अपनी जरूरतों और प्रायोजित नीतियों के हिसाब से सियासत करने का आरोप कांग्रेस की अगुवाई वाले India Alliance पर फिर लग रहा है। देश के पश्चिमी हिस्से से लेकर उत्तर से दक्षिण तक, हर जगह इसकी बानगी नजर आती है। खासकर देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस का रवैया तो बेहद दिलचस्प है। जाति, संप्रदाय, वर्ग विशेष के मामले में उसके ‘पिक एंड यूज’ पॉलिसी को लेकर सवाल बनते रहे हैं। यहां तक कि ‘मुस्लिम परस्त’ हो जाने तक के आरोप लगते आए हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस राह पर बढ़ने का कांग्रेस का रवैया ही उसे 2014 से केंद्र की सत्ता से बाहर रखे हैं। केंद्रीय राजनीति में आने के लिए अभी भी उसको सबके भरोसे को जीतने का हुनर सीखना होगा, जो देश की आजादी के बाद सबसे लंबे समय तक सत्ता में रही थी। कांग्रेस के साथ-साथ समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, झारखंड मुक्ति मोर्चा और अन्य सहयोगी दलों की स्थिति भी एक जैसी ही है। सीधे अर्थों में कहा जाए तो देश की सियासी पार्टियां एक आंख में काजल, एक आंख में सूरमा वाले कथन को चरितार्थ करती दिख रही हैं।
पश्चिम बंगाल में महिलाएं पूरी तरह असुरक्षित
पिछले दिनों पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, झारखंड जैसे राज्यों में महिलाओं के खिलाफ लगातार आपराधिक वारदात की खबरें सामने आयीं। इस पर भाजपा ने इन राज्यों में महिला अत्याचारों पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी के चुप्पी की आलोचना भी की। कांग्रेस नेताओं पर निशाना साधते हुए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने पश्चिम बंगाल के हावड़ा में हुई एक हालिया घटना पर प्रकाश डाला, जहां एक परिवार को “कंगारू न्याय“ का सामना करना पड़ा। एक्स पर एक वीडियो संदेश में पूनावाला ने कहा कि उत्तर दिनाजपुर, चोपड़ा तालिबानी कोड़े मारने की घटना के बाद, अब हावड़ा से एक और चौंकाने वाला वीडियो सामने आया है। जिस तरह से परिवार को पीटा जा रहा है, कंगारू न्याय दिया जा रहा है और एक महिला के साथ क्रूरता की जा रही है, उसके बाल बहुत ही खतरनाक तरीके से कैंची से काटे गए हैं…पश्चिम बंगाल में यह आम बात हो गई है, क्योंकि यह ‘माँ माटी मानुष’ नहीं है, यह तालिबानी ‘मानसिकता’ और संस्कृति है- टीएमसी। संदेशखाली, कूचबिहार और हावड़ा में हुई कई हिंसक घटनाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में महिलाएं पूरी तरह असुरक्षित हैं, जबकि विपक्ष चुप है। पश्चिम बंगाल में हावड़ा के डोमजूर में महिला और उसके परिवार को बेरहमी से पीटा गया-कैंची से बाल काटे गए। इस जघन्य कृत्य को अंजाम देने वाले आरोपी ईशा लश्कर, अबुल हुसैन लश्कर, सायम लश्कर, मकबूल अली, इसराइल लश्कर, अरबाज लश्कर और महेबुल्लाह मिद्दे टीएमसी पार्टी से जुड़े हुए हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि टीएमसी शासित राज्य में महिलाओं की पीड़ा जारी है।
कांग्रेस शासित तेलंगाना में हुई ऐसी ही एक घटना का जिक्र करते हुए पूनावाला ने कहा कि सिर्फ पश्चिम बंगाल में ही नहीं, बल्कि तेलंगाना में भी जिस तरह से एक गरीब महिला को बिजली के खंभे से बांधकर पीटा गया, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। उसका कसूर सिर्फ इतना था कि वह गरीब है। भाजपा प्रवक्ता ने कांग्रेस के दिग्गजों की चुप्पी की आलोचना करते हुए कहा कि राहुल गांधी, प्रियंका वाड्रा, मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और प्रियंका चतुर्वेदी कहां हैं? उनमें से किसी ने भी कुछ नहीं कहा है। दावा किया कि इन घटनाओं पर विपक्ष की चुप्पी उनका “असली चेहरा“ दिखा रही है। वे स्वाति मालीवाल (दिल्ली) के लिए नहीं बोलते हैं, वे संदेशखाली के लिए नहीं बोलते हैं। जब पश्चिम बंगाल और तेलंगाना से ऐसे परेशान करने वाले दृश्य आते हैं, तो वे चुप रहते हैं। गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में लोकसभा चुनाव 2024 के पहले से ही हिंसा का दौर शुरू हो गया था। इसे लेकर चुनाव प्रचार के दौरान भी खूब आरोप प्रत्यारोप का दौर चला था। भाजपा ने कहा था कि राहुल, केजरीवाल, वामपंथी सभी चुप हैं।
