प्रयागराजः ईसा मसीह के जन्मदिन के रूप में मनाया जाने वाला Christmas सिर्फ धार्मिक त्योहार नहीं है। यह प्रेम, शांति और एकता का प्रतीक है, जिसे सभी धर्मों के लोग जाति, धर्म और संस्कृति की सीमाओं को भूलकर एक-दूसरे के साथ खुशियां और सद्भावना बांटते हैं। ईसाई समुदाय के लिए यह भगवान के अवतरण का त्योहार है, लेकिन हिंदू, मुस्लिम, सिख और अन्य धर्मों के लोग भी इसे मानवता और भाईचारे के त्योहार के रूप में मनाते हैं। ये बातें नाजरेथ अस्पताल के प्रशासक फादर इसिडोर डिसूजा ने कहीं। उन्होंने कहा- जिस तरह अन्य धर्मों के लोग भी हिंदू त्योहार दिवाली के अवसर पर दीये जलाकर अपना उत्साह दिखाते हैं, उसी तरह ईसाई लोग भी क्रिसमस के अवसर पर क्रिसमस ट्री और सितारे लगाकर अपनी खुशी का इजहार करते हैं।
दया, सेवा और एकता का संदेश देता है Christmas
ईसा मसीह का मतलब सिर्फ ईसा मसीह का जन्मदिन मनाना नहीं है, बल्कि यह हमें दया, सेवा और एकता का संदेश देता है। यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि प्रेम और परोपकार ही मानवता की सच्ची पहचान है। महात्मा गांधी ने भी कहा था, ‘मानवता की सच्ची सेवा ही ईश्वर की सच्ची पूजा है।’ क्रिसमस हमें सेवा की इसी भावना को अपनाने की प्रेरणा देता है। भारत जैसे विविधतापूर्ण संस्कृति वाले देश में क्रिसमस सिर्फ ईसाई धर्म तक सीमित नहीं है। हिंदू, मुस्लिम, सिख और अन्य धर्मों के लोग भी इस त्योहार को समान उत्साह से मनाते हैं।
चर्चों में मोमबत्तियां जलाना, केक काटना, गरीबों को भोजन कराना और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करना इस त्योहार को सार्वभौमिक बनाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार कहा था, ‘त्योहार हमारी विविधता में एकता के प्रतीक हैं।’ यह क्रिसमस के लिए भी बिल्कुल सही है। यह त्योहार हमें बताता है कि सभी धर्म प्रेम और मानवता का संदेश देते हैं। हाल के वर्षों में क्रिसमस का मूल उद्देश्य कहीं खोता जा रहा है। महंगे उपहार, ब्रांडेड सजावट और शॉपिंग मॉल की चकाचौंध ने इसे व्यावसायिक बना दिया है। लोग अब प्रेम और सेवा से ज्यादा भौतिक चीजों को महत्व दे रहे हैं।
लोगों को एक दूसरे से जोड़ते हैं त्योहार
मदर टेरेसा ने कहा था, ‘हम दुनिया में बड़े काम नहीं कर सकते, लेकिन हम बड़े प्यार से छोटे-छोटे काम तो कर ही सकते हैं।’ यह संदेश हमें याद दिलाता है कि क्रिसमस सिर्फ दिखावे का त्योहार नहीं है, बल्कि सादगी और सेवा का त्योहार है। भारत में सांप्रदायिक तनाव और नफरत के बीच क्रिसमस जैसे त्योहार भी प्रभावित हो रहे हैं। चर्चों पर हमले, कैरोल गायकों को धमकियाँ और नफरत फैलाने वाले भाषण इस त्यौहार की पवित्रता को ठेस पहुँचाते हैं। राष्ट्रपति श्रीमती प्रभुपाद मुर्मू ने अपने एक भाषण में कहा था, ‘त्योहार हमें जोड़ने का काम करते हैं, तोड़ने का नहीं।’ अब समय आ गया है कि हम इस संदेश को आत्मसात करें और सांप्रदायिकता को नकारें। क्रिसमस को सही मायने में मनाने का मतलब है ज़रूरतमंदों की मदद करना, अनाथों के चेहरों पर मुस्कान लाना और हाशिए पर पड़े लोगों को साथ लेकर चलना। ईसा मसीह का जीवन हमें सिखाता है कि सादगी, सेवा और प्रेम ही सच्चे मूल्य हैं।
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उदाहरण के तौर पर, पिछले साल केरल के एक चर्च ने क्रिसमस पर महंगे आयोजनों की जगह गरीबों के लिए मुफ़्त चिकित्सा शिविर आयोजित किए। यह सच्चे क्रिसमस उत्सव का एक उदाहरण है। इस क्रिसमस पर, आइए हम इसे सादगी और सेवा के साथ मनाने का संकल्प लें। हम ज़रूरतमंदों की मदद करेंगे, सांप्रदायिकता को नकारेंगे और प्रेम, शांति और मानवता का संदेश फैलाएँगे। ईसा मसीह ने कहा था, “जो कुछ भी तुम कमज़ोर के लिए करते हो, वह मेरे लिए करते हो।” आइए हम इस संदेश को अपने जीवन में अपनाएँ और क्रिसमस को मानवता का त्यौहार बनाएँ। सभी को क्रिसमस की शुभकामनाएँ। आइए हम इसे सच्चे अर्थों में मनाएं और इसे शांति, प्रेम और सेवा का उत्सव बनाएं।
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