रघुनाथ कसौधन
Waqf Board: भारतीय सेना और रेलवे के बाद वक्फ बोर्ड सबसे अधिक संपत्तियों का मालिक है। अपनी अकूत संपत्ति और दावों को लेकर गठन के बाद से ही यह हमेशा विवादों में रहा है। तुष्टीकरण की राजनीति और संविधान की शुचिता को दरकिनार कर वक्फ बोर्ड को दी गई बेहिसाब शक्तियां आज हर देशवासी को कचोट रही हैं। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में 100 एकड़ भूमि में फैले पूर्वांचल के प्रतिष्ठित शिक्षा केंद्र उदय प्रताप इंटर कॉलेज पर सुन्नी वक्फ बोर्ड का दावा ठहरे हुए पानी में पत्थर मारने जैसा ही दिखाई पड़ रहा है।
Waqf Board आड़ में जमीनों पर कब्जा का आरोप
वक्फ की आड़ में जमीनों पर कब्जे करने की प्रवृत्ति को लेकर अब आम जनता भी मुखर हो रही है और इसके खात्मे की मांग उठने लगी है। पहले बात करते हैं वक्फ बोर्ड के हालिया कारनामे की। वाराणसी के भोजूबीर क्षेत्र में स्थित उदय प्रताप कॉलेज करीब 100 एकड़ में फैला हुआ है। इसकी स्थापना 1909 में महाराजा राजर्षि उदय प्रताप सिंह जूदेव द्वारा की गई थी। पहले उन्होंने हेवेट क्षत्रिय हाईस्कूल की स्थापना की थी, जो कि बाद में उदय प्रताप स्वायत्त महाविद्यालय के रूप में विकसित हुआ। यहां के परिसर में उदय प्रताप इंटर कॉलेज के अलावा रानी मुरार बालिका इंटर कॉलेज, उदय प्रताप पब्लिक स्कूल, मैनेजमेंट कॉलेज के साथ ही उदय प्रताप स्वयात्तशासी कॉलेज का संचालन किया जाता है। इन सभी संस्थानों को मिलाकर कुल यहां पर 15 हजार से अधिक विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करते हैं।
कॉलेज परिसर में घुसते ही करीब 100 मीटर की दूरी पर एक मस्जिद स्थित है और कुछ लोग यहां नमाज अदा करने आते हैं। इसी मजार को आधार बनाकर अब वक्फ बोर्ड इस शैक्षणिक संस्थान की 100 एकड़ भूमि पर कब्जा करना चाहता है। करीब छह साल पहले ही 06 दिसंबर 2018 को यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, लखनऊ के सहायक सचिव आले अतीक ने वक्फ एक्ट 1995 के तहत इस स्वशासी विद्यालय को नोटिस भेजा था। हालांकि, उसी समय कॉलेज की तरफ से इसका जवाब भी दाखिल कर दिया गया था।
चोरी-छिपे नया निर्माण करने का आरोप
हालिया विवाद यह है कि कॉलेज के प्रिंसिपल डीके सिंह ने आरोप लगाया है कि यहां पर चोरी-छिपे नया निर्माण करने की साजिश की जा रही है, जिसके बाद मामला गर्मा गया है। हालांकि, खबर फैलते ही यहां से गिट्टी-मोरंग हटा दिया गया है, पर दो-चार की संख्या में आने के बजाय पिछले दिनों सैकड़ों की संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने यहां पर नजाम अदा कर शक्ति प्रदर्शन किया, जिसके बाद से माहौल अशांत हो गया है।
कॉलेज के प्राचीन छात्र एसोसिएशन के बैनर तले छात्रों ने हंगामा करना शुरू कर दिया है। मंगलवार को वक्फ बोर्ड का पुतला फूंकते हुए प्रशासन से यह मांग की कि यहां पर धार्मिक गतिविधियों पर लगाम लगाई जाए। यह शिक्षा का केंद्र है, यहां पर धार्मिक गतिविध करने से बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है। छात्रों का कहना है कि यह भूमि और बिल्डिंग इंडाउमेंट ट्रस्ट की है, ऐसे में वक्फ के दावे को खारिज किया जाना चाहिए।
