Sunday, December 29, 2024
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Sharda Sinha: जिनकी आवाज ने छठ को लोकल से ग्लोबल बनाया, वह महापर्व के पहले ही दिन छोड़ गईं दुनिया

Sharda Sinha , नई दिल्ली: लोक गायिका शारदा सिन्हा के गीतों के बिना छठ पूजा अधूरी है। उन्होंने छठ पर्व के लिए ‘केलवा के पत पर उगलन सूरजमल झुके झुके’ और ‘सुना छठी माई’ जैसे कई मशहूर छठ गीत गाए हैं। इन गीतों के बिना छठ पर्व अधूरा लगता है। उनके गीत देश ही नहीं बल्कि सात समंदर पार अमेरिका में भी सुने जाते हैं। मंगलवार की रात शारदा सिन्हा की आवाज खामोश हो गई, जब छठ पर्व का पहला दिन था।

Sharda Sinha: बॉलीवुड में भी अपनी अनूठी गायकी का बिखेरा जादू

शारदा सिन्हा का जाना देश के संगीत खासकर भोजपुरी, मैथिली और मगही के लिए बहुत बड़ी क्षति है। शारदा सिन्हा ने अपनी मधुर आवाज से न सिर्फ भोजपुरी और मैथिली संगीत को नई पहचान दी, बल्कि बॉलीवुड में भी अपनी अनूठी गायकी का जादू बिखेरा। सलमान खान की फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ का गाना ‘कहे तोसे सजना’ उनकी आवाज में खूब लोकप्रिय हुआ था। इसके अलावा उन्होंने “गैंग्स ऑफ वासेपुर पार्ट 2” और “चारफुटिया छोकरे” जैसी फिल्मों में भी गाने गाए, जिन्हें दर्शकों ने खूब सराहा।

भारतीय संगीत में बनाई अपनी एक अलग पहचान

लोक गायिका शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर 1952 को बिहार के सुपौल जिले के हुलास गांव में हुआ था। बचपन से ही संगीत में गहरी रुचि रखने वाली शारदा ने अपनी मेहनत और संगीत के प्रति जुनून के दम पर खेतों से लेकर बड़े मंचों तक का लंबा सफर तय किया। शारदा सिन्हा खास तौर पर छठ पूजा के गीतों के लिए मशहूर हैं और उन्होंने भारतीय संगीत में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। शारदा सिन्हा का संगीत का सफर बिहार के बेगूसराय जिले के सिहमा गांव से शुरू हुआ, जहां उनका ससुराल रहता था।

ये भी पढ़ेंः- Sharda Sinha Death: पटना में राजकीय सम्मान के साथ होगा शारदा का अंतिम संस्कार

यहीं पर उनकी मैथिली लोकगीतों में रुचि पैदा हुई, जो बाद में उनके संगीत करियर का आधार बनी। शारदा ने न सिर्फ मैथिली, बल्कि भोजपुरी, मगही और हिंदी संगीत में भी अपनी आवाज का जादू बिखेरा। इलाहाबाद में आयोजित बसंत महोत्सव में शारदा ने अपनी गायकी से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया और प्रयाग संगीत समिति ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें मंच पर प्रस्तुति देने का मौका दिया।

Sharda Sinha Death: इन छठ गीतों से मिली पहचान

साल 2016 में शारदा सिन्हा ने ‘सुपवा ना मिले माई’ और ‘पहिले पहिल छठी मईया’ नाम से दो नए छठ गीत जारी किए। इन गीतों ने छठ पूजा के पारंपरिक महत्व को एक बार फिर लोगों के दिलों में जीवंत कर दिया और न केवल बिहार बल्कि पूरे देश में इस धार्मिक त्योहार की भावना को फैलाया। छठ पूजा के गीतों में शारदा सिन्हा के संगीत का विशेष स्थान है और उनकी आवाज ने इस धार्मिक अवसर को और भी गहरा बना दिया।

Sharda Sinha Death: कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से हुई सम्मानित

संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान की सराहना की गई और उन्हें 1991 में ‘पद्म श्री’ और 2018 में ‘पद्म भूषण’ जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। ये सम्मान उनकी अनूठी गायकी के साथ-साथ भारतीय संगीत और संस्कृति को समर्पित उनके योगदान का प्रतीक हैं।

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