Tuesday, November 5, 2024
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Foreign investment बढ़ाने के लिए योगी सरकार ने इस प्रस्ताव को दी मंजूरी, पॉलिसी में किया संसोधन

लखनऊः उत्तर प्रदेश में विदेशी निवेश (Foreign investment) बढ़ाने के लिए योगी सरकार ने अहम फैसला लिया है। सोमवार को लोकभवन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में फॉर्च्यून 500 कंपनियों के एफडीआई और निवेश के लिए प्रोत्साहन नीति 2023 में संशोधन को मंजूरी दे दी गई। इस संशोधन के जरिए योगी सरकार ने विदेशी निवेशकों को बड़ी राहत दी है। इसके जरिए अब ऐसी विदेशी कंपनियां भी प्रदेश में निवेश कर सकेंगी जो इक्विटी के साथ ही लोन या किसी अन्य स्रोत से पैसे का इंतजाम करती हैं।

इस फैसले से बढ़ेगा Foreign investment

योगी सरकार के इस फैसले से प्रदेश में विदेशी निवेश बढ़ने की संभावना है। विदेशी पूंजी निवेश शामिल योगी कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति 1/11/2023 को आई थी, इसमें थोड़ा संशोधन किया गया है। नीति में पात्रता के लिए निवेश की न्यूनतम सीमा 100 करोड़ रुपये रखी गई है। उन्होंने बताया कि अब तक एफडीआई के तहत कंपनी की अपनी इक्विटी होती थी, लेकिन अधिकांश कंपनियां अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए बाहरी लोन के साथ-साथ अन्य माध्यमों से भी धन का प्रबंध करती हैं। हमने उसकी भी अनुमति दे दी है।

नई नीति में क्या-क्या नया ?

अगर किसी कंपनी के पास सिर्फ 10 प्रतिशत इक्विटी है और 90 प्रतिशत निवेश राशि का प्रबंध अन्य स्रोतों से किया गया है तो हम उसे भी लाभ प्रदान करेंगे। 100 करोड़ रुपये का निवेश पात्र माना जाएगा। उन्होंने बताया कि अब इस नीति को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, विदेशी पूंजी निवेश और फॉर्च्यून ग्लोबल 500 और फॉर्च्यून इंडिया 500 निवेश प्रोत्साहन नीति 2023 कहा जाएगा। इक्विटी में निवेश करने वाली विदेशी कंपनी के लिए वरीयता शेयर, डिबेंचर, बाहरी वाणिज्यिक उधार, स्टैंड बाय लेटर ऑफ क्रेडिट, गारंटी के पत्र और अन्य ऋण प्रतिभूतियों को विदेशी पूंजी निवेश के रूप में शामिल किया गया है।

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इसके अलावा, बाहरी वाणिज्यिक उधार, व्यापार ऋण, संरचित दायित्वों पर ढांचे के तहत आरबीआई द्वारा निर्धारित अन्य तरीके 100 करोड़ रुपये तक के विदेशी निवेश की गणना के लिए पात्र होंगे। विदेशी निवेशक कम्पनी द्वारा किये गये विदेशी पूंजी निवेश की राशि (इक्विटी में न्यूनतम 10 प्रतिशत तथा ऋण एवं अन्य साधनों के माध्यम से 100 करोड़ रूपये तक की शेष राशि सहित) को इस नीति के अन्तर्गत पात्र माना जायेगा तथा पूंजी निवेश की गणना में शामिल किया जायेगा।

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