Chhath Puja 2024 , कोलकाता: लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन है और आज डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य दिया जाएगा। पश्चिम बंगाल में भी छठ पूजा को लेकर बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड से कम उत्साह नहीं है। इसकी वजह यह है कि राज्य का अधिकांश हिस्सा गंगा नदी और अन्य छोटी-बड़ी नदियों और तालाबों के किनारों से घिरा हुआ है।
इन जल स्रोतों के किनारे लाखों लोग छठी मैया और सूर्य देव की पूजा (Chhath Puja 2024) करने के लिए उमड़ते हैं। इसलिए पश्चिम बंगाल सरकार ने खास इंतजाम किए हैं। सभी गंगा घाटों की सफाई की गई है। कोई दुर्घटना न हो, इसके लिए अतिरिक्त संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है और घाटों पर लगातार माइकिंग की व्यवस्था की गई है।
छठ व्रतियों के बीच दाई घाट जा सकती है सीएम ममता
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हर साल कोलकाता के दाई घाट पर छठ व्रतियों के बीच जाती हैं। आज भी उनका जाने का कार्यक्रम है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाए जाने वाले इस पर्व में व्रती महिलाएं संतान की लंबी आयु और परिवार की समृद्धि की कामना के साथ भगवान सूर्य की पूजा करती हैं। यह पर्व बंगाल में भी बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जा रहा है। आज छठ पूजा का तीसरा दिन है, जिसे संध्या अर्घ्य के नाम से जाना जाता है। शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा, जिसे अस्ताचलगामी सूर्य अर्घ्य कहा जाता है।
Chhath Puja 2024: आज शाम डूबते हुए सूर्य दिया जाएगा अर्घ्य
कोलकाता, हावड़ा, हुगली और उत्तर व दक्षिण 24 परगना समेत बंगाल के विभिन्न इलाकों में व्रती महिलाएं छठ घाट पर एकत्रित होकर शाम को सूर्य देव को अर्घ्य देंगी। इस दौरान व्रती महिलाएं पानी में खड़े होकर ठेकुआ, गन्ना, नारियल व अन्य प्रसाद सामग्री से सूर्य देव की पूजा करेंगी और अपने परिवार की सुख-समृद्धि व लंबी आयु की कामना करेंगी।
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आज सूर्यास्त का समय शाम 5:31 बजे है, इसी समय सूर्य को पहला अर्घ्य दिया जाएगा। व्रती महिलाएं पूरी श्रद्धा के साथ सूर्य देव को अर्घ्य देकर अपने परिवार की सुख-शांति व समृद्धि की कामना करेंगी। छठ पूजा के इस अवसर पर तालाबों व नदियों के किनारे बनाए गए छठ घाटों को सजाया गया है, जहां श्रद्धालु पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना करेंगे।
Chhath Puja 2024: छठ पूजा का महत्व
छठ पूजा का धार्मिक व सांस्कृतिक महत्व भी गहरा है। इस त्यौहार के दौरान बांस की टोकरी, जिसे ‘डाला’ कहा जाता है, का विशेष महत्व होता है। इस टोकरी में छठ पूजा से जुड़ी सभी सामग्रियाँ रखी जाती हैं और इसे सिर पर उठाकर छठ घाट तक ले जाया जाता है। बंगाल में छठ पूजा का यह त्यौहार लोगों को उनके परिवारों से जोड़ता है, क्योंकि दूर-दूर से लोग बंगाल में आकर बसे हैं, लेकिन वे छठ पूजा को अपने गाँव की तरह ही मनाते हैं।