Sunday, January 5, 2025
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Year Ender 2024 : RG Kar Medical College की घटना ने देश को झकझोर दिया

Year Ender 2024 : वर्ष 2024 पश्चिम बंगाल के लिए कई घटनाओं का गवाह रहा, लेकिन RG Kar Medical College में महिला डॉक्टर की निर्मम हत्या और बलात्कार ने पूरे राज्य और देश को झकझोर कर रख दिया। अगस्त में हुई इस घटना ने न केवल चिकित्सा समुदाय बल्कि आम नागरिकों को भी सड़कों पर उतरने पर मजबूर कर दिया। मामला 9 अगस्त को तब सामने आया जब आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज के सेमिनार हॉल में महिला डॉक्टर का शव मिला।

RG Kar Medical College: देश ही नहीं विदेशों में हुए प्रदर्शन

पीड़िता के माता-पिता ने आरोप लगाया था कि घटना के तुरंत बाद अस्पताल की एक महिला सहायक अधीक्षक ने फोन करके पहले उनकी बेटी की गंभीर बीमारी के बारे में बात की और बाद में आत्महत्या का दावा किया। इस बातचीत का एक ऑडियो क्लिप भी वायरल हुआ, जिसने पीड़ित परिवार के दावों को मजबूत किया।

कोलकाता पुलिस ने मामले की जांच शुरू की और मुख्य आरोपी के रूप में एक नागरिक स्वयंसेवक संजय रॉय को गिरफ्तार किया। हालांकि, जांच के दौरान कई खामियां सामने आईं। इनमें अपराध स्थल को सुरक्षित न रखना, पोस्टमार्टम में अनियमितताएं और सबूतों से छेड़छाड़ के आरोप शामिल थे।

जांच में खामियों और न्याय की मांग को लेकर पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन हुए। आंदोलन का नेतृत्व चिकित्सा समुदाय ने किया था, लेकिन जल्द ही यह आम जनता और अन्य राज्यों में फैल गया। इतनी ही नहीं देश के बाहर भी कई जगहों पर लोगों में गुस्सा देखने को मिला। यहां तक ​​कि एनआरआई ने भी प्रदर्शन किए। 14 अगस्त की रात को जब पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन अपने चरम पर थे, कुछ उपद्रवी तत्वों ने आर.जी. कर अस्पताल के आपातकालीन विभाग में तोड़फोड़ की। संदेह है कि तोड़फोड़ का उद्देश्य सेमिनार हॉल में मौजूद सबूतों को नष्ट करना था। सीबीआई ने जांच शुरू की कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने जांच अपने हाथ में ले ली।

RG Kar Medical College: 2025 में विरोध जारी रहने की उम्मीद

सीबीआई ने सबूतों से छेड़छाड़ और जांच को गुमराह करने के आरोप में पूर्व प्राचार्य संदीप घोष और थाना प्रभारी अभिजीत मंडल को गिरफ्तार किया। हालांकि, सीबीआई की जांच भी सवालों के घेरे में तब आई जब केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल) की रिपोर्ट में सेमिनार हॉल को अपराध स्थल मानने पर संदेह जताया गया। विरोध प्रदर्शनों की घटती गति और कानूनी अड़चनेंमुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बातचीत के बाद जूनियर डॉक्टरों द्वारा भूख हड़ताल वापस लेने के बाद आंदोलन धीमा पड़ गया। इसके बाद 13 दिसंबर को विशेष अदालत ने संदीप घोष और अभिजीत मंडल को 90 दिनों के भीतर आरोप पत्र दाखिल न करने पर डिफॉल्ट जमानत दे दी।

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न्याय की अनिश्चिततासीएफएसएल रिपोर्ट में पोस्टमार्टम प्रक्रिया में खामियां और एक से अधिक आरोपियों की संभावना का जिक्र किया गया, लेकिन ठोस निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सका। इससे जांच पर सवाल उठे और पीड़िता को न्याय मिलने की उम्मीद धूमिल हुई। यह मामला अभी भी पश्चिम बंगाल ही नहीं बल्कि पूरे देश में गहन चर्चा का विषय बना हुआ है। महिला सुरक्षा और जांच प्रक्रिया में सुधार की मांग जोर पकड़ रही है। डॉक्टरों का विरोध अभी भी जारी है और यह विवाद नए साल यानी 2025 में भी खत्म होने वाला नहीं है।

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