‘One Nation, One Election’ : आम से लेकर खास तक, सबकी सहमति से तैयार हुई है ‘कोविंद समिति’ की रिपोर्ट

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One Nation, One Election: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर कोविंद समिति की सिफारिशों को मंजूरी दे दी। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित समिति ने 14 मार्च, 2024 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंपी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में कोविंद समिति की सिफारिशों को मंजूरी दी गई। बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मीडिया को यह जानकारी दी।

एक राष्ट्र, एक चुनाव के पक्ष में 80 प्रतिशत सुझाव

कोविंद समिति का गठन 2 सितंबर 2023 को किया गया था। समिति ने 191 दिनों तक राजनीतिक दलों और विभिन्न हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद 18,626 पन्नों की रिपोर्ट तैयार की थी। आठ सदस्यीय समिति ने आम जनता से भी राय मांगी थी। आम जनता से 21,558 सुझाव मिले थे। इसके अलावा 47 राजनीतिक दलों ने भी अपनी राय और सुझाव दिए, जिनमें से 32 ने इसका समर्थन किया। कुल 80 फीसदी सुझाव ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के पक्ष में आए। समिति ने देश के प्रमुख उद्योग संगठनों और अर्थशास्त्रियों से भी सुझाव लिए थे।

1999 में आया था ये सुझाव

‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर चर्चा सबसे पहले 1999 में शुरू हुई थी, जब विधि आयोग ने अपनी 170वीं रिपोर्ट में हर पांच साल में लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव एक साथ कराने का सुझाव दिया था। इसके बाद कार्मिक, लोक शिकायत, विधि और न्याय संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने 2015 में अपनी 79वीं रिपोर्ट में दो चरणों में एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की थी।

कोविंद समिति की रिपोर्ट में क्या है

कोविंद समिति ने लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनाव भी दो चरणों में कराने का सुझाव दिया है। समिति ने कहा है कि पहले चरण में लोकसभा और राज्यसभा चुनाव एक साथ कराने का प्रस्ताव है, जबकि दूसरे चरण में उसके 100 दिन के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराने का प्रस्ताव है। समिति ने कहा है कि सभी चुनावों के लिए एक ही मतदाता सूची होनी चाहिए।

‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ को लागू करने के लिए एक कार्यान्वयन समूह बनाया जाएगा। कार्यान्वयन समूह कैबिनेट द्वारा पारित सिफारिशों पर राजनीतिक दलों और अन्य हितधारकों से भी राय लेगा। उसके बाद इसके लिए जरूरी संविधान संशोधन विधेयक संसद में पेश किया जाएगा।

एक सवाल के जवाब में अश्विनी वैष्णव ने कहा कि सरकार विधेयक लाने से पहले आम सहमति बनाने के लिए राजनीतिक दलों के साथ विस्तृत चर्चा करेगी। यह पूछे जाने पर कि क्या ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ 2029 के लोकसभा चुनाव से लागू होगा, वैष्णव ने कहा कि अभी यह कहना संभव नहीं है कि इसे किस चुनाव से लागू किया जाएगा।

गौरतलब है कि संविधान संशोधन के लिए मोदी सरकार को एनडीए से बाहर की पार्टियों का भी सहयोग चाहिए होगा। संविधान संशोधन के लिए सदन के 50 फीसदी सदस्यों के साथ-साथ सदन में मौजूद कम से कम दो तिहाई सदस्यों का विधेयक के पक्ष में मतदान करना जरूरी है।

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समिति में कौन-कौन था शामिल

कोविंद समिति के अन्य सदस्यों में गृह मंत्री अमित शाह, लोकसभा में तत्कालीन विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी, राज्यसभा में तत्कालीन विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, 15वें वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एन.के. सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी को सदस्य बनाया गया। हालांकि, अधीर रंजन चौधरी और गुलाम नबी आज़ाद कभी भी समिति की बैठकों में शामिल नहीं हुए क्योंकि विपक्षी कांग्रेस पार्टी ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का विरोध कर रही है।

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