ओवरलोडिंग और गैर-पंजीकृत स्कूली वाहनों पर योगी सरकार सख्त, दिए ये निर्देश

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लखनऊः ओवरलोडिंग, अनाधिकृत और गैर-पंजीकृत स्कूली वाहनों के खिलाफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) का रूख सख्त हो गया है। सीएम ने साफ कहा है कि प्रदेश में कहीं पर भी ओवरलोड और अनाधिकृत वाहन न संचालित होने पाए। ओवरलोडिंग को सोर्स प्वाइंट पर ही रोका जाए। इसके बाद भी किसी अन्य जनपद में ओवरलोड वाहन पकड़े जाते हैं तो यह देखा जाए कि ये वाहन किन-किन जनपदों से होकर आए हैं। ऐसे जनपदों के प्रवर्तन अफसरों की जिम्मेदारी तय करते हुए कड़ी कार्रवाई की जाए।

निरस्त होंगे डीएल

बॉडी में अल्ट्रेशन कर ओवरलोडिंग करने वाले ऐसे वाहनों को पकड़े जाने पर उनकी बॉडी कटवाए बिना और जुर्माना लिए बिना न छोड़ा जाए। दरअसल, ओवरलोड वाहनों के संचालन को लेकर सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट कहना है कि ओवरलोडिंग अपराध है और यह सड़क सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है। ओवरलोडिंग पकड़े जाने पर चालक का ड्राइविंग लाइसेंस सस्पेंड करने और बार-बार इसकी पुनरावृत्ति होने पर डीएल निरस्त करने तक के आदेश सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए हैं। हालांकि, ओवरलोडिंग के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अमल कहीं पर होता नहीं दिखाई पड़ता। यही नहीं एमवी एक्ट की धारा 86 के तहत ओवरलोडिंग मामले में परमिट निरस्तीकरण की कार्रवाई का भी प्रावधान है।

हालांकि, धारा 86 की कार्रवाई के पक्षधर न तो क्षेत्रीय प्रवर्तन अफसर हैं और न ही इस मामले में परिवहन विभाग मुख्यालय का एसटीए अनुभाग ही कोई मजबूत पहल करने की जहमत उठाता है। इसकी बड़ी वजह यह है कि ओवरलोडिंग व अनाधिकृत संचालन ही क्षेत्रीय प्रवर्तन अफसरों की काली कमाई का आधार है। इसके चलते ही ओवरलोड व अनाधिकृत वाहन संचालन करने वालों को अफसरों का संरक्षण भी हासिल रहता है। किसी बड़ी घटना-दुर्घटना होने पर शासन के दबाव में ही प्रवर्तन अफसरों की कुछ कार्रवाई दिखाई पड़ती है। बाकी समय सिर्फ राजस्व वसूली लक्ष्य पूरा करने तक ही प्रवर्तन कार्रवाई सीमित रहती है। प्रवर्तन अफसर बड़े ओवरलोड वाहनों को पकड़ने की जगह पिकप या छोटी गाड़ियां पकड़कर अपना लक्ष्य पूरा करते हैं। इसकी कई बार शिकायत भी शासन तक पहुंच चुकी है।

ओवरलोडिंग, अनाधिकृत संचालन पर रोक लगाने के साथ ही सीएम ने यह भी कहा कि प्रवर्तन अफसर पिकप जैसी छोटी गाड़ियों को पकड़कर उनका शोषण न करें। इसके साथ ही छोटी गाड़ियों को पकड़कर ओवरलोडिंग वाहनों को पकड़ने का लक्ष्य पूरा न करें। सूत्र बताते हैं कि प्रवर्तन अफसर छोटी गाड़ियों को पकड़कर उन्हें परेशान करते हैं जबकि कई टन ओवरलोड लेकर चलने वाले ट्रकों को नहीं पकड़ते हैं। कई टन ओवरलोड सामान लेकर चलने वाले ट्रकों को सुविधा शुल्क की आड़ में प्रवर्तन अफसर खुला संरक्षण दिए हुए हैं। गौरतलब है कि परिवहन विभाग ने ओवरलोडिंग पर पेनाल्टी तय की हुई है। इसके तहत निर्धारित मानक से एक टन अधिक ओवरलोड पाए जाने पर 20 हजार रुपए जुर्माना व 2,000 रुपए पेनाल्टी का प्रावधान है। वाहन में जितना टन अधिक माल ओवरलोड होगा, प्रति टन 2,000 रुपए पेनाल्टी बढ़ती जाएगी।

प्रवर्तन अफसरों को नहीं, सिर्फ मंत्री को दिख रहे ओवरलोड वाहन

ओवरलोडिंग, अनाधिकृत संचालन को लेकर सीएम जितने सख्त हैं, परिवहन विभाग के क्षेत्रीय अफसरों का रवैया उतना ही ढुलमुल है। आलम यह है कि सिर्फ परिवहन मंत्री को ही सड़कों पर ओवरलोड वाहन दिख रहे हैं। परिवहन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह ने बीते दिनों ही गाजीपुर-कासिमाबाद मार्ग पर गिट्टी लदे छह ओवरलोड ट्रकों को पकड़ा। इसके पूर्व भी वह बाराबंकी में कई बार ओवरलोड वाहन पकड़ चुके हैं। राजधानी लखनऊ में भी परिवहन मंत्री ने छापेमारी कर ओवरलोड ट्रकों को पकड़ा था।

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इसकी जांच भी एसटीएफ को दी थी। परिवहन मंत्री की ओवरलोडिंग वाहनों को पकड़ने की इस कार्रवाई को लेकर सवाल भी खड़े हो रहे हैं। विभाग से जुड़े अन्य लोगों का कहना है कि मंत्री की विभागीय अफसर या तो सुन नहीं रहे हैं या तो मंत्री ओवरलोड वाहनों को पकड़ने का दिखावा कर रहे हैं। ऐसा इसलिए भी है कि अधिकांश समय सड़क पर ड्यूटी करने वाले प्रवर्तन अफसरों की निगाह से कैसे ओवरलोड व अनाधिकृत वाहन बच निकल रहे हैं और मंत्री को दिख जा रहे हैं।

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