रविशंकर प्रसाद ने भी उठाया मुद्दा
ममता बनर्जी की अंतरात्मा कहीं खो गयी है। कोलकाता से लगभग 100 किलोमीटर दूर सुंदरबन की सीमाओं पर स्थित संदेशखाली इलाके में स्थानीय महिलाओं द्वारा फरार तृणमूल कांग्रेस के नेता शेख शाहजहां और उनके समर्थकों पर जमीन हड़पने और यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने के बाद विरोध प्रदर्शन काफी लंबे समय तक चला था। संदेशखाली मुद्दे पर नहीं बोलने के लिए कांग्रेस, आप, वाम दलों और ’इंडिया’ गठबंधन के अन्य घटकों की निंदा भाजपा के स्तर से की गयी थी। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तो चुनाव से ठीक पहले दावा किया था कि ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस की सरकार ने पश्चिम बंगाल के लोगों पर अत्याचार के मामले में पूर्ववर्ती वामपंथी दलों की सरकार को पीछे छोड़ दिया है। लोकसभा चुनाव में जनता राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी को करारा जवाब देगी। पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली में महिलाओं के कथित यौन उत्पीड़न का मुद्दा उठाते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस और विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन के अन्य घटकों की आलोचना करते हुए इस मामले पर उनकी चुप्पी पर सवाल उठाए थे। कहा था कि संदेशखाली मुद्दा बहुत गंभीर होता जा रहा है।
महिलाओं पर हमला, उनके साथ अपमानजनक व्यवहार और उनका यौन शोषण हमारे समाज और लोकतंत्र के लिए शर्म की बात है। भाजपा नेता ने राज्य में इस तरह की घटनाओं का बचाव करने के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आलोचना की थी। उनकी एवं अन्य विपक्षी पार्टियों की अंतरात्मा पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि जब ममता बनर्जी माकपा के अत्याचारों के खिलाफ (अतीत में) संघर्ष करती थीं और इसके खिलाफ अनिश्चितकालीन आंदोलन पर बैठती थीं तब हम सभी उनके प्रशंसक बन गए थे। उनके संघर्ष की सराहना किया करते थे। ज्यादती और पुलिस दमन के मामले में मौजूदा सरकार ने तत्कालीन माकपा शासन को पीछे छोड़ दिया है।
यह बड़े ही शर्म की बात है। उनकी अंतरात्मा कहां है? रविशंकर प्रसाद ने संदेशखाली मुद्दे पर नहीं बोलने के लिए कांग्रेस, आप, वाम दलों और ‘इंडिया’ गठबंधन के अन्य घटकों की निंदा करते हुए कहा था कि उनकी चुप्पी उनके ‘पाखंड और स्पष्ट दोहरे मापदंडों’ का सबूत है। उन्होंने पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा एक समाचार चैनल के संवाददाता की गिरफ्तारी की भी निंदा की थी। भाजपा नेता ने चंडीगढ़ महापौर चुनाव पर शीर्ष अदालत के फैसले का जिक्र करते हुए कहा था कि चंडीगढ़ में एक घटना हुई। हम उच्चतम न्यायालय के फैसले का सम्मान करते हैं। यह एक बंद अध्याय है, सभी उस पर सुर से सुर मिलाकर भाषण दे रहे हैं, लेकिन वे सभी संदेशखाली में महिलाओं की गरिमा की लूट के मुद्दे पर चुप हैं। प्रसाद ने माकपा की एक नेत्री के संदेशखाली जाने की खबर सुने जाने पर कहा कि माकपा ने न तो औपचारिक रूप से (संदेशखाली की कथित घटनाओं का) विरोध किया है और न ही इस मुद्दे पर कोई सार्वजनिक टिप्पणी की है। हर मुद्दे पर बोलने वाले राहुल गांधी भी चुप हैं।
