नई दिल्लीः भारत सरकार ने राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन की अनुसंधान एवं विकास (R&D) योजना के तहत उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) की स्थापना के लिए प्रस्ताव के लिए अनुरोध (सीएफपी) आमंत्रित किए हैं। भारत में हरित हाइड्रोजन के लिए विश्व स्तरीय उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना का उद्देश्य दीर्घकालिक रूप से नवाचार, स्थिरता और ऊर्जा आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना है। ये उत्कृष्टता केंद्र हरित हाइड्रोजन उत्पादन, भंडारण और उपयोग प्रौद्योगिकियों के माध्यम से कम कार्बन अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में मदद करेंगे।
Green Hydrogen से नवाचारों को मिलेगा बढ़ावा
ये केंद्र अत्याधुनिक अनुसंधान, कौशल विकास और ज्ञान प्रसार के लिए केंद्र बिंदु के रूप में कार्य करेंगे। ये केंद्र हरित हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों में नवाचारों को बढ़ावा देने के लिए उद्योग, शिक्षा और सरकार सहित हितधारकों के बीच सहयोग की सुविधा भी प्रदान करेंगे, जिससे प्रक्रिया दक्षता में सुधार होगा और नए उत्पादों का विकास होगा। ये केंद्र देश में संपूर्ण हरित हाइड्रोजन पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के लिए विशेषज्ञता और संसाधनों का लाभ उठाएंगे।
सरकार ने आवंटित किए 100 करोड़ रुपए
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने इससे पहले 15 मार्च 2024 को राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत अनुसंधान एवं विकास योजना के क्रियान्वयन के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे। इस सीएफपी के तहत प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए अनुसंधान संस्थानों, विश्वविद्यालयों सहित सार्वजनिक और निजी संस्थाएं भागीदारी करेंगी। सरकार ने हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत ऐसे केंद्र स्थापित करने के लिए 100 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।
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Green Hydrogen भारत के विकास में सहायक
राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन 04 जनवरी 2023 को लॉन्च किया गया था, जिसकी अनुमानित लागत 2029-30 तक 19,744 करोड़ रुपये है। यह स्वच्छ ऊर्जा के माध्यम से आत्मनिर्भर बनने के भारत के लक्ष्य में योगदान देगा और वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा के लिए उत्प्रेरक का काम करेगा। यह मिशन अर्थव्यवस्था में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम करेगा और जीवाश्म ईंधन के आयात पर निर्भरता को भी कम करेगा। राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन भारत को हरित हाइड्रोजन प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अग्रणी बनाने में सक्षम बनाएगा।
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