Monday, October 28, 2024
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Doctor rape-murder case: पोस्टमार्टम करने वाली टीम के एक डॉक्टर ने ली थी फोटो, CBI के हाथ लगी बड़ी कामयाबी

Doctor rape-murder case, कोलकाताः आर.जी. कर अस्पताल में हुई घटना के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण तथ्य सामने आया है। पोस्टमार्टम के दौरान एक युवा डॉक्टर ने संदेह के आधार पर अपने मोबाइल से पोस्टमार्टम की 15 तस्वीरें खींची थीं, जो अब इस मामले की जांच में अहम कड़ी साबित हो सकती हैं।

फॉरेंसिक जांच के लिए भेजे गए फोटो

ये तस्वीरें 9 अगस्त की शाम को पोस्टमार्टम के दौरान खींची गई थीं, जिन्हें जांच के लिए दिल्ली भेजा गया है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने इन तस्वीरों को फोरेंसिक जांच के लिए भेजा है, जिससे इस मामले में अभी भी अनसुलझे कई सवालों के जवाब मिल सकते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, जिस दिन युवा डॉक्टर का पोस्टमार्टम किया जा रहा था, उस दिन तीन सदस्यीय टीम में शामिल एक डॉक्टर ने सूर्यास्त के बाद पोस्टमार्टम करने पर आपत्ति जताई थी।

अभी तक किसी भी तरह के छेड़छाड़ का संदेह नहीं

सीबीआई इस मामले में संदेह के आधार पर सभी डॉक्टरों को कई बार तलब कर चुकी है। पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी में मृतक के शरीर पर चोट के निशान साफ ​​नहीं दिख रहे थे, जिससे जांच में बाधा आ रही थी। इसी बीच एक डॉक्टर ने अपने मोबाइल में खींची गई तस्वीरों के बारे में सीबीआई को जानकारी दी। इसके बाद सीबीआई ने उन तस्वीरों को अपने कब्जे में लेकर जांच के लिए भेज दिया। सूत्रों के अनुसार, ये तस्वीरें डिजिटल फोरेंसिक मानकों के अनुसार ली गई हैं और इनमें किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की गई है।

साफ दिखाई दे रहीं चोटें

तस्वीरों में मृतक के शरीर पर बाहरी और अंदरूनी चोटों के निशान साफ ​​दिखाई दे रहे हैं, जिसमें यौन अंगों पर लगी चोटें भी शामिल हैं। इन तस्वीरों में पोस्टमार्टम के दौरान मृतक के शरीर के विभिन्न अंगों की स्थिति साफ दिखाई दे रही है और विशेषज्ञों का मानना ​​है कि ये जांच में अहम भूमिका निभा सकती हैं। अभी तक इस मामले में पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी से जांच में कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है।

यह भी पढ़ेंः-जूनियर डॉक्टरों के आंदोलन पर दिलीप घोष का कटाक्ष, आंदोलनकारियों ने भी करारा जवाब

सीबीआई ने दिल्ली और कल्याणी एम्स के फोरेंसिक विशेषज्ञों को वीडियोग्राफी दिखाई है, लेकिन अभी तक उससे कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पाई है। विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में हर समय फोरेंसिक वीडियोग्राफी नहीं की जाती है और कई बार इसे करने वाले व्यक्ति को उचित प्रशिक्षण भी नहीं मिलता है। फिलहाल सीबीआई इस मामले में पोस्टमार्टम के दौरान ली गई 15 तस्वीरों को मजबूत सबूत मान रही है, जो जांच में मददगार साबित हो सकती हैं।

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