कांग्रेस नेताओं की चुप्पी पर उठे सवाल
उन्होंने कहा था कि राहुल कहते हैं कि भाजपा अलोकतांत्रिक है। उनके अनुसार भाजपा शासन में लोग सुरक्षित नहीं हैं। आज ममता बनर्जी के शासन में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। उन्हें पुलिस दमन का शिकार बनाया जा रहा है और राहुल गांधी, सोनिया गांधी, अरविंद केजरीवाल, वामपंथी सभी चुप हैं। जून के आखिरी सप्ताह में रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी ने कूचबिहार (पश्चिम बंगाल) में महिला पर हुए अत्याचारों पर चुप्पी साधने के लिए राहुल गांधी और भारतीय विपक्ष की आलोचना की थी। एक कार्यक्रम में गोस्वामी ने उनकी सुविधा की राजनीति की आलोचना करते हुए कहा था कि जो मणिपुर में हुआ, वही बंगाल में भी हुआ है, लेकिन वे (कांग्रेस नेता) पूरी तरह से शांत हैं। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डालते हुए बताया कि किस तरह विपक्षी खेमे ने एक मुस्लिम महिला के परेशान करने वाले मामले की अनदेखी की, जिसे कथित तौर पर ममता बनर्जी शासित राज्य में तृणमूल कांग्रेस के गुंडों द्वारा निर्वस्त्र कर पीटा गया था। अर्नब ने जोर देकर कहा था कि उनके विचार में इससे साबित होता है कि वे कुछ और नहीं बल्कि राजनीतिक अवसरवादियों का एक समूह हैं, जिन्होंने एक पूरा जेट बुक कर लिया।
उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और उनके पूरे डिजिटल इकोसिस्टम की आलोचना करने से पहले कोई कसर नहीं छोड़ी। रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक ने आगे पूछा था कि क्या आपको वह जेट याद है, जिसे राहुल गांधी ने मणिपुर के लिए बुक किया था? राहुल गांधी, आप जेट बुक करके कूचबिहार क्यों नहीं जाते? गौरतलब है कि मई 2023 में सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें सामने आईं, जिसमें मणिपुर में पुरुषों की भीड़ द्वारा दो महिलाओं को नग्न अवस्था में सार्वजनिक रूप से घुमाया गया। यह भी पता चला कि भीड़ ने दोनों पीड़ितों के साथ सामूहिक बलात्कार भी किया था। 27 जून को भारतीय जनता पार्टी का समर्थन करने पर एक मुस्लिम महिला को नंगा कर उसका बाल पकड़कर एक किलोमीटर तक घसीटा गया और एक घंटे से अधिक समय तक पीटा गया। यह घटना पश्चिम बंगाल के कूचबिहार जिले के माथा भंगा ब्लॉक के रुईडांगा गांव में हुई। पीड़िता का महाराजा जितेंद्र नारायण मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में इलाज चला।
रिपोर्ट के अनुसार, टीएमसी के गुंडों के एक समूह ने महिला पर राज्य में विपक्षी भाजपा की कार्यकर्ता होने के कारण हमला किया। पीड़िता के पिता ने पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई। पुलिस शिकायत के अनुसार, स्थानीय टीएमसी कैडर ने 4 जून 2024 को लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद से महिला को घर से बाहर निकलने से रोक लगा दी है। पीड़िता पर उस समय हमला हुआ था, जब वह पास के पार्क से घर लौट रही थी। टीएमसी के गुंडों के एक समूह ने उस पर हमला किया, उसके कपड़े उतार दिए और फिर उसके कपड़े नदी में फेंक दिए। उन्होंने धमकी भी दी कि अगर उसने दोबारा बाहर निकलने की हिम्मत की तो वे उसका घर तोड़ देंगे। कूचबिहार पुलिस ने इस मामले में मुख्य आरोपी शफीकुल समेत चार लोगों को हिरासत में लिया था। शफीकुल पर हमले के दौरान पीड़िता की नग्न तस्वीर लेने और उसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रसारित करने का आरोप है।
