Hamirpur : पिछले 72 सालों में हमीरपुर-महोबा संसदीय क्षेत्र से कोई भी निर्दलीय उम्मीदवार सांसद नहीं बन पाया है। शुरू से लेकर अब तक इस संसदीय क्षेत्र में बड़ी संख्या में निर्दलीय उम्मीदवारों ने सांसद बनने के लिए चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमाई है, लेकिन यहां की जनता ने कांग्रेस और भाजपा समेत दो क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों पर अपना भरोसा दिखाया है। यही कारण है कि इस सीट से कांग्रेस के सबसे ज्यादा उम्मीदवार चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं। इस बार भाजपा यह रिकॉर्ड भी तोड़ सकती है।
बुंदेलखंड की हमीरपुर-महोबा लोकसभा सीट पर अब तक अठारह आम चुनाव हुए हैं। पिछले बहत्तर सालों में कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों के साथ-साथ कई निर्दलीय उम्मीदवार भी लोकसभा चुनाव लड़ते रहे हैं, लेकिन शुरुआती दौर में जनता ने कांग्रेस पर ज्यादा भरोसा दिखाया है। यही कारण है कि कांग्रेस ने इस सीट पर छह बार लंबे समय तक दबदबा बनाए रखा है। कांग्रेस ने छह बार जबकि भाजपा ने पांच बार इस सीट पर कब्जा किया है। बसपा ने दो बार और सपा ने सिर्फ एक बार सीट जीती है।
संसदीय सीट पर कांग्रेस के एक नेता ने हैट्रिक लगाई थी। हमीरपुर लोकसभा सीट पर 72 साल में पहली बार 1996 में 41 प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरे थे। भाजपा, कांग्रेस व अन्य पार्टी प्रत्याशियों के अलावा दर्जनों निर्दलीय प्रत्याशियों ने पार्टी प्रत्याशियों के समीकरण बिगाड़े थे। इसके बावजूद भाजपा ने जीत दर्ज की थी। 1998 में बारह, 1999 में सोलह, 2004 में पंद्रह, 2009 में पंद्रह, 2014 में पंद्रह और 2019 के लोकसभा चुनाव में चौदह प्रत्याशी मैदान में थे। इस बार पार्टी प्रत्याशियों के अलावा आठ निर्दलीय प्रत्याशियों ने चुनावी मैदान में उतरकर जातिगत समीकरण को झटका दिया है।
जनता दल और सपा के नेताओं ने एक-एक बार संसदीय जीती सीट
हमीरपुर-महोबा संसदीय सीट 1989 में जनता दल के कब्जे में आ गई थी। यहां से पहली बार गंगाचरण राजपूत सांसद बने थे। जनता दल की लहर में कांग्रेस का सफाया हो गया था। यहां बसपा तीसरे स्थान पर रही थी जबकि निर्दलीय प्रत्याशी को 4.3 फीसदी वोट मिले थे। इसी तरह 2004 के आम चुनाव में पहली बार सपा ने यहां सीट जीती थी। जबकि 1996 से सपा हमीरपुर-महोबा सीट पर कब्जा करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही थी।
बसपा के माननीय सिर्फ दो बार ही प्रतिष्ठित हमीरपुर सीट से चुनाव जीतकर पहुंचे लोकसभा
पिछले बहत्तर सालों में बसपा ने दो बार हमीरपुर-महोबा संसदीय सीट पर कब्जा कर सपा को हराया है। बसपा ने वर्ष 1989 में आम चुनाव में कदम रखा था, लेकिन जनता दल की लहर के चलते बसपा 14.4% वोट पाकर तीसरे स्थान पर रही। बसपा के चुनावी गणित में पहली बार 1999 में इस सीट पर बंपर जीत मिली थी जबकि 2009 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने दूसरी बार सीट पर जीत दर्ज की। पिछले दो चुनावों में भाजपा की सुनामी में बसपा दूसरे स्थान पर रही।
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इस बार भी चुनाव मैदान में कई निर्दलीय प्रत्याशियों के होने से भाजपा लगा सकती हैट्रिक
इस बार बुंदेलखंड की हमीरपुर लोकसभा सीट पर भाजपा, सपा और बसपा के अलावा आठ निर्दलीय प्रत्याशियों का सांसद बनने का सपना है। लेकिन निर्दलीयों की संख्या अधिक होने से साइकिल और हाथी को नुकसान होने का अनुमान लगाया जा रहा है। इस बार मतदान में कमल और गठबंधन के बीच कड़ी टक्कर रही है, जिसके चलते कुछ क्षेत्रों में साइकिल ने बाजी मारी है, लेकिन इसके बावजूद भाजपा यहां संसदीय सीट पर कम वोटों के अंतर से हैट्रिक लगा सकती है।
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