महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव: राज ठाकरे की चुनौती से उद्धव पर कितना पड़ेगा फर्क ?

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Uddhav Thackeray vs Raj Thackeray : महाराष्ट्र की राजनीति में ठाकरे बनाम ठाकरे का मुद्दा गरमाया हुआ है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के प्रमुख राज ठाकरे ने अपने चचेरे भाई और शिवसेना (UBT) सुप्रीमो उद्धव ठाकरे के काफिले पर पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए हमले का बचाव किया है। वहीं अपने कार्यक्रताओं का समर्थन कर राज ठाकरे ने संकेत दे दिया है कि हमला इन्हीं के कार्यकर्ताओं ने किया है। जिसके बाद से उद्धव गुट के नेता भड़के हुए हैं।

राज ठाकरे की उद्धव को खुली चुनौती

उधर शिवसेना (उद्धव गुट) सांसद संजय राउत ने मनसे प्रमुख राज ठाकरे को खुली चुनौती दे डाली है। मीडिया से बात करते हुए राउत ने कहा, “अगर हिम्मत है तो महाराष्ट्र को लूटने वाले अहमद शाह अब्दाली और उसके सुपारी गैंग को ललकार कर दिखाओ ।” राज्यसभा सांसद राउत ने उद्धव ठाकरे के काफिले पर हमले को लेकर न केवल राज ठाकरे बल्कि अमित शाह, देवेंद्र फडणवीस और अन्य भाजपा नेताओं पर भी निशाना साधा। राउत ने शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे पर भी हमला बोला।

बता दें कि राज ठाकरे के बीड दौरे के दौरान उद्धव की शिवसेना कार्यकर्ताओं ने उन पर कथित तौर पर सुपारी फेंकी थी। राज ठाकरे ने कहा कि शिवसेना (UBT) ने इस घटना की निंदा नहीं की, जिससे हताश मनसे कार्यकर्ताओं ने ठाणे में उद्धव के काफिले को निशाना बनाया। राज ने साफ चेतावनी दी है कि अगर उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (UBT) और शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने उनकी नवनिर्माण यात्रा के दौरान बाधाएं पैदा करने की कोशिश की तो वह खुद महाराष्ट्र में एक भी रैली नहीं कर पाएंगे।

18 से दोनों भाइयों की लड़ाई का तमाशा देख रहा देश

ठाकरे बनाम ठाकरे की लड़ाई (Uddhav Thackeray vs Raj Thackeray) ऐसे समय पर हो रही जब दोनों ने महाराष्ट्र विधानसभा में अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। विधानसभा चुनाव से पहले दोनों ठाकरे एक दूसरे पर हमलावर है। ठाकरे ब्रदर्स के बीच लड़ाई कोई नई बात नहीं है। राज ठाकरे ने जब शिवसेना पार्टी छोड़ी थी, तब उन्होंने 2006 में अपनी अलग पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) बनाई थी। उस समय से लेकर आज तक यानी 18 सालों से पूरा देश इन दोनों भाइयों के बीच की लड़ाई का तमाशा देख रहा है।

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ठाकरे ब्रदर्स की लड़ाई में किसे होगा फायदा ?

मराठी मानुस से लेकर हिंदुत्व के मुद्दे तक राज और उद्धव की पार्टी का एजेंडा हमेशा से ऊपर रहा है। हालांकि, उद्धव ठाकरे हिंदुत्व के मुद्दे से भटक गए हैं। इससे साफ है कि दोनों पार्टियों के वोटर बंटने वाले हैं। अब सवाल उठता है कि ठाकरे ब्रदर्स की लड़ाई में आने वाले विधानसभा चुनाव में फायदा किसे होगा? दोनों भाइयों को या महाविकास अघाड़ी और एनडीए को? यह तो वक्त ही बताएगा।

अगर देखा जाए तो राज ठाकरे की हताशा चरम पर पहुंच रही है। यह स्वाभाविक है। अब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का अस्तित्व भी खतरे में है। राज ठाकरे ने भाजपा का विरोध करने और उसके साथ रहने की कोशिश की है। अभी तक उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ है – और वे महाराष्ट्र विधानसभा में सिर्फ एक विधायक हैं।

अगर राज और उद्धव में लड़ाई (Uddhav Thackeray vs Raj Thackeray ) होती है तो इसका सबसे ज्यादा फायदा हिंदुत्व और मराठी मानुस के लिए काम करने वाली नई शिवसेना को हो सकता है, जिसने उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत करके बीजेपी से हाथ मिला लिया है। यह पहली बार होगा जब राज ठाकरे, उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के उम्मीदवार एक दूसरे के खिलाफ होंगे। इन तीनों की लड़ाई का फायदा दूसरी पार्टियां उठा सकती हैं। हालांकि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में क्या होता है, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

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