AAP Launches Bhojpuri Campaign song: आम आदमी पार्टी ने मंलगवार को मकर संक्रांति के अवसर पर ‘बबुआ फिर से CM होइहें’ नाम से अब भोजपुरी में एक कैंपेन सॉन्ग लॉन्च किया। इस गाने में दिल्लीवासियों से आगामी विधानसभा चुनावों में अरविंद केजरीवाल को फिर से चुनने की अपील की गई है। पार्टी ने यह सॉन्ग दिल्ली में रहने वाले पूर्वांचल समाज के लोगों को ध्यान में रखकर लॉन्च किया है। इस गीत के बोल हैं “ऐ राजा जी, फिर से केजरीवाल के जरूरत….आइल बा मुहुरत हो है। बबुआ फिर से CM होइहें…।
AAP सांसद संजय सिंह ने लॉन्च किया सॉन्ग
आम आदमी पार्टी ने पंजाबी भाषा के बाद अब दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए भोजपुरी भाषा में नया प्रचार गीत लॉन्च किया है। भोजपुरी प्रचार गीत लॉन्च करते हुए आप के वरिष्ठ नेता और सांसद संजय सिंह ने कहा कि यह गीत ‘आप’ की विविधता वाली सोच को दर्शाता है कि हम सभी भाषाओं, वर्गों, धर्मों और जातियों का सम्मान करते हैं। वहीं, विधायक दिलीप पांडे ने कहा कि इस गीत में पूर्वांचल की मिट्टी की खुशबू है। यह गीत पूर्वांचल समाज के लोगों के दिलों तक पहुंचेगा और उन्हें और भी मजबूती से “आप” से जोड़ेगा।
“अरे दिल्ली के बदल दिहले सूरत, सुहावन खूबसूरत न हो।
ए राजा जी, फिर से केजरीवाल के जरूरत…आइल बा मुहूरत हो।”खिचड़ी महापर्व के शुभ अवसर पर आम आदमी पार्टी का भोजपुरी भाषा में Special Song हुआ Launch😍👇 pic.twitter.com/kl3gHWFZzC
— AAP (@AamAadmiParty) January 14, 2025
AAP के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि दिल्ली में चुनाव प्रचार में ‘फिर लाएंगे केजरीवाल’ अभियान गीत लॉन्च करने के बाद हम भोजपुरी भाषा में भी एक अभियान गीत लॉन्च कर रहे हैं। जो लोग हिंदी जानते हैं वे सभी इस गीत को अच्छे से समझ सकते हैं। हम इस गीत का इस्तेमाल दिल्ली में चुनाव प्रचार के लिए करेंगे। यह गीत आम आदमी पार्टी की विविधता वाली सोच को भी दर्शाता है कि हम सभी भाषाओं, वर्गों, धर्मों और जातियों का सम्मान करते हैं। इसलिए हमारा चुनाव अभियान भी विविधतापूर्ण तरीके से लोगों तक पहुंचेगा।
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क्या है गाने की खासियत
वहीं इस मौके पर आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता दिलीप पांडे ने कहा कि यह गीत पूर्वांचल की मिट्टी की महक लेकर आता है। हम लोग जो पूरब की मिट्टी से ताल्लुक रखते हैं, इस लोकधुन से भी परिचित हैं। यह सोहर लोकधुन है। सोहर लोकधुन के गीतों की परंपरा सदियों पुरानी है। पूर्वी क्षेत्र, उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र, बिहार और झारखंड में कई सोहर लोकगीत मिल जाते हैं। यह गीत जीवन की उत्पत्ति का उत्सव है। यह गीत हमें अपनी मिट्टी, लोक धुनों और परंपराओं के करीब लाता है।