वैसे पश्चिम बंगाल में चुनावों के समय हिंसा की घटनाएं लगातार सामने आती ही रहती हैं। चुनाव आयोग के लिए वहां शांतिपूर्ण चुनाव कराना चुनौती साबित होता रहा है। ओबीसी में कई वर्गों को नाजायज तरीके से शामिल किए जाने को लेकर भी पश्चिम बंगाल चर्चा में आ चुका है। कलकत्ता हाईकोर्ट के बंगाल में कई वर्गों को दिया गया ओबीसी का दर्जा रद्द किए जाने के फैसले को लेकर बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ममता बनर्जी को घेरा भी था। कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल में 2010 में कई वर्गों को दिया गया अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का दर्जा 22 मई, 2024 को रद्द कर दिया था। इसको लेकर बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा था कि पर्दाफाश हुआ तो दोनों नेताओं ने चुप्पी साध ली। राहुल गांधी संविधान की पुस्तिका लेकर घूमते रहते हैं, लेकिन हाईकोर्ट का फैसला आता है और मुस्लिम तुष्टिकरण का पर्दाफाश होता है, तो ये (राहुल गांधी) चुप्पी साध लेते हैं। ममता बनर्जी ने भी चुप्पी साध ली है। ऐसे लोगों को जनता जवाब देगी। दरअसल हाईकोर्ट ने बंगाल में 2010 में कई वर्गों को ओबीसी का दर्जा देने का आदेश रद्द करते हुए कहा था कि इन समुदायों को ओबीसी घोषित करने के लिए वास्तव में धर्म ही एकमात्र मापदंड प्रतीत होता है।
हाईकोर्ट ने कहा था कि उसका मानना है कि मुसलमानों के कई वर्गों को पिछड़ों के तौर पर चुना जाना पूरे मुस्लिम समुदाय का अपमान है। हालांकि कोर्ट ने साफ किया कि जिन समाज के लोगों का ओबीसी दर्जा हटाया गया है, उनमें से कोई पहले से ही सेवा में हैं, आरक्षण का लाभ ले चुके हैं या राज्य की किसी चयन प्रक्रिया में सफल हो चुके हैं तो इससे वो प्रभावित नहीं होंगे। याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले एक वकील के मुताबिक, 2010 के बाद बंगाल में ओबीसी के तहत सूचीबद्ध व्यक्तियों की संख्या पांच लाख से अधिक होने का अनुमान है। झारखंड में भी पिछले पांच सालों में महिलाओं के खिलाफ बड़ी संख्या में आपराधिक घटनाएं दर्ज हुईं। लव जिहाद, लैंड जिहाद के मामले सामने आते रहे हैं। बांग्लादेशी घुसपैठिए की समस्या राज्य के लिए नासूर बन चुकी है, लेकिन सत्तारूढ दलों झामुमो, कांग्रेस, राजद के नजरिए से भाजपा ऐसे विषयों के जरिए हिन्दू- मुस्लिम कर रही है।
मुस्लिमों की तेजी से बढ़ रही आबादी भी चिंताजनक
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के मुताबिक बांग्लादेश से आने वाले घुसपैठिए संथालपरगना, बिहार के रास्ते झारखंड घुस रहे। आदिवासी महिलाओं से शादी कर उनकी संपत्ति, जमीन हड़पने की साजिश चल रही है। नगर निकाय, पंचायत चुनाव में आरक्षित सीट से अपनी आदिवासी पत्नी को चुनाव लड़ाते हैं। इसमें कुछ तो सफल भी हो चुके हैं। इस पर राज्य सरकार को संवेदनशील होकर विचार करते कदम उठाना चाहिए। यह दल विशेष से जुड़ा विषय नहीं है। गड्डा सांसद डॉ निशिकांत दुबे तो संसद के बजट सत्र के दौरान इस विषय को उठाया भी था। कहा था कि झारखंड में मुस्लिमों की आबादी तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने राज्य में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को लागू करने औऱ पश्चिम बंगाल के मालदा औऱ मुर्शिदाबाद जिलों को केंद्र शासित क्षेत्र बनाने की मांग भी की। कहा कि झारखंड में आदिवासी समुदाय की आबादी 10 फीसदी तक घट गई है औऱ मुस्लिम युवक आदिवासी महिलाओं से शादी कर रहे हैं। विपक्ष हमेशा यही बोलता रहता है कि संविधान खतरे में है, पर सच तो ये है कि संविधान नहीं, इनकी राजनीति खतरे में है।
