Monday, December 16, 2024
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Shardiya Navratri 2024 : शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन इस तरह करें मां कूष्मांडा की पूजा, जानें माता स्वरूप एवं मंत्र

Shardiya Navratri 2024: Day 4, नई दिल्लीः नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चतुर्थ स्वरूप मां कूष्मांडा (Kushmanda) देवी की पूजा का विधान है। तीसरे दिन शुक्रवार को जहां मां चंद्रघंटा की आराधना की गयी। वहीं अब शनिवार को मां कूष्मांडा की भक्तिभाव के साथ पूजा होगी। दरअसल माता कूष्मांडा अपनी मन्द मुस्कान से अण्ड अर्थात ब्रह्माण्ड को उत्पन्न करने के कारण कूष्मांडा देवी के नाम से जानी जाती हैं।

इनकी पूजा के दिन भक्त का मन ‘अनाहत’ चक्र में स्थित होता है। अतः इस दिन उसे अत्यंत पवित्र और शांत मन से कूष्मांडा देवी के स्वरूप को ध्यान में रखकर पूजा करनी चाहिए। माता कूष्मांडा को कुष्माण्ड यानी कुम्हड़े की बली दी जाती है। कूम्हडे की बलि इन्हें प्रिय है। इसकी बली से हर तरह की परेशानियां दूर हो जाती है। इस कारण भी इन्हें कूष्मांडा के नाम से जाना जाता है।

Shardiya Navratri 2024 Day 4: मां कूष्मांडा का स्वरूप

देवी कूष्मांडा (Kushmanda) अष्टभुजा से युक्त हैं। अतः इन्हें देवी अष्टभुजा के नाम से भी जाना जाता है। देवी के हाथों में क्रमशः कूष्मांडा, धनुष, बाण, कमल का फूल, अमृत से भरा कलश, चक्र तथा गदा है। देवी के आठवें हाथ में बिजरंके (कमल के फूल का बीज) का माला है। यह माला भक्तों को सभी प्रकार की ऋद्धि सिद्धि देने वाला है। देवी अपने प्रिय वाहन सिंह पर सवार हैं। जो भक्त श्रद्धा पूर्वक इस देवी की उपासना दुर्गा पूजा के चौथे दिन करता है उसके सभी प्रकार के कष्ट रोग, शोक का अंत होता है और आयु एवं यश की प्राप्ति होती है। इस देवी का निवास सूर्य मण्डल के मध्य में है और यह सूर्य मंडल को अपने संकेत से नियंत्रित रखती हैं।

ये भी पढ़ेंः- Shardiya Navratri 2024: नवरात्रि के तीसरे दिन होती है मां चंद्रघंटा की आराधना, इस मंत्र का जरुर करें जप

Shardiya Navratri 2024 Day 4: मां कूष्मांडा की पूजा की विधि

नवरात्रि के चौथे दिन देवी कूष्मांडा की पूजा का विधान उसी प्रकार है जिस प्रकार देवी ब्रह्मचारिणी और चन्द्रघंटा की पूजा की जाती है। इस दिन भी आप सबसे पहले कलश और उसमें उपस्थित देवी देवता की पूजा करें फिर माता के परिवार में शामिल देवी देवता की पूजा करें जो देवी की प्रतिमा के दोनों तरफ विराजमान हैं। इनकी पूजा के पश्चात देवी कूष्मांडा की पूजा करें। पूजा की विधि शुरू करने से पहले हाथों में फूल लेकर देवी को प्रणाम कर इस मंत्र का ध्यान करें “सुरासम्पूर्णकलशं रूधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्मांडा शुभदास्तु मे।।”

मां कूष्मांडा देवी का मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्मांडा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

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