वसीम ने किया था वक्फ की संपत्ति होने का दावा
कॉलेज की संपत्ति को वक्फ बोर्ड की संपत्ति होने का दावा भोजूबीर तहसील क्षेत्र के रहने वाले वसीम अहमद खान ने किया था। वसीम ने रजिस्ट्री पत्र भेजकर यह दावा किया था कि उदय प्रताप कॉलेज छोटी मस्जिद नवाब टोंक की संपत्ति है और नवाब साहब ने छोटी मस्जिद को वक्फ कर दिया था। इसकी वजह से यह वक्फ की संपत्ति है और इसे कब्जे में लिया जाना चाहिए। इसके बाद यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कॉलेज प्रबंधन को नोटिस भेजकर कहा था कि 15 दिनों के भीतर जवाब दाखिल करें अन्यथा आपकी आपत्ति फिर नहीं सुनी जाएगी।
वर्तमान समय में कॉलेज के प्रिंसिपल डीके सिंह का कहना है कि वक्फ बोर्ड की नोटिस पर तत्कालीन सचिव ने जवाब भेज दिया था। कहा था कि यह जमीन एंडाउमेंट ट्रस्ट की है। न तो यह जमीन खरीदी जा सकती है और न ही बेची जा सकती है। यदि किसी प्रकार का मालिकाना हक भी है तो वह समाप्त हो जाता है। कॉलेज की जमीन को वक्फ बोर्ड की संपत्ति बताना किसी अराजक तत्व के दिमाग की उपज है।
Waqf Board के पास है दुनिया के 50 देशों से ज्यादा प्रॉपर्टी
1954 में बनाए गए वक्फ एक्ट को अगर विवादों का एक्ट कहा जाए, तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। इस एक्ट को बनाने का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के अलावा दान में मिले शिक्षण संस्थान, मस्जिद, कब्रिस्तान और रैनबसेरों का निर्माण व रखरखाव करना था। देश में कोई भी मुस्लिम अपनी चल-अचल संपत्ति को वक्फ कर सकता है, जिसका मतलब होता है कि खुदा के नाम पर अर्पित की गई वस्तु या परोपकार के लिए दिया गया धन।
कोई भी संपत्ति वक्फ घोषित होने के बाद गैर-हस्तांतरणीय हो जाती है यानी उसका मालिक सिर्फ खुदा होता है। वह किसी को बेची नहीं जा सकती है। एक्ट बनने के बाद लगातार सरकारों ने इसमें संशोधन किया और इसे बेहिसाब शक्तियां प्रदान कर दी। जिसका परिणाम यह हुआ है कि दान में मिलने वाली संपत्तियों के साथ ही यह बोर्ड आम लोगों की संपत्तियों, मंदिरों, कॉलेजों पर भी कब्जा करने लगा। वर्तमान में स्थिति यह है कि वक्फ बोर्ड के पास दुनिया के 50 देशों से ज्यादा प्रॉपर्टी मौजूद है।
भारतीय सेना व रेलवे के बाद यह तीसरा सबसे अधिक जमीनों का मालिक है। भारतीय सेना के पास 18 लाख एकड़ जमीन तो रेलवे के पास 12 लाख एकड़ जमीन है, वहीं वक्फ बोर्ड के पास 10 लाख एकड़ जमीन है। आंकड़ों पर गौर करें तो साल 2009 में इस बोर्ड के पास 4 लाख एकड़ जमीन थी लेकिन 13 वर्षों में यह संपत्ति दोगुने से भी अधिक हो गई। इसके बाद इतनी संपत्ति है कि दिल्ली जैसे तीन शहरों को बसाया जा सकता है।