भी लक्ष्य है। जैव ऊर्जा पर 5005 करोड़ रुपये की परियोजनाएं क्रियान्वित की जानी हैं।
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उन्होंने कहा कि पार्कों, चौराहों, स्मारकों, ऐतिहासिक स्थलों की सफाई, सौन्दर्यीकरण एवं रख-रखाव के लिए जनभागीदारी एवं संस्थाओं से अधिक से अधिक सहयोग लेने का प्रयास किया जाना चाहिए। टेलीफोन तारों और ऑप्टिकल फाइबर के जाल को व्यवस्थित करें। सीएम ग्रिड योजना के तहत 12 मीटर से ऊपर की सड़कों और सिग्नेचर सड़कों पर बिजली लाइनों को भूमिगत करने का काम योजनाबद्ध तरीके से किया जाना चाहिए, ताकि बिजली लाइनों के कारण किसी भी प्रकार की समस्या उत्पन्न न हो।
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