Friday, October 18, 2024
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बटलर पैलेस में स्टूडेंट्स के लिए बनेगा बुक कैफे, देखें क्या है पूरी योजना

लखनऊः ग्रीन कॉरिडोर परियोजना के तहत पक्का पुल से डालीगंज और निशातगंज से कुकरैल तक आरओबी निर्माण और बांध के चौड़ीकरण में आ रही बाधाएं दूर होंगी। लखनऊ में राजस्थानी शैली में बना ‘बटलर पैलेस’ (Butler Palace) अब पुस्तक प्रेमियों की पहली पसंद बनेगा। यहां हेरिटेज लुक में बुक कैफे बनाया जाएगा, जहां फोटो गैलरी के साथ लाइट एंड साउंड शो संचालित किए जाएंगे।

5 करोड़ की लागत से हो रहा काम

इसके अलावा लॉन और ओपन थियेटर में आर्ट एंड क्राफ्ट प्रदर्शनी के साथ रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किए जा सकेंगे। एलडीए उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार ने बताया कि प्राधिकरण द्वारा करीब 05 करोड़ रुपये की लागत से बटलर पैलेस का संरक्षण कार्य कराया जा रहा है। इसके बाह्य और आंतरिक क्षेत्र का कार्य जल्द पूरा हो जाएगा। उन्होंने बटलर पैलेस में प्रस्तावित गतिविधियों का प्रस्तुतीकरण दिया। जिसमें बटलर पैलेस को वीवीआईपी गेस्ट हाउस या बुक कैफे के रूप में संचालित करने का प्रस्ताव रखा गया। उन्होंने बताया कि बटलर पैलेस के तीन से चार किलोमीटर के दायरे में 100 से अधिक स्कूल, कॉलेज और कोचिंग संस्थान हैं।

कला एवं शिल्प प्रदर्शनी जैसे होंगे कार्यक्रम

ऐसे में बटलर पैलेस में बुक कैफे विकसित होने से छात्रों और पुस्तक प्रेमियों को बेहतर स्थान मिलेगा और बड़ी संख्या में लोग इसका लाभ उठा सकेंगे। बुक कैफे के साथ ही बटलर पैलेस में द्वितीय तल पर फोटो गैलरी और ऑडियो-विजुअल शो का भी प्रावधान किया जाएगा। साथ ही रात में महल की दीवार पर अवध की संस्कृति को दर्शाता लाइट एंड साउंड शो भी कराया जाएगा। बुक कैफे के प्रस्ताव पर मंडलायुक्त ने भी सहमति दे दी है। महल के पास स्थित उद्यान क्षेत्र को सार्वजनिक उपयोग में लाने और ओपन थियेटर व उद्यान क्षेत्र में कला एवं शिल्प प्रदर्शनी व रंगारंग कार्यक्रम जैसे आयोजनों को भी प्रस्ताव में शामिल करने पर सहमति बन सकती है।

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संयुक्त सर्वे कराने पर दिया जा रहा जोर

पक्का पुल से डालीगंज तक आरओबी/फ्लाईओवर निर्माण और निशातगंज से कुकरैल तक 4 लेन सड़क निर्माण व बांध चौड़ीकरण के कार्य में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए संबंधित विभाग के अधिकारियों के साथ संयुक्त सर्वे कराने पर जोर दिया जा रहा है। इसमें पेड़ों की गिनती, एचटी लाइन, पाइप लाइन व सीवर लाइन आदि शिफ्ट करने के लिए नगर निगम, जल निगम, जलकल, सिंचाई विभाग, लेसा व वन विभाग के अधिकारियों को अलग-अलग पत्र भेजा जाए।

रिपोर्ट- शरद त्रिपाठी

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