Thursday, December 26, 2024
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भारत की बढ़ती ताकत, स्वदेशी युद्धपोत और पनडुब्बी ‘वाग्शीर’ से मजबूत होगी NAVY

नई दिल्ली: ​भारत अगले महीने नौसेना (NAVY) में दो स्वदेशी युद्धपोत और एक डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी शामिल करने जा रहा है, ताकि हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की लगातार बढ़ती पैठ का मुकाबला करने के लिए अपनी समुद्री युद्ध क्षमताओं को बढ़ाया जा सके। नए युद्धपोतों में सबसे बड़ा गाइडेड मिसाइल विध्वंसक सूरत और स्टील्थ फ्रिगेट नीलगिरी शामिल हैं, जिन्हें इसी महीने NAVY को सौंपा गया है। इस बीच, रूस में बना नया युद्धपोत INS तुशील भी स्वदेश आ जाएगा। वाग्शीर भारतीय NAVY की छठी पनडुब्बी है और NAVY के बेड़े में शामिल होने वाली कलवरी श्रेणी की आखिरी पनडुब्बी है।

शिकारी मछली पर रखा गया नाम

INS वाग्शीर का नाम रेत मछली के नाम पर रखा गया है, जो हिंद महासागर के गहरे समुद्र में रहने वाली एक शिकारी मछली है। पनडुब्बी को सभी ऑपरेशन थिएटरों में संचालित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है और यह NAVY टास्क फोर्स के अन्य घटकों के साथ अंतर-संचालन योग्य है। पनडुब्बी वाग्शीर में 1,600 टन का विस्थापन होगा, जो सभी घातक हमले के लिए भारी सेंसर और हथियारों से लैस हैं। सूरत और नीलगिरि को पिछले सप्ताह मुंबई स्थित मझगांव डॉक्स (एमडीएल) ने NAVY को सौंप दिया था। NAVY को मिला जहाज ‘सूरत’ 35 हजार करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट 15बी स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक का चौथा और आखिरी जहाज है।

कई गुना बढ़ जाएगी परिचालन क्षमता

इससे पहले पिछले तीन सालों में इसी प्रोजेक्ट के तीन जहाज विशाखापत्तनम, मोरमुगाओ और इंफाल NAVY के बेड़े में शामिल हो चुके हैं। सूरत की डिलीवरी भारतीय NAVY की स्वदेशी विध्वंसक निर्माण परियोजना की परिणति है। इस परियोजना की शुरुआत 2021 में हुई थी। कुल 7,400 टन वजन और 164 मीटर लंबाई वाला गाइडेड मिसाइल विध्वंसक होने के नाते, आईएनएस सूरत एक शक्तिशाली और बहुमुखी प्लेटफॉर्म है, जो सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों, एंटी-शिप मिसाइलों और टॉरपीडो सहित अत्याधुनिक हथियारों और सेंसर से लैस है। इसने अपने समुद्री परीक्षणों के दौरान 30 नॉट्स (56 किमी/घंटा) से अधिक की गति हासिल की है। यह भारतीय NAVY का पहला स्वदेशी रूप से विकसित एआई सक्षम युद्धपोत है, जो NAVY की परिचालन क्षमता को कई गुना बढ़ाएगा।

NAVY को सौंपा गया फ्रिगेट नीलगिरि प्रोजेक्ट 17ए स्टील्थ का पहला जहाज है। इस योजना के सात जहाज एमडीएल, मुंबई और जीआरएसई, कोलकाता में बनाए जा रहे हैं। ये मल्टी-मिशन फ्रिगेट भारत के समुद्री हितों के क्षेत्र में ‘ब्लू वाटर’ में पारंपरिक और अपारंपरिक दोनों तरह के खतरों का मुकाबला करने में सक्षम हैं। यह डीजल या गैस से चलता है। इनमें अत्याधुनिक एकीकृत प्लेटफॉर्म प्रबंधन प्रणाली भी है। जहाज में सुपरसोनिक सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल प्रणाली, मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली, 76 मिमी की उन्नत तोप और रैपिड फायर क्लोज-इन हथियार प्रणाली लगी हुई है।

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आईएनएस वाग्शीर (एस 26) भारतीय NAVY के लिए छह कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियों के पहले बैच की छठी पनडुब्बी है। यह स्कॉर्पीन श्रेणी पर आधारित एक डीजल-इलेक्ट्रिक अटैक पनडुब्बी है, जिसे फ्रांसीसी NAVY रक्षा और ऊर्जा समूह नेवल ग्रुप द्वारा डिजाइन किया गया है और मुंबई स्थित शिपयार्ड मझगांव डॉक लिमिटेड द्वारा निर्मित किया गया है। इसमें दुश्मन के राडार से बचने, क्षेत्र की निगरानी करने, खुफिया जानकारी इकट्ठा करने, 18 टॉरपीडो और ट्यूब-लॉन्च की गई एंटी-शिप मिसाइलों के साथ सटीक निर्देशित हथियारों का उपयोग करके पानी के नीचे या सतह पर दुश्मन पर विनाशकारी हमला करने की क्षमता है। यह स्टील्थ तकनीक सक्षम कलवरी श्रेणी की पनडुब्बी 221 फीट लंबी, 40 फीट ऊंची है। इसकी गति समुद्र की सतह पर 20 किमी प्रति घंटा और नीचे 37 किमी प्रति घंटा है। इसकी 50 दिनों के लिए पानी के नीचे 350 मीटर तक डूबने की सीमा है।

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