झारखंड बिहार से अलग होकर जब अलग राज्य बना तब संथाल परगना क्षेत्र में 2000 में 36 फीसदी आदिवासी जनसंख्या थी जो अब घटकर 26 फीसदी रह गई है। उन्होंने सदन में सबसे पूछा भी कि ये 10 फीसदी आबादी कहां खो गई। सदन में इसको लेकर कोई बात नहीं करता। निशिकांत दुबे ने कहा कि प्रत्येक जगह 15-17 फीसद वोटर ही बढ़ता है पर हमारे यहां 123 फीसद आबादी बढ़ी है। उनके लोकसभा क्षेत्र (गोड्डा) में आने वाले विधानसभा क्षेत्र में लगभग 267 बूथों पर मुसलमानों की आबादी 117 प्रतिशत बढ़ गई है। झारखंड में 25 ऐसी विधानसभा सीटें हैं जहां की आबादी 123 प्रतिशत आबादी बढ़ी है, यह चिंता का विषय है। पाकुड़ जिले (झारखंड) में तारानगर इलाके में दंगा हो गया। इस दंगे की वजह यह है कि बंगाल की पुलिस और मालदा, मुर्शिदाबाद से लोग आकर हमारे लोगों को भगा रहे हैं। हिंदू गांव का गांव खाली हो रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि वे ऑन रिकार्ड कह रहे हैं और सीरियस मामला है। अगर उनकी बात गलत साबित होती है तो वे इस्तीफा दे देंगे। बंगाल के मालदा और मुर्शिदाबाद से लोगों ने हिंदुओं पर अत्याचार किया है।
झारखंड पुलिस कार्रवाई करने में असमर्थ है। पूरे मालदा, मुर्शिदाबाद, अररिया, कटिहार, किशनगंज से आए लोगों ने हिंदुओं पर अत्याचार किया है, वे भारत सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने और इन इलाकों को यूनियन टेरिटरी मानने की मांग करते हैं। संसद में झारखंड में घुसपैठियों के कारण डेमोग्राफी में हो रहे बदलाव का विषय आने पर झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष रबींद्रनाथ महतो ने भी अपनी राय जाहिर कर दी। उन्होंने इसे राजनीतिक मुद्दा बताया। रबीन्द्रनाथ ने डेमोग्राफी में बदलाव से स्पष्ट इनकार किया। कहा कि यह राजनीतिक मुद्दा है। चुनाव जीतने के लिए पता नहीं ये (भाजपा) कौन-कौन सा मुद्दा उठाते रहते हैं। सीमा की सुरक्षा का मामला केंद्र सरकार का है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि अगर ऐसा हुआ तो क्या यह चार साल के भीतर हुआ? किस सरकार में डेमोग्राफी चेंज हुआ है, इसका भी पता लगाना चाहिए।
भाजपा ने स्पीकर के बयान पर पलटवार किया है। उनके बयान पर झारखंड में सियासत और गरमा गयी। प्रदेश भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि डेमोग्राफी को लेकर स्पीकर का बयान न्यायालय की अवमानना है। यह उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। न्यायालय ने सीमावर्ती छह जिलों के उपायुक्तों को इस मुद्दे पर शपथपत्र दाखिल करने कहा है। जनगणना के आधिकारिक आंकड़ों में 1951 से 2011 के बीच संताल के इलाके में आदिवासियों की आबादी 16 प्रतिशत घटी है और मुसलमान की आबादी 13 प्रतिशत बढ़ी है। स्पीकर का पद संवैधानिक और राजनीति से ऊपर है। वे एक राजनीतिक दल के प्रवक्ता की तरह बयान दे रहे हैं। इस तरह से देखें तो जिन राज्यों में कांग्रेस या उसके समर्थन से चलने वाली सरकार है, वहां घटित हैं, पर इसकी तुलना में उत्तर प्रदेश, गुजरात, मणिपुर, मध्य प्रदेश सहित तमाम ऐसे राज्य जहां एनडीए गठबंधन वाले सत्ता में हैं, वहां विपक्षी दलों को हर दिन ’संविधान खतरे में’ नजर आता है।
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ऐसे में सलेक्टिव तरीके से की गयी सियासत आम लोगों के लिए चिंता का विषय बनती है। आदर्श और स्वस्थ लोकतंत्र में पक्ष और विपक्ष की भी प्रभावी भूमिका मानी जाती रही है, परन्तु दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह किसी भी अप्रिय घटना पर इंडी गठबंधन के नेता धृतराष्ट्र की भूमिका में आ जाते है कि प्रायोजित तरीके से अलग अलग विषयों पर जिस तरह की राजनीति हमारे यहां राजनेता करते दिखते हैं, वह कहीं से भी आदर्श उदाहरण नहीं है। देश, राज्य की उन्नति के लिहाज से सभी दलों को स्वस्थ भावना के साथ सामने आना चाहिए।
अमित झा
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